सुप्रीम कोर्ट : देश के हिस्से को पाकिस्तान कहना अनुचित, जज की टिपण्णी पर जताया ऐतराज

कर्णाटक हाई कोर्ट के जज ने एक मामले की सुनवाई के दौरान पश्चिम बेंगलुरु के एक हिस्से को पाकिस्तान कहा था, जिसके बाद वो विडियो काफी वायरल हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की थी.

Update: 2024-09-25 08:52 GMT

Supreme Court Of India: सुप्रीम कोर्ट ने कर्णाटक हाई कोर्ट के एक जज की टिपण्णी को अनुचित मानते हुए कहा कि देश के किसी भी हिस्से को पाकिस्तान नहीं कहा जा सकता. साथ ही इस टिपण्णी पर ऐतराज भी जताया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि किसी को इस बात का हक़ नहीं है कि वो देश के किसी हिस्से को पाकिस्तान कहे. इस तरह का बयान देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है.


क्या था मामला
कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस वेदव्यासचार श्रीशानंद के दो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए. एक में सुनवाई के दौरान जस्टिस श्रीशानन्द पश्चिमी बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को 'पाकिस्तान' कहते नज़र आ रहे हैं, तो दूसरे वीडियो में वो एक महिला वकील को लेकर असंवेदनशील टिप्पणी करते नज़र आये. जब ये दोनों ही वीडियो वायरल हो गए तो सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में भी आये. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने इस मसले पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की. 20 सितंबर को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से इस बारे में रिपोर्ट तलब की थी.

हाई कोर्ट के जस्टिस ने ओपन कोर्ट में मांगी माफ़ी
इस बीच विवाद बढ़ने पर हाई कोर्ट के जस्टिस श्रीशानंद ने ओपन कोर्ट में माफ़ी मांगी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ओर से शुरू की गई सुनवाई को बंद कर दिया लेकिन साथ ही नसीहत भी दी कि लाइव स्ट्रीमिंग के दौर में जजों की अपनी टिप्पणियों को लेकर बहुत सजग और सावधान रहने की ज़रूरत है.

लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में सजग और ज़िम्मेदार रह कर करें टिपण्णी
सुप्रीम कोर्ट ने तमाम जजों को ये हिदायत दी है कि इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि लाइव स्ट्रीमिंग के इस दौर में अब कोर्ट की सुनवाई के साक्षी कोर्ट रूम में मौजूद लोग ही नहीं है, बाहर की दुनियां पर भी इसका असर व्यापक है. जज इस मामले में विशेष ध्यान रहें और कोई ऐसी टिप्पणी न करें जिससे उनका व्यक्तित्व पूर्वाग्रह नज़र आये. कोर्ट में सुनवाई के वक़्त उन्हें एकमात्र संवैधानिक मूल्यों को ध्यान में रखकर फैसला देना है.

आज की सुनवाई में ये हुआ
सुप्रीम कोर्ट की बेंच के सामने आज रजिस्ट्रार जनरल की रिपोर्ट में ये जानकारी दी गयी कि जस्टिस श्रीशानंद ने 21 सितंबर को ओपन कोर्ट में माफी मांग ली है. माफ़ी मांगते हुए उन्होंने कोर्ट में कहा कि उनका मकसद किसी वर्ग की भावना को आहत करने का नहीं था, फिर भी अगर किसी की भावना आहत हुई है, तो वो खेद व्यक्त करते है. जिसके बाद चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा को बनाये रखने के लिए ये महत्वपूर्ण है कि हम इस मामले में आगे न बढ़ें. ये वजह है कि हमने हाई कोर्ट के जज को कोई नोटिस भी जारी नहीं किया.
इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने ये भी स्पष्ट किया कि इस तरह के विवाद के चलते लाइव स्ट्रीमिंग को बंद नहीं किया जा सकता क्योंकि न्यायिक प्रकिया में और भी ज्यादा पारदर्शिता की ज़रूरत है न कि अदालत में हो रही सुनवाई को पर्दे में रखा जाए.


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