चांदीपुरा वायरस: गुजरात में पहली मौत की खबर, जानें संक्रमण के बारे में पूरी जानकारी
गुजरात में संदिग्ध चांदीपुरा वायरस के कारण एक चार वर्षीय लड़की की मौत हो गई है. इसकी पुष्टि राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) ने की है.
Chandipura Virus: गुजरात में संदिग्ध चांदीपुरा वायरस के कारण एक चार वर्षीय लड़की की मौत हो गई है. इसकी पुष्टि राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) ने की है. यह राज्य में इस तरह की पहली मौत है. बता दें कि गुजरात में अब तक चांदीपुरा वायरस संक्रमण के 14 संदिग्ध मामले सामने आए हैं. इनमें से आठ मरीजों की मौत हो चुकी है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि सभी के नमूने पुष्टि के लिए पुणे स्थित एनआईवी भेजे गए हैं.
एनआईवी भेजे गए सैंपल
साबरकांठा के मुख्य जिला स्वास्थ्य अधिकारी (सीडीएचओ) राज सुतारिया ने कहा कि अरावली के मोटा कंथारिया गांव की चार वर्षीय लड़की, जिसकी साबरकांठा जिले के हिम्मतनगर के सिविल अस्पताल में मौत हो गई थी, का नमूना चांदीपुरा वायरस के लिए सकारात्मक पाया गया है. यह राज्य में चांदीपुरा वायरस संक्रमण के कारण पहली मौत है. साबरकांठा जिले से तीन अन्य लोगों के नमूने एनआईवी को भेजे गए थे, जिनमें संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है. इनमें से एक मरीज की मौत हो गई है. जबकि दो अन्य ठीक हो गए हैं.
मंत्री पटेल ने कहा कि साबरकांठा, अरावली, महिसागर, खेड़ा, मेहसाणा और राजकोट जिलों से संदिग्ध चांदीपुरा वायरस संक्रमण के मामले सामने आए हैं. राजस्थान के दो और मध्य प्रदेश के एक मरीज का भी राज्य के अस्पतालों में इलाज किया गया है. एहतियात के तौर पर प्रभावित क्षेत्रों के 26 आवासीय क्षेत्रों में 44,000 से अधिक लोगों की स्वास्थ्य जांच की गई है.
क्या है चांदीपुरा वायरस?
चांदीपुरा वायरस से बुखार होता है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं और तीव्र इंसेफेलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) होती है. यह रोगज़नक़ रैबडोविरिडे परिवार के वेसिकुलोवायरस जीनस का सदस्य है. यह मच्छरों, टिक्स और सैंडफ़्लाइज़ से फैलता है. मध्य भारत में साल 2003-2004 में हुए प्रकोप के कारण आंध्र प्रदेश और गुजरात में 56-75 प्रतिशत तक मृत्यु दर देखी गई थी, जिसमें विशिष्ट मस्तिष्क ज्वर के लक्षण थे. चांदीपुरा वायरस का नाम महाराष्ट्र के चांदीपुरा गांव के नाम पर पड़ा, जहां साल 1965 में इसका पहला मामला सामने आया था.
डॉक्टरों का कहना है कि चांदीपुरा वायरस एक उभरता हुआ रोगज़नक़ है, जिसने हाल के वर्षों में मनुष्यों, विशेष रूप से बच्चों में गंभीर और अक्सर घातक बीमारियों का कारण बनने की क्षमता के कारण महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया है. इसके लक्षणों में अचानक तेज बुखार, दस्त, उल्टी, दौरे, संवेदी तंत्र में परिवर्तन शामिल हैं, जो लक्षणों की शुरुआत के 24 से 72 घंटों के भीतर मृत्यु का कारण बन सकते हैं.
कोई टीका नहीं
वर्तमान में चांदीपुरा वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कोई टीका नहीं है.
बच्चों को अधिक खतरा
डॉक्टरों का कहना है कि चांदीपुरा वायरस का मुख्य लक्ष्य बच्चे हैं. 9 महीने से 14 वर्ष की आयु के बच्चे आमतौर पर इससे प्रभावित होते हैं.
बचाव
डॉक्टरों का कहना है कि कीटनाशकों के छिड़काव और बच्चों को पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाए. इसके साथ ही सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें और आसपास के वातावरण को साफ रखें.
उपचार
उनका कहना है कि चांदीपुरा वायरस संक्रमण के इलाज के लिए कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवा नहीं है. उपचार मुख्य रूप से IV द्रव, एंटीकॉन्वल्सेन्ट और बुखार नियंत्रण के साथ सहायक है. कुछ मामलों में मैकेनिकल वेंटिलेशन की आवश्यकता हो सकती है.
What is Chandipura Virus infection that has recently caused deaths of several children in Gujarat?
— Dr Sudhir Kumar MD DM (@hyderabaddoctor) July 17, 2024
1. What causes this infection?
Infection is caused by Chandipura virus. (Chandipura is a village in Maharashtra where the first case of this infection was diagnosed in 1965).
2.… pic.twitter.com/bV22uG8TGd