जीएसटी में राहत से सस्ती हुई इलाज की राह, विशेषज्ञों ने बताया बड़ा फायदा
22 सितंबर से लागू हो रहे ये जीएसटी सुधार न सिर्फ मरीजों के इलाज को सस्ता बनाएंगे, बल्कि पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाएंगे। सरकार का यह कदम भारत को सस्ती और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।;
सरकार द्वारा 22 सितंबर से लागू किए जा रहे नए जीएसटी सुधारों (GST Reforms) को स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों और उद्योग से जुड़े लोगों ने बेहद सकारात्मक कदम बताया है। इन सुधारों के तहत कैंसर व दुर्लभ बीमारियों की जान बचाने वाली दवाओं पर GST 12% से घटाकर 0%, डायग्नोस्टिक किट्स, उपकरण और सामग्री पर GST 12% से घटाकर 5% और हेल्थ व लाइफ इंश्योरेंस पर GST पूरी तरह माफ कर दिया गया है।
गंभीर बीमारियों के इलाज पर खर्च घटेगा
एमजीएम कैंसर इंस्टिट्यूट, चेन्नई की डॉ. धानुजा भौमिक ने बताया कि इस कदम से मरीजों को महंगी दवाओं की लागत में बड़ी राहत मिलेगी। इन दवाओं में शामिल हैं:-
- Daratumumab (मल्टीपल मायलोमा)
- Teclistamab (ब्लड कैंसर)
- Amivantamab और Alectinib (लंग कैंसर)
उन्होंने कहा कि ये दवाएं एक बार की नहीं, बल्कि बार-बार देने वाली दवाएं हैं। जीएसटी में राहत से मरीज इलाज बीच में नहीं छोड़ेंगे और पौष्टिक आहार जैसी सपोर्टिव देखभाल पर भी खर्च कर सकेंगे।
डायग्नोस्टिक उपकरण अब होंगे सस्ते
डॉ. जीएसके वेलु, चेयरमैन, ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर, ने कहा कि ये सुधार स्वास्थ्य उद्योग के साथ-साथ पूरी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देंगे। GST में कटौती इन उपकरणों पर लागू होगी:-
* डायग्नोस्टिक किट्स
* ग्लूकोमीटर और टेस्ट स्ट्रिप्स
* थर्मामीटर
* मेडिकल ऑक्सीजन
* चश्मे (Corrective Spectacles)
वी. गोविंदराजन, आर्थी स्कैन एंड लैब्स के फाउंडर ने कहा कि इससे जांच सेवाएं सस्ती होंगी, समय पर टेस्टिंग को बढ़ावा मिलेगा और बीमारियों का जल्दी पता चलेगा।
हेल्थ इंश्योरेंस पर जीएसटी माफ
अब स्वास्थ्य और जीवन बीमा (Health & Life Insurance) पर कोई जीएसटी नहीं लगेगा, जिससे बीमा प्रीमियम घटेगा, ज्यादा लोग बीमा ले पाएंगे, इलाज का खर्च कम होगा और समय पर मेडिकल केयर मिलेगी। केयर हेल्थ इंश्योरेंस के COO मनीष डोडेजा ने कहा कि ये कदम स्वास्थ्य बीमा को सस्ता बनाएगा और लोगों को समय पर इलाज के लिए प्रेरित करेगा।
फार्मा उद्योग को भी मिलेगा लाभ
* दवाओं की मांग बढ़ेगी।
* उत्पादन और निवेश में तेजी आएगी।
* नवाचार (Innovation) को बढ़ावा मिलेगा।
* पब्लिक हेल्थ केयर पर दबाव कम होगा।