भारत में टीकाकरण की बड़ी सफलता, 'शून्य खुराक' बच्चों की संख्या में 43% की गिरावट

WHO के अनुसार, ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि दक्षिण एशियाई देशों ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए कोविड-19 के पूर्व स्तर से भी बेहतर प्रदर्शन किया है.;

Update: 2025-07-15 13:01 GMT

India vaccination: भारत ने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए उन बच्चों की संख्या में 43% की कमी की है, जिन्हें अब तक किसी भी टीके की एक भी खुराक नहीं मिली थी. वर्ष 2023 में जहां ऐसे बच्चों की संख्या 16 लाख थी. वहीं, 2024 में यह घटकर 9 लाख रह गई है. यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ द्वारा जारी वैश्विक टीकाकरण अनुमान 2024 में दी गई.

रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण एशिया क्षेत्र में भी ‘शून्य खुराक’ बच्चों की संख्या में 27% की गिरावट दर्ज की गई है, जो 2023 में 25 लाख से घटकर 2024 में 18 लाख हो गई. इसके साथ ही क्षेत्र में डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस (DTP) टीके की तीसरी खुराक प्राप्त करने वाले शिशुओं की संख्या 2024 में 92% तक पहुंच गई है, जो कि वैश्विक टीकाकरण प्रगति का एक अहम संकेतक माना जाता है. यह आंकड़ा 2023 की तुलना में 2 प्रतिशत अधिक है.

इसी अवधि में DTP टीके की पहली खुराक प्राप्त करने वाले बच्चों का अनुपात 93% से बढ़कर 95% हो गया है. WHO के अनुसार, ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि दक्षिण एशियाई देशों ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए कोविड-19 के पूर्व स्तर से भी बेहतर प्रदर्शन किया है.

उल्लेखनीय प्रगति

भारत और नेपाल में विशेष रूप से मजबूत प्रगति देखने को मिली है. भारत में 43% की गिरावट दर्ज की गई है. जबकि नेपाल ने 52% की गिरावट हासिल की है, जहां 2023 में 23,000 शून्य खुराक बच्चे थे और 2024 में यह संख्या घटकर 11,000 हो गई है. पाकिस्तान ने भी DTP की तीसरी खुराक में अब तक की सबसे अधिक 87% कवरेज हासिल की है. हालांकि, अफगानिस्तान को अभी भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. वहां क्षेत्र में सबसे कम कवरेज दर्ज की गई है और पिछले वर्ष की तुलना में इसमें 1% की गिरावट आई है.

1.4 करोड़ शून्य खुराक बच्चे

वैश्विक स्तर पर वर्ष 2024 में 89% शिशुओं — लगभग 11.5 करोड़ को DTP टीके की कम से कम एक खुराक मिली, जबकि 85% लगभग 10.9 करोड़ ने इसकी तीनों खुराकें पूरी कीं. 2023 की तुलना में एक लाख 71 हजार अधिक बच्चों ने कम से कम एक टीका प्राप्त किया और 10 लाख से अधिक बच्चों ने पूरी तीन-खुराक श्रृंखला पूरी की. हालांकि, इन आंकड़ों में वृद्धि मामूली है, WHO का कहना है कि यह अब भी दर्शाता है कि देश बच्चों को सुरक्षित रखने की दिशा में लगातार प्रगति कर रहे हैं, चाहे चुनौतियां कितनी भी हों.

2024 का लक्ष्य अभी भी पीछे

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2023 में 1.4 करोड़ 'शून्य खुराक' बच्चे थे, जो कि 2024 के लक्ष्य से 40 लाख अधिक हैं और 2019 की तुलना में भी 14 लाख ज्यादा हैं. 2019 को आधार वर्ष माना गया है, जिसके तहत टीकाकरण एजेंडा 2030 की प्रगति को मापा जाता है. WHO के महानिदेशक टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस ने कहा कि टीके जीवन बचाते हैं और लोगों, समुदायों, और राष्ट्रों के विकास का आधार हैं. यह देखकर उत्साहजनक है कि बच्चों को टीके लगवाने की संख्या लगातार बढ़ रही है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है.

उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि “सहायता राशि में कटौती और वैक्सीन की सुरक्षा को लेकर फैल रही गलत सूचनाएं पिछले दशकों की प्रगति को पीछे धकेल सकती हैं. WHO अपने भागीदारों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हर बच्चा टीकों की जीवनरक्षक शक्ति से लाभान्वित हो.

रिपोर्ट में बताया गया कि 195 देशों में से 131 ने 2019 से अब तक DTP की पहली खुराक में 90% से अधिक कवरेज बनाए रखी है. हालांकि, इस संख्या में कोई विशेष वृद्धि नहीं हुई है. वहीं, जिन 64 देशों में 2019 में 90% से कम कवरेज थी, उनमें से केवल 17 ही पिछले 5 वर्षों में सुधार कर पाए हैं. 47 देशों में प्रगति ठहर गई है या पीछे जा रही है, जिनमें से 22 देश ऐसे हैं जो 2019 में 90% के लक्ष्य को पार कर चुके थे लेकिन अब नीचे गिर चुके हैं.

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल ने कहा कि हमें तुरंत और दृढ़ संकल्प के साथ कार्रवाई करनी होगी ताकि स्वास्थ्य बजट में कटौती, अस्थिर स्वास्थ्य प्रणालियों, गलत जानकारी और संघर्षों के कारण पहुंच की बाधाओं को दूर किया जा सके. कोई भी बच्चा उस बीमारी से नहीं मरना चाहिए, जिससे हम उसे पहले से ही बचा सकते हैं.

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