कम हो रहा है ऐंटिबायोटिक दवाओं का असर, नई स्वास्थ्य चुनौती का कारण
भारत के 32 शोधों का विश्लेषण किया गया। इसमें स्पष्ट पाया गया कि पोल्ट्री मांस और अंडे में मल्टी‑ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया मौजूद हैं। यहां जानें पूरी बात...
एंटीबायोटिक प्रतिरोध (AMR) का खतरा भारत में पोल्ट्री और मांस खाने के साथ धीरे-धीरे उभर रहा है। यह केवल एक स्वास्थ्य समस्या नहीं। बल्कि भविष्य में हमारे बच्चों और समाज के लिए बड़ी चुनौती बनने की संभावना रखता है। हालिया शोध और समीक्षाओं के अनुसार, भारत के पोल्ट्री और मांस उत्पादों में कई दवाओं के प्रति प्रतिरोधक बैक्टीरिया पाए जा रहे हैं, जो आम एंटीबायोटिक्स जैसे अम्पिसिलिन, टेट्रासाइक्लिन और सिप्रोफ्लॉक्सासिन के प्रति प्रतिरोध दिखाते हैं।
शोध क्या बताते हैं?
साल 2025 में Frontiers in Veterinary Science में प्रकाशित “Prevalence, distribution and antimicrobial resistance profiles in poultry meat samples from India: a systematic review” में भारत के 32 शोधों का विश्लेषण किया गया। इसमें स्पष्ट पाया गया कि पोल्ट्री मांस और अंडे में मल्टी‑ड्रग रेसिस्टेंट बैक्टीरिया मौजूद हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह खाद्य श्रृंखला भारत में एंटीबायोटिक प्रतिरोध का एक प्रमुख स्रोत बन सकती है।
इसी प्रकार वर्ष 2024 में प्रकाशित “Contribution of veterinary sector to antimicrobial resistance in One Health compendium: an insight from available Indian evidence” में सामने आया कि डेयरी, पोल्ट्री और मांस उद्योग में एंटीबायोटिक का उपयोग मानव स्वास्थ्य में प्रतिरोध बढ़ाने में योगदान देता है। यह केवल “मांस खाने से” नहीं बल्कि फार्मिंग प्रथाओं, औषधि अवशेष और निगरानी की कमी के कारण होता है।
एक और समीक्षा, “Antibiotic residues in poultry products and bacterial resistance: A review in developing countries” (Journal of Infection and Public Health, 2024) में यह बताया गया कि पोल्ट्री उत्पादों में growth promoters और prophylactic antibiotics के कारण एंटीबायोटिक अवशेष रह जाते हैं, जो मानव शरीर में प्रतिरोधक बैक्टीरिया के विकास का जोखिम बढ़ा सकते हैं। हालांकि, शोध में यह भी कहा गया कि खाद्य माध्यम से प्रतिरोध के डेटा अभी सीमित हैं, इसलिए खतरे की संभावना सतर्कता के रूप में देखी जा रही है।
खतरा क्यों गंभीर है?
AMR केवल मांस खाने तक सीमित नहीं। जब ये प्रतिरोधक बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश करते हैं, तो आम एंटीबायोटिक्स कम असरदार हो जाते हैं। छोटे बच्चों, बुज़ुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए यह खतरनाक हो सकता है। और सबसे बड़ी चुनौती यह है कि भारत में फार्मिंग प्रथाओं और एंटीबायोटिक निगरानी अभी पूरी तरह सक्षम नहीं हैं।
समाधान की दिशा
शोध से यह स्पष्ट होता है कि केवल मानव शरीर में एंटीबायोटिक उपयोग को नियंत्रित करना पर्याप्त नहीं है। इसके लिए तीन स्तर पर काम करना आवश्यक
पशु पालन में एंटीबायोटिक नियंत्रण: गैरज़रूरी दवाओं का उपयोग रोकना।
निगरानी और नियम: मांस, पोल्ट्री और डेयरी उत्पादों में अवशेष और प्रतिरोधक बैक्टीरिया की नियमित जांच।
उपभोक्ता सतर्कता: मीट और पोल्ट्री को अच्छी तरह पकाना और सुरक्षित स्रोत चुनना।
यह स्थिति यह दिखाती है कि AMR केवल अस्पतालों की समस्या नहीं है बल्कि हमारे खाने-पीने की आदतों और खेती की प्रथाओं से भी जुड़ी है। पोल्ट्री और मांस खाने वाले परिवारों को सचेत रहने की आवश्यकता हैऔर सरकार व फार्मिंग सेक्टर को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि हम भविष्य में AMR जैसी समस्या से न घबराएं।
वैज्ञानिक डेटा यह स्पष्ट करता है कि खतरा मौजूद है, लेकिन सतर्कता और सही प्रथाओं के माध्यम से इसे कम किया जा सकता है। यह केवल चेतावनी नहीं, एक अवसर भी है, अपने स्वास्थ्य और आने वाली पीढ़ियों की भलाई के लिए।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।