दिल का दांतों से है सीधा कनेक्शन, हार्ट अटैक से बचना है तो करें ये काम

जिस जगह बीमारी की शुरुआत होती है, वह जगह सबसे पहले भुला दी जाती है। अर्थात दांत और मसूड़े। क्योंकि हम जानते ही नहीं कि मुंह हमारे दिल की सुरक्षा चौकी है!

Update: 2025-11-27 18:56 GMT
दांतों और मसूड़ों की सेहत खराब हो तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है!
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दांतों से दिल का संबंध: कभी सोचा है, सुबह ब्रश ना करने का प्रभाव केवल मुस्कान पर नहीं, दिल की धड़कन पर भी पड़ता है! हममें से अधिकांश लोग दांतों को अलग और दिल को अलग बीमारी मानते रहे हैं। पर सच इससे बिल्कुल उल्टा है, मुंह की लापरवाही सीधे दिल तक पहुंचती है। फर्क बस इतना है कि शरीर चुपचाप सहता रहता है और हम समझते हैं कि सब ठीक है।


कहानी मुंह से शुरू होती है, लेकिन चोट दिल को लगती है

मसूड़ों पर प्लाक जमा होता है, टार्टर बनता है और धीरे–धीरे सूजन शुरू होती है। कभी मसूड़ों से खून, कभी हल्का दर्द, कभी बदबू… और हम इसे मामूली मानकर अनदेखा कर देते हैं। लेकिन यहीं पर सबसे बड़ा खेल शुरू होता है और मसूड़ों में सूक्ष्म घाव बनते हैं और इन्हीं रास्तों से बैक्टीरिया रक्त में घुलकर शरीर में घूमने लगते हैं। फिर हमारी रक्तवाहिनियों तक पहुंचते ही ये बैक्टीरिया इन्फ्लेमेशन यानी सूजन बढ़ाते हैं और यह सूजन दिल की धमनियों पर सबसे ज्यादा वार करती है।

वैज्ञानिक सबूत साफ और कड़वे हैं

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन  (American Heart Association ) बताती है कि मसूड़ों की बीमारी पैदा करने वाले वही बैक्टीरिया दिल की धमनियों में प्लाक जमा कर ब्लॉकेज बढ़ाते हैं, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। यानी मसूड़ों से खून निकलना हृदय रोग का शुरुआती अलार्म है। लेकिन हम इसे डेंटल प्रॉब्लम कहकर नज़रअंदाज कर देते हैं। लेकिन शरीर हिसाब रखता रहता है।

सबसे खतरनाक चरण

जब बैक्टीरिया लंबे समय तक खून में घूमते रहते हैं तो शरीर लगातार जंग के मोड में रहता है। इसे कहते हैं क्रॉनिक इंफ्लेमेशन अर्थात शरीर के अंदर की सघन सूजन। यह धीमी आग नसों को कमजोर करती है, रक्त प्रवाह कम करती है और दिल की मांसपेशियों पर तनाव बढ़ाती है। साल, दो साल, पांच साल इस स्थिति को सहने के बाद, फिर एक दिन अचानक ब्लड क्लॉट, हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी स्थिति बनती है। ...और हम कहते हैं “यह अचानक कैसे हो गया?”

हृदय के लिए सबसे बड़ा सुरक्षा कवच

यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी (European Journal of Preventive Cardiology-2020) के अनुसार, दिन में दो बार ब्रश करने वालों में हार्ट डिज़ीज का खतरा 12–15% कम होता है। जबकि ओरल हाइजीन खराब रखने वालों में यह जोखिम 25–30% तक बढ़ जाता है।

मेडिकल भाषा में नहीं, जीवन की भाषा में समझें तो ब्रश करना दिल की रक्षा की पहली लाइन है। हम दवाइयां बदलते रहते हैं पर आदत नहीं बदलते। ऐसे में दिल की बीमारी आने पर लोग टेस्ट, दवाई, योग, जिम, सब पर निवेश कर देते हैं। लेकिन जिस जगह बीमारी की शुरुआत होती है, वह जगह सबसे पहले भुला दी जाती है। अर्थात दांत और मसूड़े। क्योंकि हम जानते ही नहीं कि मुंह हमारे दिल की सुरक्षा चौकी है!


