पेरेंट्स की ये भूल बच्चे पर पड़ती है भारी, हो जाती है कब्ज की समस्या
छोटे बच्चे अपनी इच्छाओं और जरूरतों को एक्प्रेस नहीं कर पाते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को ही ध्यान रखना होता है कि बच्चे को पानी पिलाना है, फ्रेश कराना...;
बच्चो में कब्ज़ होना एक आम समस्या है। लेकिन जब यह बार-बार होने लगे तो यह चिंता का कारण बन जाती है। अक्सर माता-पिता सोचते हैं कि वे अपने बच्चे का सही ध्यान रख रहे हैं, फिर भी बच्चे को बार-बार कब्ज की समस्या क्यों हो रही है। तो इसका कारण कुछ ऐसी गलतियां हो सकती हैं, जिन्हें अक्सर पेरेंट्स अनजानें में कर देते हैं। यदि आपका बच्चा भी इस तरह की किसी समस्या से जूझ रहा है तो आपको ये बातें जरूर जान लेनी चाहिए...
बच्चों में क्यों होती है कब्ज की समस्या?
टॉयलेट जाने की आदत में रुकावट
छोटे बच्चे अक्सर खेलने में मशगूल रहने के कारण मल त्याग को टालते रहते हैं। कभी-कभी माता-पिता भी समय की कमी के चलते बच्चों को रोक देते हैं, जो गलत आदतों को जन्म देता है। बच्चों को समय पर टॉयलेट जाने की आदत डालें और उन्हें यह समझाएं कि शरीर के संकेतों को नजरअंदाज़ करना सही नहीं है।
पर्याप्त पानी न पिलाना
बच्चों के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी है। कई माता-पिता केवल खाने पर ध्यान देते हैं, लेकिन यह भूल जाते हैं कि हाइड्रेशन यानी शरीर में पानी की पर्याप्त मात्रा भी पाचन के लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है। पानी मल को मुलायम बनाता है, जिससे उसे बाहर निकालना आसान होता है। इसके अलावा ताजे फलों का रस, नारियल पानी और सूप जैसे तरल पदार्थ भी फायदेमंद होते हैं।
भोजन में फाइबर की कमी होना
ज्यादा प्रोसेस्ड फूड, जंक फूड और रिफाइंड अनाज कब्ज़ की वजह बन सकते हैं। क्योंकि इनमें फाइबर नहीं होता। बच्चों के भोजन में फल, सब्ज़ियाँ, साबुत अनाज और दालें शामिल करनी चाहिए, जो पाचन तंत्र को सक्रिय रखते हैं। आमतौर पर पैरेंट्स बच्चों को ऐसे फूड्स खिलाकर उनका पेट भरना पसंद करते हैं, जिनका स्वाद बच्चे को भाता है। जबकि आपको बचपन से ही बच्चे को पत्तेदार सब्जियां खाने की आदत डालनी चाहिए।
डेयरी उत्पादों का अत्यधिक सेवन
दूध, पनीर और दही जैसे डेयरी प्रोडक्ट्स पोषण के लिए जरूरी होते हैं, लेकिन इनका जरूरत से ज्यादा सेवन कब्ज़ पैदा कर सकता है, खासकर उन बच्चों में जिन्हें डेयरी से संवेदनशीलता हो। डेयरी के साथ संतुलित फाइबरयुक्त भोजन देना जरूरी है।
शारीरिक गतिविधि की कमी
जब बच्चे दिनभर स्क्रीन पर लगे रहते हैं- जैसे टीवी, मोबाइल या टैबलेट पर तो उनका पाचन तंत्र धीमा पड़ सकता है। बाहर खेलना, दौड़ना या हल्की-फुल्की एक्सरसाइज़ पाचन को बेहतर बनाती है और कब्ज़ से राहत देती है।
तनाव और चिंता को नजरअंदाज़ करना
बच्चों में भी मानसिक तनाव या चिंता कब्ज़ की वजह बन सकते हैं। स्कूल का दबाव, परीक्षा, या घर के माहौल में बदलाव जैसी बातें उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती हैं। उन्हें सहारा दें, खुलकर बात करें, और ऐसा वातावरण बनाएं जिसमें वे सहज महसूस करें।
लैक्सेटिव या सपोज़िटरी का बार-बार इस्तेमाल
अक्सर माता-पिता तात्कालिक राहत के लिए बच्चों को लैक्सेटिव्स या सपोज़िटरी दे देते हैं। लेकिन इनका बार-बार इस्तेमाल करने से बच्चा इन पर निर्भर हो सकता है। ऐसे उपाय केवल डॉक्टर की सलाह पर ही किए जाने चाहिए। बेहतर यह है कि खानपान और जीवनशैली में बदलाव लाकर समस्या की जड़ पर काम किया जाए।
बच्चों में कब्ज़ को केवल दवाओं से नहीं बल्कि रोज़मर्रा की आदतों को सुधारकर भी नियंत्रित किया जा सकता है। पर्याप्त पानी, संतुलित आहार, नियमित शारीरिक गतिविधि, समय पर टॉयलेट की आदत और मानसिक संतुलन बनाए रखना। ये सभी उपाय कब्ज़ की समस्या को काफी हद तक रोक सकते हैं। यदि इन बदलावों के बाद भी समस्या बनी रहती है तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। कोई समस्या है तो बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए डॉक्टर से सलाह करें।