सुप्रीम कोर्ट ने ड्रॉफ्ट वोटर लिस्ट के जारी होने पर रोक लगाने से किया इनकार, EC से फिर कहा मानें आधार - EPIC को

सुप्रीम कोर्ट में बिहार में SIR मामले पर सुनवाई हुई. मंगलवार को फिर से इस मामले पर सुनवाई जारी रहेगी. हालांकि कोर्ट ने वोस्ट लिस्ट के ड्रॉफ्ट पेपर के जारी होने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.;

Update: 2025-07-28 10:04 GMT

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में नए सिरे से तैयार किए जा रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के बाद 1 अगस्त 2025 को चुनाव आयोग की ओर से जारी किए जाने वाले ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्य बागची की पीठ ने स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन मामले पर लंबी सुनवाई नहीं की. दरअसल जस्टिस सूर्यकांत को दोपहर में चीफ जस्टिस के साथ एक बैठक में जाना था. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भरोसा दिया कि इस मामले की जल्द सुनवाई होगी और वकीलों से कहा कि वे कल बताएं कि दलीलों में कितना समय लगेगा.

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हु वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायणन ने कोर्ट से कहा कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की घोषणा को रोकी जाए, क्योंकि इससे करीब 4.5 करोड़ लोगों को परेशानी होगी. उन्होंने कहा कि अगर लिस्ट जारी हो गई, तो जिनका नाम नहीं होगा, उन्हें आपत्ति दर्ज करानी पड़ेगी और खुद को लिस्ट में शामिल करवाने की कोशिश करनी पड़ेगी. उन्होंने यह भी बताया कि 10 जुलाई को कोर्ट ने यह भरोसा दिलाया था कि ड्रॉफ्ट लिस्ट से पहले सुनवाई होगी, इसलिए उस समय याचिकाकर्ताओं ने रोक की मांग नहीं की गई थी.

चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि यह सिर्फ एक ड्राफ्ट लिस्ट है, अभी फाइनल नहीं है. इस पर जस्ट्स सूर्यकांत ने कहा कि अगर बाद में कोई गड़बड़ी मिलेगी तो पूरी प्रक्रिया को रद्द भी किया जा सकता है. शंकरनारायणन ने कोर्ट से कहा कि यह लिखकर दे दिया जाए कि पूरी प्रक्रिया कोर्ट के फैसले पर निर्भर करेगी. इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि ऐसा लिखने की जरूरत नहीं है, यह बात सभी को समझ में आ रही है.

याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट की उस सलाह का पालन नहीं कर रहा, जिसमें आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को पहचान के लिए मान्य माना गया था. इस पर आयोग के वकील ने कहा कि कुछ दस्तावेजों को लेकर आयोग को आपत्ति है, जैसे कि राशन कार्ड, क्योंकि बहुत सारे फर्जी कार्ड जारी हुए हैं.

इस पर कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि कम से कम आधार और वोटर आईडी कार्ड को तो माना जाना चाहिए.

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, सरकारी दस्तावेज सही माने जाते हैं. आप इन दो दस्तावेजों (आधार और वोटर आईडी) को मानें. अगर कहीं गड़बड़ी मिले तो उसे अलग-अलग मामले के हिसाब से देखा जाए. कोर्ट ने कहा, दुनिया में हर दस्तावेज नकली हो सकता है.

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट में गर्मी छुट्टियों के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्ट्स बागची ने तब कोर्ट ने कहा था कि नागरिकता तय करना चुनाव आयोग का काम नहीं है, यह काम केंद्र सरकार का है. उस वक्त भी कोर्ट ने सुझाव दिया था कि आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को पहचान के लिए मान लिया जाए. 

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