राष्ट्रहित से ज्यादा राजनितिक हितों को प्राथमिकता देने वालों को कर दें 'निष्प्रभावी' : धनखड़

उपराष्ट्रपति ने कहा कि यदि राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि नहीं रखा गया तो राजनीति में मतभेद राष्ट्र विरोधी हो सकते हैं

Update: 2024-08-18 14:41 GMT

Vice President Jagdeep Dhankhad : देश से ज्यादा राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देने वालों को 'निष्प्रभावी' किया जाना चाहिए: धनखड़उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार (18 अगस्त) को जयपुर में कहा कि अलग-अलग विचार रखना "लोकतंत्र के गुलदस्ते की खुशबू" है, लेकिन केवल तब तक जब तक राष्ट्रीय हितों की बलि न दी जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि जो लोग देश के ऊपर व्यक्तिगत और राजनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हैं, उन्हें "निष्प्रभावी" किया जाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि अगर राष्ट्रहित को सर्वोपरि नहीं रखा गया तो राजनीति में मतभेद राष्ट्रविरोधी हो सकते हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे राष्ट्र के विकास के लिए ऐसी ताकतों को रोकें।

धनखड़ ने कहा, "व्यक्तिगत और राजनीतिक हितों के लिए राष्ट्रीय हित को छोड़ना उचित नहीं है। अगर राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि नहीं रखा जाता है, तो राजनीति में मतभेद राष्ट्र-विरोधी हो जाता है।" वह जयपुर में अंगदान करने वाले परिवारों को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि जनता को ऐसे लोगों को समझना चाहिए जिनके लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि नहीं है और जो राजनीतिक और व्यक्तिगत हितों को इससे ऊपर रखते हैं। धनकड़ ने आगे कहा, "और यदि वे अब भी कायम रहते हैं, तो मैं सभी से इन ताकतों को बेअसर करने का आग्रह करता हूं जो इस देश के विकास के लिए हानिकारक हैं।"

उपराष्ट्रपति ने कहा कि राजनीति में लोकतंत्र की अपनी खूबी है। अलग-अलग विचार रखना "लोकतंत्र के गुलदस्ते की खुशबू" है, लेकिन ये तभी तक है जब तक राष्ट्रीय हित का त्याग न किया जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी परिस्थिति में राष्ट्रीय हित से समझौता नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि "भारतीयता" हमारी पहचान है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत में जो विकास हो रहा है और उसकी गति "अकल्पनीय" है। धनखड़ ने कहा, "हम 'आपातकाल' के अत्याचारों को नहीं भूल सकते और इसीलिए भारत सरकार ने 'संविधान हत्या दिवस' मनाने की पहल की है ताकि हमारी नई पीढ़ी को आगाह किया जा सके कि उन्हें पता होना चाहिए कि एक ऐसा दौर था जब आपके पास कोई मौलिक अधिकार नहीं थे।"
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अंगदान मानव स्वभाव का सर्वोच्च नैतिक उदाहरण है और नागरिकों को इसके प्रति सचेत प्रयास करने चाहिए। कार्यक्रम का आयोजन जैन सोशल ग्रुप्स (जेएसजी) केंद्रीय संस्थान, जयपुर और दधीचि देह दान समिति, दिल्ली द्वारा किया गया था।

(एजेंसी इनपुट्स के साथ)


Tags:    

Similar News