सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों को लेकर की गयी एनसीपीसीआर की सिफारिश पर लगायी रोक

मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकारों के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में भेजा जाना चाहिए.

Update: 2024-10-21 11:07 GMT

NCPCR Madarsa : मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को औपचारिक शिक्षा के सरकारी स्कूलों में दाखिले को लेकर जारी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग( NCPCR) की सिफारिशों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल रोक लगा दी है.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता की दलीलों पर गौर किया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के संचार और कुछ राज्यों की परिणामी कार्रवाइयों पर रोक लगाने की जरूरत है.

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को जारी किया नोटिस 
कोर्ट ने केंद्र और सभी राज्यों को NCPCR की सिफारिशों पर अमल करने से रोकते हुए, इस विषय में दायर जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सभी राज्यो को नोटिस जारी किया है. संगठन ने उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकारों के उस निर्देश को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों के छात्रों को सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए.
NCPCR ने पिछले दिनों सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के चीफ सेकेट्री को पत्र लिखकर सभी मदरसों को सरकार की ओर से मिलने वाली फंडिंग को बंद करने/ मदरसा बोर्ड को बंद करने की सिफारिश की थी.
NCPCR ने मदरसों में पढ़ रहे गैर मुस्लिम बच्चों को मदरसे से बाहर निकलकर शिक्षा के अधिकार के तहत ज़रूरी शिक्षा के लिए दूसरे स्कूलों में दाख़िला करवाने के लिए कहा था. इसके साथ ही मदरसों में पढ़ रहे मुस्लिम बच्चों को औपचारिक स्कुलों में दाखिल करने का निर्देश दिया था.
शीर्ष अदालत ने आदेश दिया कि इस वर्ष 7 जून और 25 जून को जारी एनसीपीसीआर के संचार पर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. साथ ही यह भी कहा कि राज्यों के परिणामी आदेश भी स्थगित रहेंगे. इसने मुस्लिम संस्था को उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के अलावा अन्य राज्यों को भी अपनी याचिका में पक्ष बनाने की अनुमति दे दी.


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