रिसर्च- बहरापन रोकने के लिए प्रेग्नेंसी में वैक्सिनेशन का अहम रोल
हमें सुनने की शक्ति को बचाने के लिए वैक्सीनेशन के फायदों पर फोकस बढ़ाना होगा। वैक्सीन केवल जान बचाने के लिए नहीं बल्कि बहरापन रोकने के लिए भी जरूरी है...;
Loss Of Hearing Cause And Prevention : दुनियाभर में 1.5 अरब से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह की सुनने की समस्या से जूझ रहे हैं। इसे पढ़ते ही आपके मन में पहला विचार आया होगा कि "अरे, ये तो उम्र बढ़ने की बात है!" लेकिन रुकिए... सच्चाई इससे कहीं ज्यादा चौंकाने वाली है। क्योंकि कई बार बचपन या किशोरावस्था में हुए संक्रमण भी हमारी सुनने की क्षमता पर असर डाल सकते हैं। और हैरानी की बात ये है कि इनमें से कई बीमारियां वैक्सीनेशन से रोकी जा सकती हैं।
ज्यादा खतरा कहां है?
कम और मध्यम-आय वाले देशों में (जैसे भारत), जहां हियरिंग केयर तक पहुंच सीमित है।
WHO के मुताबिक, 60% तक बचपन की हियरिंग लॉस को रोका जा सकता है — बस सही समय पर वैक्सीनेशन करके।
अब एक सवाल
क्या किसी वैक्सीन से सिर्फ बीमारियां ही नहीं बल्कि बहरापन भी रोका जा सकता है? इसी सवाल की गहराई से जांच की है Universite de Montreal की एक रिसर्च टीम ने और इस शोध के नतीजे काफी रोचक हैं।
क्या पता चला रिसर्च में?
वैज्ञानिकों ने 26 ऐसे वायरस और बैक्टीरिया की पहचान की जो सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इनमें विशेषरूप से ये बैक्टीरिया और वायरस शामिल हैं...
रुबेला: अगर गर्भावस्था के दौरान हो जाए, तो बच्चे में जन्मजात बहरापन तक हो सकता है।
मम्प्स: सीधे कान के अंदरूनी हिस्से और श्रवण तंत्रिका को नुकसान पहुंचा सकता है।
मेनिन्जाइटिस के कारक बैक्टीरिया (जैसे Streptococcus pneumoniae)- स्थायी सुनने की क्षति का बड़ा कारण।
लेकिन क्या ये साबित हुआ है?
रिसर्चर्स ने पिछले 40 सालों की स्टडीज़ खंगालीं
हजारों में से सिर्फ 9 स्टडीज़ ही इस विषय पर ठोस साबित हुईं।
और वो भी सिर्फ रुबेला, मम्प्स और न्यूमोकोकस पर वो भी केवल अमीर देशों में की गई थीं।
फिर भी कुछ सबूत सामने आए
ऑस्ट्रेलिया: रुबेला वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद जन्मजात बहरापन में बड़ी गिरावट।
स्वीडन: MMR (Measles-Mumps-Rubella) वैक्सीनेशन के बाद बच्चों की सुनने की समस्याएं घटीं।
जापान व अमेरिका: मम्प्स से जुड़े बहरापन में वैक्सीनेशन से कमी।
ध्यान दें, प्युमोकोकल वैक्सीन का असर मिडिल ईयर इन्फेक्शन (Serous Otitis Media) पर बहुत खास नहीं दिखा, और ये संक्रमण सीधे हियरिंग लॉस का संकेत भी नहीं।
एक और ज़रूरी सवाल
क्या लोग ये जानते हैं कि वैक्सीन सिर्फ जान बचाने नहीं बल्कि सुनने की क्षमता भी बचा सकती है? शायद ऐसा नहीं है। क्योंकि अगर ऐसा होता तो लोग खुद ही प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला का इतना ध्यान रखते और उसे वैक्सिनेशन सेंटर या हॉस्पिटल लाकर इस तरह की वैक्सीन लगवाते। ऐसा होने पर बहरेपन का शिकार होने वाले लोगों का आंकड़ा इतना अधिक नहीं होता! इसलिए वैक्सिनेशन को लेकर जागरूकता बढ़ाना बेहद जरूरी है।
क्या करना चाहिए?
अगर MMR या रुबेला जैसी वैक्सीन्स जान बचाती हैं और हियरिंग लॉस भी रोकती हैं तो हमें यह बात लोगों तक पहुंचानी होगी। यह जानकारी न सिर्फ वैक्सीनेशन प्रोग्राम को मजबूत करेगी, बल्कि vaccine hesitancy यानी हिचकिचाहट भी कम करेगी।
ये है शोधकर्ताओं की टीम
ये रिसर्च कनाडा की Universite de Montreal की School of Public Health (ESPUM) से जुड़ी एक शोध टीम द्वारा की गई। जिसका उद्देश्य ये जानना था कि क्या वैक्सीनेशन बच्चों और किशोरों में सुनने की समस्याओं को रोक सकता है? इस टीम ने इस विषय पर पिछले 40 वर्षों में हुई रिसर्च और डेटा इत्यादि की समीक्षा की। यह रिसर्च Communications Medicine में प्रकाशित हुई है। और इस टीम में शामिल रहे वैज्ञानिकों के नाम ये हैं...
प्रोफेसर मीरा जोहरी (स्वास्थ्य प्रबंधन विभाग, ESPUM)
शोघिग टेहिनियन (पीएचडी शोधार्थी, ESPUM)
मिरियम सिएलो पेरेज़ ओसोरियो (स्वास्थ्य शोधकर्ता, मॉन्टेरी)
एनिस बारिस (प्रोफेसर, वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी)
ब्रायन वाह्ल (प्रोफेसर, येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ)
प्रोफेसर मीरा जोहरी याद दिलाती हैं “कुछ दशक पहले मॉन्ट्रियल में बहरे बच्चों के लिए अलग संस्थान बनाना पड़ा था। लेकिन अब, वैक्सीनेशन और एंटीबायोटिक्स की वजह से सुनने की समस्याएं बेहद कम हो गई हैं।” तो क्यों न इस सफलता की कहानी को पूरी दुनिया में दोहराया जाए?
वैक्सीन सिर्फ बीमारी से नहीं, बहरापन जैसे बड़े नुकसान से भी बचा सकती है। शर्त बस इतनी है कि हम इसकी जानकारी को सही समय और सही तरीके से साझा करें।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।