गाय से लेकर नारियल दूध तक, ब्लड शुगर कंट्रोल में ये मिल्क है बेस्ट!

दुनिया के 20 देशों के लोगों पर हुई रिसर्च में पता लगाया गया कि डायबिटिक मरीजों के लिए बेस्ट मिल्क कौन-सा है और कोई व्यक्ति अपने लिए बेस्ट दूध का चुनाव कैसे करे।;

Update: 2025-06-04 02:17 GMT
इस बात को ध्यान में रखकर अपने लिए चुनें दूध का बेस्ट विकल्प

Best Milk In Diabetes: दूध को लंबे समय से एक पोषण शक्ति स्रोत माना गया है। यह कैल्शियम, प्रोटीन और विटामिन B12 से भरपूर होता है, जो मज़बूत हड्डियों को मजबूत करने और और स्वस्थ वृद्धि (Healthy growth) में योगदान देता है। 

लेकिन बात जब मधुमेह यानी डायबिटीज़ (Diabetes) से पीड़ित लोगों के लिए दूध का सही प्रकार चुनने की हो तो एक्स्ट्रा केयरफुल रहने की जरूरत है। क्योंकि सही दूध का चुनाव रक्त शर्करा यानी ब्लड शुगर (Blood Sugar) को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।


एक दिन में कितना दूध पीना सही?

अधिकांश वयस्कों के लिए प्रतिदिन लगभग 250 से 500 मि.ली. दूध का सेवन उपयुक्त माना जाता है, हालाँकि यह मात्रा व्यक्ति की स्वास्थ्य आवश्यकताओं के अनुसार भिन्न हो सकती है। यानी हर किसी की सेहत के स्तर के अनुसार, दूध की मात्रा की जरूरत अलग हो सकती है।


डायबिटिक लोगों के लिए बेस्ट दूध (Best Milk For Diabetic People)

पारंपरिक गाय यानी देसी गाय के दूध में लैक्टोज़ यानी एक प्रकार की प्राकृतिक चीनी ( Natural Sugar) होती है। साथ ही प्रोटीन और वसा भी होते हैं, जो पाचन को धीमा (Slow down the digestion process) करते हैं। इससे ब्लड के अंदर ग्लूकोज जाने की प्रॉसेस भी धीमी हो जाती है, जो ब्लड शुगर को मेंटेन रखने में मदद करती है।

सेहत और दूध के नियमित उपयोग से जुड़ी जिस तरह की ताजा रिसर्च सामने आ रही हैं, उनमें ये बात साबित होती नजर आती है कि डेयरी उत्पादों का सेवन कुछ सुरक्षा लाभ भी दे सकता है। यानी दूध-दही-छाछ-पनीर इत्यादि केवल हेल्दी को इंप्रूव नहीं करते बल्कि बीमारियों से बचाव में भी सहायक होते हैं।

ऐसी ही एक रिसर्च, जो दूध और ह्यूम हेल्थ पर दूध के असर पर आधारित है, प्योर स्टेडी (PURE Study) में यह बात सामने आई कि दूध और अन्य डेयरी उत्पादों का सेवन डायबिटीज, हाई बीपी और मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी समस्याओं के खतरे को कम कर सकता है।

क्या है PURE Study?

PURE (Prospective Urban and Rural Epidemiology) एक लॉन्ग टर्म पब्लिक हेल्थ स्टडी है, जो इंटरनेशनल लेवल पर की गई और इसमें दुनिया के 20 से अधिक देशों के शहरी और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को फोकस में रखा गया। इस स्टडी का उद्देश्य यह समझना है कि फूड, लाइफस्टाइल, सोशल लाइफ और एंवायरमेंट, हार्ट डिजीज, डायबिटीज और क्रॉनिक मेटाबॉलिक डिजीज को किस तरह प्रभावित करते हैं।

स्टडी में क्या मिला?

अध्ययन में शामिल लोगों की खाद्य आदतों और स्वास्थ्य स्थितियों का वर्षों तक गहन विश्लेषण किया गया।

डेयरी उत्पादों (जैसे दूध, दही, पनीर) का नियमित सेवन करने वाले लोगों में टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, और मेटाबॉलिक सिंड्रोम होने की संभावना कम पाई गई।

यह रिजल्ट बताता है कि डेयरी उत्पाद, विशेष रूप से फुल-फैट डेयरी, हानिकारक नहीं बल्कि संरक्षणकारी (protective) हो सकते हैं यदि इन्हें संतुलित मात्रा में लिए जाएं।

