तमिलनाडु से बजा परिसीमन के खिलाफ बिगुल, एक मंच पर आए दक्षिण के राजनीतिक दल

विशेषज्ञों का कहना है कि तमिलनाडु, जिसने ऐतिहासिक रूप से हिंदी लागू करने से लेकर जीएसटी और नीट तक संघीय मुद्दों पर बहस का नेतृत्व किया है, परिसीमन पर भी आगे बढ़ सकता है.;

Update: 2025-03-05 17:49 GMT

हाल के महीनों में परिसीमन (delimitation) को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं. लेकिन बुधवार (5 मार्च) को तमिलनाडु सरकार द्वारा सभी राजनीतिक पार्टियों के लिए आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक ने इस मुद्दे को ठोस राजनीतिक रूप दे दिया. विशेषज्ञों का मानना है कि इस पहल से अन्य राज्यों को भी परिसीमन पर बहस में शामिल होने के लिए प्रेरणा मिल सकती है.

एकजुट करने की दिशा में पहला कदम

मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दक्षिणी राज्यों को इस मुद्दे पर एकजुट करने के लिए एक ज्वाइंट एक्शन कमेटी (Joint Action Committee- JAC) बनाई जाएगी. इस समिति में तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों के संसद सदस्य शामिल होंगे. जो परिसीमन के खिलाफ जागरूकता फैलाने और विरोध-प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे. बैठक में छह प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें 40 से अधिक राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं का इज़हार किया.

अन्य राज्यों से भी समर्थन की उम्मीद

सार्वजनिक नीति विशेषज्ञ आर अलामु के अनुसार, इस बैठक के बाद पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों का ध्यान इस मुद्दे पर आकर्षित हो सकता है. इन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण के उपायों को सफलतापूर्वक लागू किया है और परिसीमन के बाद उन्हें लोकसभा सीटों का नुकसान हो सकता है. अलामु ने The Federal से बात करते हुए कहा कि यदि परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया जाता है तो इसका प्रभाव दक्षिणी राज्यों पर पड़ेगा. हालांकि, पंजाब और हिमाचल प्रदेश जैसे उत्तर भारतीय राज्यों में भी जनसंख्या नियंत्रण को अच्छी तरह लागू किया गया है. हम देख सकते हैं कि अब उत्तर भारतीय राज्यों से भी दक्षिणी राज्यों के पक्ष में परिसीमन विरोधी समर्थन मिल सकता है.

फेडरल अधिकारों की रक्षा

तमिलनाडु हमेशा से संघीय अधिकारों से संबंधित मुद्दों पर अग्रणी रहा है. अलामु के अनुसार, तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्य उत्तर भारतीय राज्यों से अधिक शहरीकृत हैं और इनका विकास भी बेहतर है. इन राज्यों ने हमेशा से संघीय अधिकारों के मुद्दे पर संघर्ष किया है. चाहे वह GST, NEET, NEP, या अब परिसीमन हो. यह संदेश अन्य राज्यों, जैसे पंजाब और हिमाचल प्रदेश को भी जाता है कि वे अपने संघीय अधिकारों की रक्षा के लिए दक्षिणी राज्यों के साथ मिलकर काम करें.

भागीदारी और कल्याण पर चिंता

बैठक में कई प्रमुख राजनीतिक नेताओं ने हिस्सा लिया, जिनमें एआईएडीएमके के संगठन सचिव और पूर्व मंत्री डी जयकुमार, कांग्रेस के राज्य अध्यक्ष और विधायक सेल्वापेरंथाई, सीपीआई के राज्य सचिव मुथारासन, सीपीएम के राज्य सचिव शन्मुगम, वीसीके के प्रमुख थिरुमावलावन, एमडीएमके के प्रमुख वैको, टीवीके के महासचिव बसी एन आनंद, पीएमके के अध्यक्ष अंबुमानी रामदोस, द्रविड़ कज़गम के नेता वीरमानी और एमएनएम के अध्यक्ष कमल हासन शामिल थे.

बैठक में मुख्यमंत्री स्टालिन ने 2026 में प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया पर चिंता व्यक्त की, जिसके कारण तमिलनाडु की संसदीय सीटों की संख्या 39 से घटकर 31 हो सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार, यह कमी राज्य में जनसंख्या नियंत्रण उपायों के प्रभावी क्रियान्वयन का परिणाम हो सकती है. जो राज्य के संसद में प्रतिनिधित्व को प्रभावित कर सकती है. स्टालिन ने कहा कि अगर परिसीमन केवल जनसंख्या के आधार पर किया गया तो यह तमिलनाडु की आवाज़ को राष्ट्रीय मंच पर कमजोर कर देगा और इसके लोगों के कल्याण के लिए लड़ने की क्षमता को भी सीमित कर देगा.

परिसीमन का विरोध

बैठक में यह सर्वसम्मति से तय किया गया कि परिसीमन केवल जनसंख्या के आधार पर नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों ने परिवार नियोजन कार्यक्रमों को 1950 के दशक से लागू किया है. सभी पार्टी बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 2026 के बाद भी 1971 के जनसंख्या अनुपात के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाए.

एकजुटता की अपील

मुख्यमंत्री स्टालिन ने इस मुद्दे को सिर्फ तमिलनाडु नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण भारत के लिए एक बड़ा खतरा बताते हुए सभी राजनीतिक दलों और नेताओं से एकजुट होकर परिसीमन के खिलाफ खड़ा होने की अपील की. उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया भारत के संघीय ढांचे को कमजोर कर सकती है और दक्षिणी राज्यों की राजनीतिक ताकत को नष्ट कर सकती है.

दक्षिण भारत के लिए अन्याय

बैठक में एआईएडीएमके के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने कहा कि यदि परिसीमन केवल जनसंख्या के आधार पर किया गया तो यह दक्षिणी राज्यों के लिए अन्यायपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया था कि ऐसा नहीं होगा, फिर भी परिसीमन की प्रक्रिया फिर से शुरू की गई है. दक्षिणी राज्यों, जिनमें तमिलनाडु भी शामिल है, ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं, जबकि उत्तर भारतीय राज्यों में ऐसा नहीं हुआ है.

जेडीयू का समर्थन

जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा कि तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों ने हमेशा संघीय अधिकारों की रक्षा की है और अब यह जरूरी है कि इन राज्यों को एकजुट होकर अपनी स्थिति को मजबूती से पेश करना चाहिए.

परिसीमन के खिलाफ लड़ाई

वरिष्ठ पत्रकार आर इलंगोवन ने The Federal से कहा कि परिसीमन के खिलाफ इस संघर्ष को केवल एक राजनीतिक मुद्दा न समझा जाए, बल्कि इसे एक सामाजिक कारण के रूप में देखा जाए.

राष्ट्रीय बहस की शुरुआत

इस बैठक ने न केवल तमिलनाडु, बल्कि पूरे देश में संघीय अधिकारों, समानता और राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर एक राष्ट्रीय बहस की शुरुआत की संभावना को जन्म दिया है. इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा हो सकती है, जो देश के लोकतांत्रिक और संघीय ढांचे के भविष्य को प्रभावित करेगी.

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