जाकिर हुसैन की हालत बेहद गंभीर है और वो अस्पताल में भर्ती हैं, ये बात खुद उनके परिवार ने कही है। लेकिन जैसे ही उनके निधन की खबर फैली तो भारत में कई मुख्यमंत्री आदि ने इस विषय पर सोशल मीडिया में पोस्ट करते हुए शोक जताया। मिनिस्ट्री ऑफ़ इनफार्मेशन एंड ब्राडकास्टिंग की तरफ से भी ट्वीट किया गया लेकिन बाद में उस ट्वीट को डिलीट कर दिया गया, क्योंकि परिवार ने जाकिर हुसैन के जीवित होने की बात कही।
उस्ताद जाकिर हुसैन को भारतीय शास्त्रीय संगीत में उनके अभूतपूर्व योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उन्हें तबला वादन में महारत हासिल थी, और उनकी कला ने न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में संगीत प्रेमियों का दिल जीता। उन्हें तीन ग्रैमी अवॉर्ड्स, पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे प्रतिष्ठित सम्मान प्राप्त हुए थे। उनका संगीत प्रदर्शन भारतीय शास्त्रीय संगीत को एक वैश्विक मंच पर ले जाने में सफल रहा, जिससे भारतीय संगीत की धारा को एक नई पहचान मिली।
परिवार और शिक्षा: एक विरासत का निर्माण
जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। वह एक संगीतज्ञ परिवार से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता उस्ताद अल्लाह रक्खा कुरैशी, जो खुद एक प्रसिद्ध तबला वादक थे, ने उनका मार्गदर्शन किया और उन्हें बचपन से ही संगीत की शिक्षा दी। जाकिर हुसैन ने 7 साल की उम्र में अपने पिता के साथ मंच पर पहला प्रदर्शन किया था, और 11 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय यात्रा की, जब उन्होंने यूएस में एक संगीत कार्यक्रम में प्रदर्शन किया।
उस्ताद जाकिर हुसैन ने अपनी संगीत यात्रा में कई प्रमुख भारतीय संगीतकारों के साथ मंच साझा किया। उन्होंने प्रसिद्ध गायकों, वादकों और संगीतकारों जैसे रवि शंकर, लता मंगेशकर, किशोरी अमोनकर, और कई अन्य के साथ भी काम किया। उनका योगदान भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ फ्यूजन संगीत में भी महत्वपूर्ण था। उन्होंने भारतीय संगीत को पश्चिमी संगीत के साथ मिलाकर एक नई शैली विकसित की, जिसे दुनिया भर में सराहा गया।
सिनेमा और अभिनय: बहुआयामी प्रतिभा संगीत में उनके योगदान के अलावा, उस्ताद जाकिर हुसैन ने बॉलीवुड और अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में भी काम किया। उन्होंने 1983 में फिल्म 'हीट एंड डस्ट' में अभिनय किया, जिसमें शशि कपूर उनके सह-कलाकार थे। इसके बाद, वह 1998 में फिल्म 'साज' में भी दिखाई दिए, जिसमें शबाना आजमी उनके साथ थीं। उनकी यह बहुआयामी प्रतिभा और उनकी संगीत की समझ ने उन्हें न केवल एक अद्भुत संगीतकार, बल्कि एक शानदार अभिनेता भी बनाया।
उस्ताद जाकिर हुसैन की बात करें तो उन्हें एक ऐड फिल्म के लिए भी याद किया जाता है, जिसमें उन्हें ताजमहल के सामने तबला बजाते हुए दिखाया गया। दरअसल ये के चाय का एड था और उन्हें ताज महल के सामने तबला बजाते दिखाने का उद्देश्य विश्व की दो धरोहरों के बीच तुलना थी, एक ताज महल और दूसरे उस्ताद जाकिर हुसैन।
व्यक्तिगत जीवन: एक प्रेरणादायक यात्रा
उस्ताद जाकिर हुसैन की निजी जिंदगी भी उतनी ही प्रेरणादायक रही। उन्होंने अपनी जीवनसंगिनी एंटोनिया मिन्नेकोला से शादी की थी, जो एक कथक डांसर और संगीत प्रेमी थीं। एंटोनिया न केवल उनकी जीवन साथी, बल्कि उनकी संगीत यात्रा की एक महत्वपूर्ण सहयोगी भी रही। दोनों के बीच का संबंध एक सुंदर उदाहरण था कि कला और जीवन के बीच का रिश्ता कितना गहरा हो सकता है। उनके दो प्यारे बच्चे भी हैं, जो उनके सांगीतिक और सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ा रहे हैं।
संगीत के साथ उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा
उनकी कला और योगदान हमेशा भारतीय और वैश्विक संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित रहेगा। उनका संगीत एक अमूल्य धरोहर बनकर रहेगा, जिसे आने वाली पीढ़ियां संजोए रखेंगी। उनका संगीत हमें हमेशा याद दिलाएगा कि कला और संगीत में शुद्धता, भावनाओं और स्वाभाविकता की एक अलग ही शक्ति होती है।