लिवर अक्सर खराब रहता है? आपके ब्लड ग्रुप से हो सकता है इसका संबंध
आपका ब्लड ग्रुप बता सकता है कि आपको लिवर की ऑटोइम्यून बीमारी का खतरा है? यह बात चौंकाने वाली जरूर है। लेकिन नई स्टडी में ऐसी ही चौंकाने वाली बातें सामने आई हैं
ब्लड ग्रुप को हम अक्सर सिर्फ दो कामों से जोड़कर देखते हैं, ब्लड डोनेशन और मेडिकल इमरजेंसी। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपका ब्लड ग्रुप आपके इम्यून सिस्टम के “मिज़ाज” को भी तय कर सकता है? यही बात सामने लाई है Frontiers in Medicine (2025) में प्रकाशित हॉन्ग वाई और साथियों की नई मल्टीसेंटर स्टडी, जिसने पहली बार ABO ब्लड ग्रुप्स और ऑटोइम्यून लिवर डिज़ीज़ के बीच एक बेहद दिलचस्प और अब तक लगभग अनदेखा रहा संबंध उजागर किया है...
ब्लड ग्रुप और लिवर ऑटोइम्यूनिटी
ब्लड ग्रुप और लिवर से जुड़ी ऑटोइम्यून बीमारियों की कहानी यहीं से शुरू होती है। इस बड़े अध्ययन में शोधकर्ताओं ने तीन प्रमुख ऑटोइम्यून लिवर बीमारियों पर ध्यान दिया...
• ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस (Autoimmune Hepatitis (AIH)
• प्राइमरी बिलेरी कोलेंजाइटिस (Primary Biliary Cholangitis (PBC)
• प्राइमरी स्क्लेरोज़िंग कोलांगाइटिस (Primary Sclerosing Cholangitis (PSC)
ये तीनों बीमारियां तब होती हैं, जब शरीर का अपना ही इम्यून सिस्टम लिवर की कोशिकाओं को “दुश्मन” समझकर हमला करना शुरू कर देता है और समस्या तब तक नहीं पकड़ में नहीं आती, जब तक नुकसान बहुत अधिक ना बढ़ जाए। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या ब्लड ग्रुप इस “गलत पहचान” के जोखिम को बढ़ा या घटा सकता है? रिसर्च में इसका उत्तर है- हां, बहुत हद तक।
कौन-सा ब्लड ग्रुप किस जोखिम से जुड़ा?
1. ब्लड ग्रुप A - सबसे मजबूत लिंक ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस (Autoimmune Hepatitis) से। स्टडी में यह संबंध बहुत स्पष्ट दिखा कि ब्लड ग्रुप A वाले व्यक्तियों में AIH का जोखिम सबसे अधिक पाया गया। यानी A-टाइप इम्यून सिस्टम अधिक रिएक्टिव, अधिक संवेदनशील और ऑटोइम्यून अटैक की दिशा में अधिक झुका हुआ पाया गया।
2. ब्लड ग्रुप B - प्राइमरी बिलेरी कोलेंजाइटिस (Primary Biliary Cholangitis) का जोखिम बढ़ा। इस बीमारी में लिवर की बाइल डक्ट्स धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होती हैं। रिसर्च ने दिखाया कि ब्लड ग्रुप B वाले लोगों में PBC का रिस्क औसत से कहीं अधिक था।
3. ब्लड ग्रुप O - आंशिक सुरक्षा का संकेत। यह सबसे दिलचस्प निष्कर्षों में से एक था। ब्लड ग्रुप O उन ब्लड ग्रुप्स में आता है, जिनमें ऑटोइम्यून लिवर डिज़ीज़ का जोखिम काफी कम देखा गया। वैज्ञानिक बताते हैं कि ऐसी सुरक्षा O-ग्रुप में कई दूसरी इम्यून-मीडिएटेड बीमारियों में भी देखी गई है।
ब्लड ग्रुप और बीमारी का संबंध
ब्लड ग्रुप से बीमारी का संबंध कैसे है? इसका वैज्ञानिक तर्क क्या है? यहां बात आती है इम्युनोजेनेटिक्स की। अर्थात आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली किन आनुवंशिक संकेतों के आधार पर काम करती है। हमारी कोशिकाओं की सतह पर ABO एंटीजन मौजूद होते हैं। ये एंटीजन तीन अहम प्रक्रियाओं को प्रभावित करते हैं...
