टल जाएगा हार्ट अटैक से मृत्यु का खतरा, समय रहते दें ये दवाएं!

हृदयघात यानी हार्ट अटैक आने से ठीक पहले अगर सही दवाई मिल जाए तो दिल को होने वाला नुकसान कम किया जा सकता है। लेकिन लोग इस बात से बिल्कुल अनजान रहते हैं...

Update: 2025-12-08 19:22 GMT
हार्ट अटैक के दौरान जान बचाने का उपाय
Click the Play button to listen to article

दिल के दौरे से होने वाली मृत्यु को अचानक होने वाली मौत की तरह समझा जाता है। जबकि सच्चाई यह है कि अटैक के दौरान हृदय का नुकसान मिनट-दर-मिनट बढ़ता है। जितनी देर मेडिकल सहायता के लिए इंतजार किया जाता है, उतना ज्यादा हार्ट मसल (heart muscle) मरने लगती हैं। इसलिए मेडिकल साइंस में इसे 'गोल्डन ऑवर' कहा जाता है। इस समय में लिया गया सही कदम जीवन बचा सकता है और हृदय की क्षति को कम कर सकता है।

हार्ट अटैक के दौरान क्या करें?

अगर हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई देने लगें और मेडिकल मदद आने में देर हो रही हो तो कुछ विशेष दवाएं दिल को नुकसान से बचाने में भूमिका निभा सकती हैं। खासकर ब्लड क्लॉट बनने की प्रक्रिया को धीमा करके। लेकिन खास बात यह है कि कोई भी अपने स्तर पर इनका प्रयोग नहीं करता। इसलिए यह जानकारी जागरूकता के लिए है और इन्हें सिर्फ डॉक्टर की सलाह और प्रिस्क्रिप्शन के तहत ही लिया जाता है।


अब बात करते हैं उन वैज्ञानिक रिसर्च की, जो इस दावे को आधार देती हैं कि यह बात कोई अंदाजा या तुक्का नहीं है। बल्कि बड़े क्लिनिकल ट्रायल्स पर आधारित हैं। साल 2006 में प्रकाशित एक महत्त्वपूर्ण अध्ययन “Clopidogrel plus Aspirin versus Aspirin Alone for Preventing Atherothrombotic Events” में यह साबित हुआ कि एसपिरिन (Aspirin) के साथ क्लोपिडोग्रेल (Clopidogrel) देने से रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी तरीके से धीमी होती है। साथ ही हृदयघात या स्ट्रोक जैसी घटनाओं का खतरा कम होता है। यानी दो दवाओं के मिलने से यह सुरक्षा और प्रभाव बढ़ जाते हैं। हालांकि रक्तस्त्राव (Bleeding) का जोखिम भी बढ़ता है। इसलिए इसे डॉक्टर की अनुमति के बिना शुरू नहीं किया जा सकता।

हार्ट मसल्स डैमेज को कैसे कम करें?

इसी तरह वर्ष 2010 के ARMYDA-ACS ट्रायल ने दिखाया कि अगर दिल के दौरे से जूझ रहे मरीज को अस्पताल पहुंचने से पहले ही एटोरवैस्टैटिन (Atorvastatin (एक स्टैटिन दवा) की उच्च मात्रा दी जाए तो हार्ट मसल डैमेज कम होता है। और साथ ही आगे की कार्डियक घटनाओं में कमी दिखाई देती है। इसका मतलब यह है कि स्टैटिन के प्रभाव को शुरुआती चरण में शुरू कर देना भी दिल की सुरक्षा में भूमिका निभा सकता है।

इस बारे में केवल तात्कालिक जोखिम ही नहीं, दीर्घकालिक सुरक्षा पर भी रिसर्च हैं। 'Lifelong Aspirin for Secondary Prevention of Cardiovascular Events' (2020) अध्ययन में पाया गया कि जिन मरीजों को एक बार हार्ट अटैक या स्ट्रोक हो चुका है, वे यदि डॉक्टर की निगरानी में नियमित कम-डोज़ एस्पिरिन लेते रहें तो दोबारा हृदयघात का खतरा काफी कम हो जाता है।

हार्ट अटैक से कैसे बचें?

सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि चिकित्सा विज्ञान यह भी कहता है कि हृदय रोग की रोकथाम हार्ट अटैक के पहले भी शुरू की जा सकती है। साल 1995 की प्रसिद्ध WOSCOPS स्टडी में पाया गया कि जिन पुरुषों का कोलेस्ट्रॉल स्तर ऊंचा था लेकिन अभी तक हार्ट अटैक नहीं आया था, उन्हें प्रवास्टैटिन (Pravastatin) देने से कोरोनरी हार्ट डिज़ीज़ की घटनाओं में 31% तक की कमी दर्ज की गई। यानी हार्ट डैमेज को कम करना सिर्फ इमरजेंसी की दौड़ नहीं बल्कि समय पर दवाओं, सही डाइट और जीवनशैली के प्रबंधन से भी संभव है।


क्यों होता है हार्ट अटैक?

इन शोधों में एक बात समान है, हार्ट अटैक को अचानक आने वाली मौत की तरह देखने की आदत हमारी सबसे बड़ी गलती है। शरीर हर हमले से पहले संकेत देता है जैसे, सीने में भारीपन, पसीना आना, झटके जैसा दर्द, पीठ या बाएं हाथ में तकलीफ, सांस चढ़ना, असामान्य कमजोरी इत्यादि। लेकिन हम इन लक्षणों को 'थकान' या 'गैस' मानकर नजरअंदाज करते रहते हैं। फिर जब लक्षण बढ़ जाते हैं, तब हम डॉक्टर को फोन करते हैं।

यदि किसी को पहले से हृदय रोग रहा हो, ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो, कोलेस्ट्रॉल ऊंचा हो, डायबिटीज़ हो या हार्ट अटैक का पारिवारिक इतिहास हो तो यह जोखिम और बढ़ जाता है। ऐसे लोगों को हमेशा डॉक्टर-प्रिस्क्राइब्ड दवाएं पास में रखने और समय पर लेते रहने की सख्त आवश्यकता है। क्योंकि हार्ट आपको “गोल्डन ऑवर” में बचाव का अवसर देता है। लेकिन उसे बचा पाना तैयारी पर निर्भर करता है।

कुल मिलाकर हार्ट अटैक अचानक नहीं होता। बल्कि हमारी अनदेखी और लापरवाही के कारण होता है। समय पर दवा, समय पर इलाज और समय पर लक्षण पहचान लेना यही तीन चीजें दिल को नुकसान से बचाती हैं और जीवन बचाती हैं।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।


Tags:    

Similar News