भारत नहीं झुकेगा डेडलाइन के आगे, अमेरिका के साथ FTA पर स्पष्ट रुख
FTA India US: भारत का रुख स्पष्ट है कि वह किसी भी व्यापार समझौते को जल्दबाजी में और दिए गए समय सीमा में नहीं करेगा, बल्कि उसकी जड़ता राष्ट्रीय हित और किसानों की सुरक्षा होगी.;
India US Trade Agreement: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने साफ कर दिया है कि भारत किसी भी डेडलाइन के दबाव में आकर मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर सहमति प्रदान नहीं करेगा. यह टिप्पणी उन्होंने इस बात पर कही, जब उनसे पूछा गया कि क्या 9 जुलाई तक अमेरिका के साथ अंतरिम समझौता हो सकता है, जैसा कि अमेरिकी पक्ष ने प्रस्तावित किया था.
गोयल ने दिल्ली में आयोजित 16वें Toy Biz International B2B Expo के दौरान कहा कि भारत राष्ट्रीय हित में व्यापार समझौते करने को तैयार है. लेकिन कभी भी डेडलाइन के साथ व्यापार समझौता नहीं करता. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर किसी समझौते पर सहमति होती है तो वह तभी घोषित किया जाएगा, जब वह पूरी तरह अंतिम, सही तरीके से संपन्न और राष्ट्रहित में हो.
अधर में दिल्ली–वॉशिंगटन बातचीत
चीफ नेगोशिएटर राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारत की वार्ता टीम एक सप्ताह की बातचीत के बाद गुरुवार को वॉशिंगटन से दिल्ली लौटी. सूत्रों के अनुसार, उनके पास एक प्रारूपित अंतरिम समझौता है. लेकिन अंतिम मुद्दे—ऑटोमोबाइल और कृषि क्षेत्र से जुड़े—अभी भी अनसुलझे हैं. भारत ने अपनी कृषि क्षेत्र— विशेषकर जीएम फसल और डेयरी उत्पाद को पूरी तरह खोलने से इनकार किया है. यह तब तक संभव नहीं जब तक की सोयाबीन और मक्का जैसे उत्पाद नॉन-जीएम प्रमाणित नहीं हैं. क्योंकि भारत में GM फसलों का प्रयोग वर्जित है. भारत कुछ उत्पाद-विशिष्ट छूट देने को तैयार था जहाँ उसके किसान पूरी तरह सुरक्षित रहे.
डेयरी क्षेत्र पर भारत की दो मुख्य चिंता
छोटे किसानों की जीविका—कई किसान केवल एक या दो गाय/भैंस पर निर्भर हैं. धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदीताएं—अमेरिकन पशुचारे में पशु-उत्पाद हो सकते हैं. मिलियन किसानों की आजीविका दांव पर है. क्योंकि वे कमर्शियल डेयरी फार्मों से मुकाबला नहीं कर सकते.
अमेरिकी टैरिफ
भारत ने अपने किसानों की रक्षा के लिए अमेरिका द्वारा लगाए गए 26% रेस्प्रोकेल टैरिफ (10% आधार + 16% “लिबरेशन डे” टैरिफ) को पूर्ण रूप से हटाने की अपनी मांग को नरम कर दिया है. अब वह सीमित कृषि छूट के बदले आंशिक राहत स्वीकार करने को तैयार है. भारत ने WTO को सार्वजनिक रूप से सूचित किया है कि वह अमेरिका के ऑटोमोबाइल और पुर्ज़ों पर अमेरिकी टैरिफों के जवाब में कुछ अमेरिकी वस्तुओं पर टैक्स लगाने की योजना पर आगे बढ़ेगा. इससे प्रभावित वार्षिक आयात $2.9 अरब की होगी और इससे $723.75 मिलियन का शुल्क वसूला जा सकता है.
अर्ली हार्वेस्ट डील और व्यापक FTA की रूपरेखा
वर्तमान में बातचीत में एक "अर्ली हार्वेस्ट डील" की संभावना है—जिसमें कुछ महत्वपूर्ण माल शामिल होंगे. इसे विस्तृत द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण के रूप में अक्टूबर 2025 तक घटित करने की योजना है. उस विस्तृत FTA में सर्सेज और निवेश के प्रावधान भी शामिल होंगे.
वैश्विक FTAs में भारत की भूमिका
गोयल ने यह भी उल्लेख किया कि भारत यूएई, ऑस्ट्रेलिया, यूके जैसे देशों के साथ FTAs अंतिम रूप दे चुका है, जबकि EU, न्यूजीलैंड, ओमान, चिली और पेरू के साथ बातचीत जारी है. उन्होंने कहा कि FTA संभव हैं, जब दोनों पक्षों को लाभ हो—राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होना चाहिए.