भारत की ओर से डॉ. वी. मोहन ने इस रिसर्च को लीड किया। ये भारत के अग्रणी मधुमेह विशेषज्ञों में से एक हैं। इन्होंने इस अध्ययन में भारत से जुड़े आंकड़ों और विश्लेषण में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय संदर्भ में भी डेयरी का एक सकारात्मक प्रभाव हो सकता है।

अलग तरह के दूध का अलग असर

सभी प्रकार के दूध समान नहीं होते। फुल क्रीम दूध (Whole Milk) में संतृप्त वसा यानी सेचुरेटेड फैट (saturated fat) अधिक होता है, जो हार्ट डिजीज के रिस्क में आने वाले लोगों के लिए सही नहीं कहा जा सकता। इसके उलट, लो-फैट या स्किम्ड मिल्क में फैट की मात्रा कम तो होती है लेकिन इसके आवश्यक पोषक तत्व बरकरार रहते हैं। यही कारण है कि मधुमेह रोगियों (Diabetic Patients) के लिए यह एक अच्छा विकल्प है।

प्लांट-बेस्ड मिल्क

पिछले कुछ साल में प्लांट बेस्ड मिल्क के प्रति लोगों का झुकाव काफी तेजी से बढ़ा है। केवल शहरी लोगों में ही नहीं बल्कि उन लोगों में भी जो ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए सही फूड की तलाश में लगे रहते हैं। यहां जानें, किस प्लांट बेस्ड मिल्क का डायबिटीज के रोगियों पर कैसा असर होता है...

बादाम दूध (Almond Milk): इसमें कार्बोहाइड्रेट और कैलोरी में कम होती है। बिना मीठा किया गया बादाम दूध मधुमेह रोगियों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स (GI) कम होता है और यह ब्लड शुगर को तेजी से नहीं बढ़ाता। हालाँकि नैचुरल रूप से इसमें प्रोटीन भरपूर मात्रा में नहीं होता है लेकिन अधिकांश व्यावसायिक ब्रांड इसमें कैल्शियम और विटामिन D मिलाकर बेचते हैं।

सोया दूध (Soy Milk): दूध के प्लांट-बेस्ड विकल्पों में सोया दूध की बात की जाए तो इसमें प्रोटीन लेवल काफी हाई होता है, जो गाय के दूध के बराबर होता है। बिना मीठा किया गया सोया दूध कम से मध्यम GI श्रेणी में आता है, इसमें आइसोफ्लेवोन्स होते हैं, और यह कार्ब्स, प्रोटीन और फैट सभी बैलंस रूप में प्रदान करता है, जिससे ब्लड शुगर स्थिर रहता है।

मटर दूध (Pea Milk): पी मिल्क, डायबिटीज़-फ्रेंडली विकल्पों में से एक है। बिना मीठा यानी एडेड शुगर के बिना लिए जाने वाले मटर के दूध में प्रति सर्विंग लगभग 8 ग्राम प्रोटीन और केवल 4.5 ग्राम कार्बोहाइड्रेट होता है। इसका GI एक से भी कम होता है, जो पाचन को धीमा करता है और एनर्जी लेवल को मेंटेन रखने में मदद करता है। हाई न्यूट्रिशन वैल्यू के साथ ही ये फाइबर से भरपूर होता है। इसलिए ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए यह एक सॉलिड चॉइस माना जा सकता है।

दूध का सही विकल्प कैसे चुनें?

दूध चुनते समय सभी को कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। फिर चाहे आप डेयरी मिल्क ले रहे हों या प्लांट-बेस्ड मिल्क...

कोशिश करें कि आप हमेशा बिना मीठा किया गया (unsweetened) विकल्प चुनें ताकि अतिरिक्त शर्करा को शरीर में डालने से बचा जा सके।

हमेशा न्यूट्रिशन लेबल चेक करें, विशेष रूप से कार्बोहाइड्रेट की मात्रा, ग्लाइसेमिक इंडेक्स और प्रोटीन स्तर।

कैल्शियम और विटामिन D से युक्त (fortified) प्लांट-बेस्ड दूध यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके शरीर को ज़रूरी पोषक तत्व मिलते रहें।

डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति के लिए सबसे उपयुक्त दूध उनके सम्पूर्ण आहार, स्वास्थ्य स्थिति और व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है।


हालांकि सही विकल्प चुनने से दूध इनके पोषण का एक सुरक्षित हिस्सा बना रह सकता है, खासकर उस डायट का हिस्सा, जो स्पेशली डायबिटिक लोगों के लिए डिजाइन की जाती है।

डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।

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