चमगादड़ों की किडनी में मिले 20 नए खतरनाक वायरस,
यह शोध इस सच्चाई को उजागर करता है कि हम अब भी बहुत कम जानते हैं कि चमगादड़ों के भीतर कितनी तरह के वायरस छिपे हो सकते हैं और वे कितने खतरनाक हो सकते हैं...;
New Bat virus Discovery: वैज्ञानिकों ने चीन के युन्नान प्रांत में पाए गए चमगादड़ों में 20 ऐसे वायरस खोजे हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिकों को अभी तक कोई जानकारी नहीं थी। ये जो 20 वायरस पाए गए हैं, इनमें से दो वायरस ऐसे भी हैं, जो निपाह और हेंद्र जैसे बेहद घातक वायरसों के करीबी हैं। यह रिसर्च इस बात की चिंता बढ़ाती है कि जानवरों से इंसानों में फैलने वाले वायरस (Zoonotic pathogens) भविष्य में महामारी का कारण बन सकते हैं।
इन खतरनाक वायरसों की पहचान उन फल खाने वाले चमगादड़ों में हुई, जिन्हें ऐसे क्षेत्रों में पकड़ा गया था, जो गांवों और बागानों के आसपास थे यानी वे इलाके जहां वन्यजीवों, इंसानों और पालतू जानवरों के बीच संपर्क की संभावना सबसे अधिक होती है। यह रिसर्च मंगलवार को PLOS Pathogens जर्नल में प्रकाशित हुई। यह शोध एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर करता है कि हम अब भी बहुत कम जानते हैं कि चमगादड़ों के भीतर कितनी तरह के वायरस छिपे हो सकते हैं और वे कितने खतरनाक हो सकते हैं।
क्यों बढ़ रहा है यह खतरा?
जलवायु परिवर्तन, खेती का प्रसार और तेजी से हो रहा शहरीकरण, ये तीनों कारण वन्यजीवों और इंसानों के बीच दूरी को घटा रहे हैं। यही कारण है कि अब ऐसी बीमारियां सामने आ रही हैं, जो पहले कभी नहीं दिखी थीं। ध्यान रहे कि SARS, इबोला और COVID-19 जैसी महामारियों की जड़ में भी ऐसे ही ज़ूनोटिक संक्रमण रहे हैं।
ऑस्ट्रेलिया की University of Queensland में Centre for Animal Science के निदेशक टिम मैहोनी ने इस अध्ययन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “यह स्टडी बताती है कि हम चमगादड़ों में पाए जाने वाले वायरसों के बारे में बहुत कम जानते हैं और सामान्य रूप से हमारे इकोसिस्टम में मौजूद वायरसों की विविधता भी अभी अज्ञात है।”
कैसे किया गया यह अध्ययन?
इस शोध में चीन और सिडनी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। उन्होंने चार साल में युन्नान क्षेत्र से एकत्र किए गए 142 चमगादड़ों के गुर्दों (kidneys) का विश्लेषण किया। इस प्रक्रिया में उन्हें कुल 22 वायरस मिले जिनमें से 20 पहले कभी नहीं देखे गए थे।
इनमें से दो हेनिपावायरस (Henipavirus) निपाह और हेंद्र वायरस के करीबी पाए गए। ये वायरस मस्तिष्क में सूजन (Encephalitis) और श्वसन संबंधी बीमारी का कारण बन सकते हैं और इनमें मृत्यु दर 75% तक हो सकती है। ये वायरस पहले मलेशिया, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया में जानलेवा संक्रमण फैला चुके हैं।
अध्ययन में दो नई बैक्टीरियल प्रजातियां और एक पहला अज्ञात परजीवी (parasite) भी पाया गया। खास बात यह रही कि जहां अधिकांश वायरस अध्ययन मल (feces) पर केंद्रित होते हैं, इस टीम ने गुर्दों पर ध्यान केंद्रित किया। क्योंकि मूत्र के माध्यम से वायरस का उत्सर्जन एक संभावित लेकिन कम समझा गया ट्रांसमिशन मार्ग है।
कितना बड़ा है खतरा?
ये दोनों नए हेनिपावायरस उन फल खाने वाले चमगादड़ों में पाए गए, जो खेती योग्य इलाकों के पास रहते हैं। यहां उनका मूत्र फलों को दूषित कर सकता है, जिन्हें इंसान या पशु खा सकते हैं। इसका मतलब यह है कि इन वायरसों के इंसानों या फार्म जानवरों तक पहुंचने की संभावना बनी हुई है।
लेखकों ने स्पष्ट किया कि “यह खोज जूनोटिक खतरे की गंभीरता को उजागर करती है” और यह कि ऐसे वायरसों की मानव या पशु संक्रमण क्षमता को लेकर तत्काल अध्ययन और निगरानी की आवश्यकता है।
इस खोज से यह बात साफ हुई है कि जूनोटिक खतरे की गंभीरता बहुत अधिक है और ऐसे वायरस, जो मानव या पशुओं में संक्रमण का कारण बन सकते, उन पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। वहीं इस रिसर्च से जुड़े एक लेखक ने ज्यादा कुछ बोलने से मना करते हुए दबी जुबान में सिर्फ इतना कहा कि "यह विषय फिलहाल बहुत संवेदनशील हो चुका है, खासकर इसके राजनीतिक आयामों के कारण।"
अभी घबराएं नहीं,सतर्क रहें
Duke-NUS मेडिकल स्कूल के Emerging Infectious Diseases कार्यक्रम में प्रोफेसर लिनफा वांग ने इस खोज को वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “यह खोज पुष्टि करती है कि चमगादड़ों में वायरसों की विविधता कितनी अधिक है और खासकर हेनिपावायरस की। मेरी राय में हमें इस पर नज़र रखनी चाहिए लेकिन अभी घबराने की जरूरत नहीं है।”
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले एक्सपर्ट से परामर्श करें।