'कोटा में बच्चे क्यों दे रहे हैं जान?' सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार से पूछे सवाल
Supreme Court ने कहा कि कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में तुरंत और सही दिशा में जांच होनी चाहिए. राजस्थान सरकार को चाहिए कि वह छात्रों की मानसिक स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए.;
Kota Suicides: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान के कोटा शहर में बढ़ते छात्र आत्महत्या के मामलों पर कड़ी नाराज़गी जताई. कोर्ट ने इसे बहुत गंभीर मामला बताते हुए राज्य सरकार से पूछा कि आखिर छात्र खुदकुशी करने पर मजबूर क्यों हो रहे हैं, खासकर कोटा में ही? जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने कहा कि साल 2024 में अब तक 14 छात्रों ने कोटा में आत्महत्या की है, जो चिंता का विषय है.
राज्य सरकार क्या कर रही है?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से सवाल किया कि एक राज्य के तौर पर आपने इस गंभीर स्थिति को कैसे संभाला है? क्या आपने कभी ये सोचा कि बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? इस पर सरकारी वकील ने बताया कि राज्य सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) बना दी है, जो इन मामलों की जांच कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट इस दौरान IIT खड़गपुर के 22 वर्षीय छात्र की मौत और कोटा में नीट की तैयारी कर रही एक छात्रा की आत्महत्या के मामलों पर भी सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने कहा कि IIT छात्र की मौत की FIR चार दिन की देरी से दर्ज की गई, जो गंभीर लापरवाही है. पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में FIR तुरंत दर्ज की जानी चाहिए. ये बहुत संवेदनशील और गंभीर मसले हैं.
FIR में देरी पर पुलिस पर सवाल
कोर्ट ने पुलिस अधिकारी से सीधे पूछा कि FIR दर्ज करने में चार दिन क्यों लगे? पुलिस ने जवाब दिया कि अब FIR दर्ज हो चुकी है और जांच चल रही है. हालांकि, कोर्ट पुलिस और IIT खड़गपुर के वकील के जवाब से संतुष्ट नहीं दिखा. कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में कड़ी कार्रवाई कर सकते थे, यहां तक कि संबंधित पुलिस अधिकारी पर अवमानना का केस भी चलाया जा सकता था.
कोटा मामले में सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
कोर्ट ने कहा कि कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामलों में तुरंत और सही दिशा में जांच होनी चाहिए. अदालत ने स्पष्ट किया कि राजस्थान सरकार को चाहिए कि वह FIR दर्ज करने में लापरवाही न करे और छात्रों की मानसिक स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए. राज्य सरकार के वकील ने जानकारी दी कि SIT काम कर रही है और कोटा में अब तक 14 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं. कोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए पूछा कि ये छात्र आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? क्या आपने इस पर गंभीरता से कोई रिपोर्ट बनाई है?
पुलिस अधिकारी तलब
कोर्ट ने कहा कि जो छात्रा कोटा में आत्महत्या कर बैठी, वह संस्थान के हॉस्टल में नहीं, बल्कि माता-पिता के साथ रह रही थी. इसके बावजूद पुलिस ने FIR दर्ज करने में देरी की, जो अदालत के आदेशों की अवहेलना है. अंत में कोर्ट ने 14 जुलाई को संबंधित पुलिस अधिकारी को अदालत में तलब किया और कहा कि वह स्थिति स्पष्ट करें कि निर्देशों का पालन क्यों नहीं हुआ.