भारत को अमेरिका सलाह दे रहा या मीठी चेतावनी, गार्सेटी के बयान का क्या है मतलब

पीएम नरेंद्र मोदी के रूस दौरे के बाद अमेरिका की तरफ से जो बयान आ रहे हैं उसके जरिए वो भारत को क्या संदेश देना चाह रहा है उसे समझना जरूरी है.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-07-12 04:06 GMT

India-US Relation: अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी कहते हैं कि वो इस बात का सम्मान करते हैं कि भारत अपनी ‘‘रणनीतिक स्वायत्तता’’ को पसंद करता है। लेकिन संघर्ष के समय में रणनीतिक स्वायत्तता जैसी कोई चीज नहीं होती। उन्होंने नयी दिल्ली और वाशिंगटन के बीच मजबूत साझेदारी बनाने की वकालत की।यहां रक्षा समाचार सम्मेलन में अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि आपस में जुड़ी दुनिया में "अब कोई युद्ध दूर नहीं है" और इस बात पर जोर दिया कि हमें न केवल शांति के लिए खड़ा होना चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम भी उठाने चाहिए कि जो लोग शांतिपूर्ण नियमों का पालन नहीं करते, उनकी युद्ध मशीनें बेरोकटोक जारी न रह सकें।

भारत- अमेरिका दोनों को समझने की जरूरत
अमेरिकी राजदूत ने कहा कि यह ऐसी बात है जिसे अमेरिका को जानने की जरूरत है और भारत को भी जानने की जरूरत है। उनकी यह टिप्पणी यूक्रेन और इजराइल-गाजा सहित विश्व में चल रहे अनेक संघर्षों की पृष्ठभूमि में आई है।गार्सेटी की टिप्पणी मंगलवार को बाइडेन प्रशासन द्वारा यह कहे जाने के बाद आई है कि रूस के साथ संबंधों पर चिंताओं के बावजूद भारत अमेरिका के लिए एक रणनीतिक साझेदार बना रहेगा। पीएम नरेन्द्र मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए दो दिनों के लिए रूस में थे, जिस पर यूक्रेन में चल रहे विवाद के बीच पश्चिमी देशों की भी गहरी नजर रही।

संघर्ष के समय इस चीज का महत्व नहीं
यह कार्यक्रम दिल्ली स्थित यूनाइट्स सर्विसेज इंस्टीट्यूशन में आयोजित किया गया और इसमें कई रक्षा विशेषज्ञों ने भाग लिया। 
गार्सेटी ने कहा कि वो जानते हैं और इस बात का सम्मान करते हैं कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को पसंद करता है। लेकिन संघर्ष के समय में रणनीतिक स्वायत्तता जैसी कोई चीज नहीं होती। संकट के क्षणों में हमें एक-दूसरे को जानने की जरूरत होगी। मुझे परवाह नहीं है कि हम इसे क्या नाम देते हैं, लेकिन हमें यह जानने की जरूरत होगी कि हम भरोसेमंद दोस्त सहकर्मी हैं जो जरूरत के समय एक साथ काम करते हैं। 

रक्षा, संयुक्त सैन्य अभ्यास और पश्चिमी हिंद महासागर में समुद्री डकैती और अन्य चुनौतियों से निपटने में भारत की नौसैन्य क्षमता सहित सहयोग के सभी क्षेत्रों पर जोर देते हुए उन्होंने अमेरिका और भारत को विश्व में अच्छाई के लिए एक अजेय शक्ति के रूप में देखा।उन्होंने अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी को विश्व में "सबसे महत्वपूर्ण" साझेदारी में से एक बताया। गार्सेटी ने कहा कि हम अपना भविष्य सिर्फ भारत में नहीं देखते और भारत अपना भविष्य सिर्फ अमेरिका में नहीं देखता बल्कि दुनिया हमारे संबंधों में महान चीजें देख सकती है। ऐसे देश हैं जो उम्मीद कर रहे हैं कि यह संबंध कारगर साबित होगा। क्योंकि अगर यह कारगर साबित होता है, तो यह सिर्फ एक प्रतिसंतुलन नहीं बन जाता, बल्कि यह एक ऐसा स्थान बन जाता है जहाँ हम साथ मिलकर अपने हथियार विकसित कर रहे हैं साथ मिलकर अपने प्रशिक्षण को एकीकृत कर रहे हैं।

'भारत- अमेरिकी रिश्ते को पुख्ता करें'
उन्होंने जोर देकर कहा कि आपातकालीन समय में, चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या मानव-जनित युद्ध अमेरिका और भारत एशिया और विश्व के अन्य भागों में आने वाली लहरों के विरुद्ध एक शक्तिशाली अवरोधक की तरह काम करेंगे। 
हम सभी जानते हैं कि हम दुनिया में एक दूसरे से जुड़े हुए हैं अब कोई युद्ध दूर नहीं है। हमें सिर्फ शांति के लिए ही नहीं खड़ा होना चाहिए बल्कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए कि जो लोग शांतिपूर्ण नियमों का पालन नहीं करते हैं, उनकी युद्ध मशीनें बेरोकटोक जारी न रह सकें। और यह ऐसी चीज है जिसे अमेरिका और भारत दोनों को जानने की जरूरत है।

गार्सेटी ने कहा कि अमेरिकी और भारतीय होने के नाते हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम इस रिश्ते में जितना अधिक योगदान देंगे, हमें उतना ही अधिक मिलेगा। हम जितना अधिक विश्वसनीय रिश्तों के स्थान पर संदेहपूर्ण गणनाओं पर जोर देंगे हमें उतना ही कम मिलेगा। अमेरिका-भारत संबंध व्यापक और पहले से भी अधिक गहरे हैं लेकिन यह अभी भी पर्याप्त गहरे नहीं हैं क्योंकि यदि हम केवल अपने अंदर की ओर देखें, तो न तो अमेरिका और न ही भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आज के खतरों की गति के साथ तालमेल रख पाएंगे। चाहे वे आपके सीमा पर मौजूद सरकारी तत्व हों जिनके बारे में हम भी चिंतित हैं। इस क्षेत्र में और अन्य क्षेत्रों में  चाहे वह जलवायु परिवर्तन हो या इससे संबंधित खतरे हों जिन्हें अमेरिका इस देश में देखता है।

Tags:    

Similar News