क्यों डॉक्टर कह रहे हैं कि 40 की उम्र में हार्ट अटैक का है अधिक खतरा?
कुछ आदतें मिलकर दिल के खिलाफ एक धीमी घेराबंदी तैयार कर चुकी होती हैं। लेकिन ज्यादातर लोग इन सबको बिना किसी चिंता के ढोते रहते हैं और ये भूल जाते हैं कि...
जीवन में 40 की उम्र आते-आते ज़िंदगी स्थिर दिखती है। जैसे, करियर पटरी पर, परिवार व्यवस्थित, जिम्मेदारियां स्पष्ट। बाहर से सब कुछ संतुलित दिखता है। लेकिन भीतर शरीर एक ऐसी लड़ाई लड़ना शुरू कर देता है, जिसकी भनक तक हमें नहीं लगती। कार्डियोलॉजिस्ट्स आज सबसे ज़्यादा जिस बात को लेकर चेतावनी दे रहे हैं, वह यह है कि 40 की उम्र दिल के लिए सबसे खतरनाक दशक बन चुकी है। चौंकाने वाली बात यह है कि दिल पर होने वाला यह हमला धीरे-धीरे, बिना आवाज़, बिना दर्द और बिना किसी बड़े संकेत के शुरू होता है और जितना शांत होता है, उतना ही घातक भी।
क्यों 40 की उम्र में हो रहे हैं अधिक हार्ट अटैक?
असल समस्या यह है कि हम 40 तक पहुंचते-पहुंचते शरीर के बदलावों को 'सामान्य' मान लेते हैं। नींद खराब हो जाए तो कहते हैं तनाव है। थकान बनी रहे तो मान लेते हैं कि काम ज़्यादा है। लगातार एसिडिटी, बेचैनी या सीने में हल्का दर्द भी 'रूटीन लाइफस्टाइल' समझकर टाल देते हैं। जबकि यही वह समय होता है, जब दिल सबसे अधिक चोट झेल रहा होता है।
उम्र का दबाव, धमनियों की लचक कम होना, तनाव बढ़ना, पेट की चर्बी में वृद्धि, शराब और स्मोकिंग जैसी आदतें, भोजन का अनियमित समय, ब्लड प्रेशर और शुगर जैसी दिक्कतें। ये सब मिलकर दिल के खिलाफ एक धीमी घेराबंदी तैयार कर चुके होते हैं। लेकिन हममें से ज्यादातर लोग इन सबको बिना किसी चिंता के ढोते रहते हैं और ये भूल जाते हैं कि हमारे साथ इन समस्याओं का बोझ हमारा दिल भी झेल रहा होता है।
40 की उम्र में हार्ट अटैक का विज्ञान
40 की उम्र में हार्ट अटैक से जुड़े इन कारणों को वैज्ञानिक शोध भी पूरी तरह समर्थन देते हैं। इसी विषय में साइंसडायरेक्ट (Sciencedirect) की Lifetime Coronary Heart Disease स्टडी बताती है कि अगर कोई व्यक्ति 40 साल का है तो उसके जीवन में आगे चलकर दिल की बीमारी होने की संभावना पुरुषों में लगभग 50% और महिलाओं में 31.7% तक है।
साल 2024 की PubMed की रिसर्च बताती है कि 40–79 वर्ष के वे लोग जिनमें शुगर, ब्लड प्रेशर या कोलेस्ट्रॉल है लेकिन इलाज और नियंत्रण पर ये काम नहीं कर रहे हैं, उनमें आने वाले 10 वर्षों में हृदय रोग का खतरा बहुत अधिक होता है। UK Biobank की साल 2023 की रिपोर्ट ने भी यह स्पष्ट किया कि 40 की उम्र के बाद दिल का सबसे बड़ा दुश्मन पेट की चर्बी, मोटापा, हाई BP और स्मोकिंग हैं। यदि आप चाहें तो इन जोखिमों को बदला जा सकता है, यानी इन्हें नियंत्रित करना हमारे हाथ में है। भारत में हुए अध्ययन (2016) बताते हैं कि दिल की बीमारी अब बुज़ुर्गों की नहीं रही यह तेजी से 30s और 40s में भी दिख रही है। यानी युवा-मध्यम आयु वर्ग अब बड़े खतरे में है।
हार्ट अटैक की सबसे डरावनी बात
हार्ट अटैक की सबसे डरावनी बात यह है कि शुरू में शरीर संकेत नहीं देता। दिल पर चोट तो लगती रहती है लेकिन आवाज़ नहीं आती। जो दिखता नहीं, वह चौंकाता भी नहीं। और एक दिन यही खामोशी दिल पर अचानक हमले में बदल जाती है और परिणाम में मिलता है- हार्ट अटैक, दिल की नसें ब्लॉक, स्ट्रोक या गंभीर हृदय-रोग के रूप में। इसलिए कार्डियोलॉजिस्ट्स इस दशक को “Silent Decade of Heart Damage” कह रहे हैं। यानी नुकसान होता रहता है और पता बाद में चलता है।
हार्ट अटैक से डरना मना है
ऊपर जिन भी स्थितियों की बात हुई है, इन सबके बाद भी अच्छी बात यह है कि 40 की उम्र डर की नहीं समझदारी की उम्र है। यही वह समय है, जब दिल को बचाया जा सकता है। धूम्रपान और शराब को “कभी-कभार” वाला टैग देकर बचना अब संभव नहीं है। क्योंकि 40 के बाद ये दिल को सीधी चोट हैं। पेट का बढ़ना उम्र का नहीं, बीमारी का संकेत है। इसे हल्के में लेना भूल होगी। चलना, स्ट्रेचिंग या थोड़ी-सी फिजिकल एक्टिविटी केवल शरीर को नहीं, दिल को भी सुरक्षा देती है। हर दिन 7–8 घंटे की नींद कोई विलासिता नहीं, दिल की मरम्मत है। और सबसे महत्वपूर्ण बात है, ब्लड प्रेशर, शुगर, कोलेस्ट्रॉल और ECG की जांच डॉक्टर की सलाह पर नहीं, सालाना स्वास्थ्य की अनिवार्य दिनचर्या होनी चाहिए।
दिल हर दिन आपके लिए धड़कता है, वो भी बिना रुकावट, बिना छुट्टी, बिना शिकायत। इसलिए 40 की उम्र के बाद उसकी सुरक्षा अब संयोग या किस्मत पर नहीं छोड़ी जा सकती। यह वह दशक है, जिसमें सही निर्णय दिल को पूरे जीवन सुरक्षित रख सकते हैं और गलतियां दिल को चुपचाप कमजोर बना सकती हैं।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।