शरीर के संकेतों को समझें

जब मसूड़ों से खून आता है

सांसों में दुर्गंध रहती है

दांत ढीले पड़ने लगते हैं

बार-बार कैविटी बनती है

तो यह केवल डेंटल इश्यू नहीं होता। बल्कि दिल का खतरा आने से पहले बजने वाली चेतावनी की घंटी है। क्योंकि हमारा शरीर कभी एकदम नहीं टूटता,पहले इशारा करता है और

फिर चुपचाप सहयोग मिलने की प्रतीक्षा भी करता है और अपने स्तर पर शरीर के मैकेनिज़म को सही रखने के लिए संघर्ष करता रहता है। जब सहयोग नहीं मिलता तो शरीर टूटने लगता है।

कुल मिलाकर, स्वस्थ दांत, साफ सांसें सिर्फ सुंदर मुस्कान नहीं देते बल्कि दिल की धड़कन को सुरक्षित रखते हैं। और दिल सुरक्षित हो तो सेहत लंबे समय तक सुरक्षित बनी रह सकती है।


दांतों से जुड़ी ये 5 गलतियां हम अक्सर करते हैं

वो 5 डेंटल गलतियां, जो चुपचाप दिल पर वार करती हैं और अनजाने में हम रोज़ दोहराते रहते हैं...

पहली गलती- सुबह ही ब्रश करना, रात को छोड़ देना। हम जागने के बाद मुंह साफ करते हैं लेकिन सोने से पहले थकान के कारण टाल देते हैं पर सच उलटा है- दांत रात में ज्यादा हमले झेलते हैं। नींद के दौरान लार कम बनती है और बैक्टीरिया खुलकर बढ़ते हैं।

रात का छोड़ा हुआ ब्रश = पूरी रात बैक्टीरिया का दावत = ज्यादा सूजन = ज्यादा दिल का खतरा।

दूसरी गलती- ब्रश तो करना, लेकिन मसूड़ों को अनदेखा करना। अधिकांश लोग केवल दांत चमकाने को सफाई मानते हैं, जबकि कैंसर, दिल के रोग और इंफेक्शन का खेल मसूड़ों में चलता है। मसूड़ों में हल्की सूजन, खून, दर्द - इन सबको छोटी समस्या समझना। यही सबसे बड़ा जोखिम है क्योंकि दिल की बीमारी मसूड़ों की बीमारी से शुरू होती है- दांतों के पीलेपन से नहीं।

तीसरी गलती- माउथवॉश के भरोसे रहना। चुभन वाला माउथवॉश इस्तेमाल करके लोग सोचते हैं- “मुंह साफ हो गया।” पर असलियत यह है-माउथवॉश गंध छुपाता है, बैक्टीरिया नहीं हटाता। ये ठीक वैसा ही है जैसे शरीर में बुखार हो और सिर्फ परफ्यूम लगाकर बाहर चले जाओ- महक आएगी, पर बीमारी अंदर जलती रहेगी।

चौथी गलती- सालों तक डेंटिस्ट से बचते रहना। शरीर के बाकी डॉक्टरों के पास हम जाते हैं लेकिन दांत का दर्द न उठे तब तक डेंटिस्ट से दूरी बनाए रखते हैं। लेकिन मसूड़ों की बीमारी शुरुआत में बिना दर्द के बढ़ती है। बिना दर्द वाली बीमारी सबसे खतरनाक होती है। क्योंकि जब तक दर्द आता है, नुकसान हो चुका होता है।

पांचवीं गलती- “चलेगा” वाली मानसिकता

दांत में छेद छोटा है-चलेगा

मसूड़े से खून आया-चलेगा

ब्रश आज नहीं हुआ-चलेगा

यह “चलेगा” वाली सोच

वही आदत है जो धीरे-धीरे

दिल को “नहीं चलेगा” वाली स्थिति तक पहुंचा देती है।



डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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