निठारी कांड : सुरेंद्र कोली की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर, बरी करने के खिलाफ याचिकाएं खारिज
अब, हाईकोर्ट द्वारा कोली को राहत दिए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की भी पुष्टि मिल गई है, जिससे नोएडा के बहुचर्चित निठारी केस का कानूनी अध्याय लगभग समाप्ति की ओर है।;
सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड के आरोपी सुरेंद्र कोली को जमानत देने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा कि हाई कोर्ट द्वारा कोली को बरी करने में कोई त्रुटि नहीं थी, और उसके खिलाफ दायर सभी 14 अपीलों को खारिज कर दिया गया।
कोर्ट ने साफ किया कि पीड़ितों की खोपड़ियों और अन्य वस्तुओं की बरामदगी को लेकर अभियोजन पक्ष का तर्क साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत मान्य नहीं है, क्योंकि यह बरामदगी कोली के पुलिस के समक्ष दिए गए बयान के आधार पर नहीं हुई थी।
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा, “कोई भी बरामदगी तभी सबूत मानी जा सकती है, जब वह आरोपी द्वारा बताए गए ऐसे स्थान से हो, जिसकी जानकारी केवल उसे हो।”
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर किसी को दोषी ठहराने के लिए मजबूत और निर्विवाद प्रमाण जरूरी हैं, जो इस मामले में नहीं थे।
निठारी कांड को जानिए
निठारी, उत्तर प्रदेश के नोएडा का वह इलाका है जहां 2006 में मनिंदर सिंह पंढेर नाम के व्यक्ति की कोठी में कई बच्चों और महिलाओं के बलात्कार और हत्या के मामले सामने आए थे। ट्रायल कोर्ट ने 2010 में सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई थी।
हालांकि, हाईकोर्ट ने मनिंदर सिंह पंढेर और कोली को मौत की सजा के मामले में यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उचित संदेह से परे उनका अपराध साबित करने में विफल रहा।
कोर्ट ने इसे गड़बड़ जांच करार दिया। कोली को 12 मामलों में और पंढेर को 2 मामलों में दी गई मौत की सजा को पलटते हुए, हाईकोर्ट ने कहा कि जांच जिम्मेदार एजेंसियों द्वारा जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात से कम नहीं थी।
चुनौती और सुप्रीम कोर्ट की राय
सीबीआई, उत्तर प्रदेश सरकार और पीड़ित के परिजनों ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन अदालत ने इन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि जांच एजेंसियों की विफलता जनता के विश्वास के साथ विश्वासघात है।
अब, हाईकोर्ट द्वारा कोली को राहत दिए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट की भी पुष्टि मिल गई है, जिससे निठारी केस का कानूनी अध्याय लगभग समाप्ति की ओर है।