• प्रतिरक्षा सहनशीलता (immune tolerance)
• एंटीजन पहचान (antigen recognition)
• और शरीर में सूजन का स्तर (inflammatory signaling)
जब ये तीनों प्रक्रियाएं असंतुलित होती हैं, तब इम्यून सिस्टम शरीर के ही अंगों को पहचानने में गलती करता है। यही “ऑटोइम्यून अटैक” की शुरुआत है। रिसर्चर्स का अनुमान है कि A और B टाइप के एंटीजन इस असंतुलन को बढ़ा सकते हैं। जबकि O टाइप अपेक्षाकृत सुरक्षित प्रतिक्रिया देता है।
ब्लड ग्रुप से बीमारी का कनेक्शन
क्या अब सिर्फ ब्लड ग्रुप देखकर बीमारी का खतरा बता दिया जाएगा? तो इसका उत्तर है नहीं। स्टडी बिल्कुल साफ कहती है कि ब्लड ग्रुप एकमात्र भविष्यवक्ता नहीं है। लेकिन यह एक महत्वपूर्ण संकेत ज़रूर है, खासकर उन लोगों के लिए, जिन लोगों के परिवार में इस तरह के संकेत हैं...
• जिनके परिवार में ऑटोइम्यून डिज़ीज़ का इतिहास है
• जिनमें पहले से कई इम्यून डिसऑर्डर मौजूद हैं
• जिनके लिवर पैरामीटर्स बार-बार गड़बड़ आते हैं
• या जो ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहाँ ऑटोइम्यून रोगों की प्रचलनता अधिक है
ऐसे मामलों में ब्लड ग्रुप की यह जानकारी डॉक्टरों को जल्दी स्क्रीनिंग करने,अधिक सटीक मॉनिटरिंग करने और पर्सनलाइज्ड केयर प्लान बनाने में मदद कर सकती है।
ऑटोइम्यून लिवर डिज़ीज़
ऑटोइम्यून लिवर डिज़ीज़ को जल्दी पकड़ना क्यों ज़रूरी है? इसका कारण है कि ये बीमारियां दुर्लभ होती हैं। लेकिन एक बार लक्षण शुरू होने पर लिवर क्षति तेजी से बढ़ सकती है। मरीज को पता भी नहीं चलता कि समस्या कहां से शुरू हुई, क्योंकि शुरुआती स्तर पर शरीर कोई खास संकेत नहीं देता। ब्लड ग्रुप और इम्यून रिस्क के इस संबंध को समझना हमें बीमारी को “रूट-लेवल” पर पहचानने का मौका देता है। यानी वह स्टेज,जहां इसे रोकना सबसे आसान होता है।
इसीलिए शोधकर्ता ने इस दिशा में आगे और अधिक बड़े व विविध समूहों पर अध्ययन का प्रयास कर रहे हैं। ताकि यह समझा जा सके कि ABO ब्लड ग्रुप सीधे लिवर ऑटोइम्यूनिटी को कैसे प्रभावित करता है।
कुल मिलाकर, अब तक के शोध से यह तो साफ है कि आपका ब्लड ग्रुप सिर्फ एक पहचान नहीं, एक चेतावनी संकेत भी है। इस नई स्टडी का सबसे महत्वपूर्ण संदेश यही है कि हमारा ब्लड टाइप सिर्फ खून का वर्गीकरण नहीं है, यह इम्यून सिस्टम की प्रवृत्ति को भी आकार देता है। और जब बात लिवर जैसे महत्वपूर्ण अंग की हो तो यह जानकारी हमें शुरुआती सावधानी, बेहतर मॉनिटरिंग और व्यक्तिगत देखभाल की दिशा में ले जा सकती है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।