इस तरह मापते हैं हीटवेव, जानें कितनी गर्मी झेल सकता है मानव शरीर?
देश के अधिकांश हिस्सों में गर्मी प्रकोप ढा रही है. ऐसे में आने वाले दिनों में हीटवेव का सामना करना पड़ सकता है.
Heat Waves: देश के अधिकांश हिस्सों में गर्मी प्रकोप ढा रही है. कई जगहों पर तो पारा 40 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया है. अभी तो मई की शुरुआत भर हुई है और पूरा महीना और जून बाकी है. ऐसे में जाहिर है कि लोगों को आने वाले दिनों में हीटवेव का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि मौसम विभाग हीटवेव का पैमाना कैसे सेट करता है. यानी कि कितने तापमान पर माना जाता है कि हीटवेव शुरू हो गई है और इंसानों का शरीर कितने टेंपरेचर तक की गर्मी को सहन कर सकता है.
जानकारी के अनुसार, मैदानी इलाकों में जब पारा 40 डिग्री, तटीय इलाकों में 37 डिग्री और पहाड़ी इलाकों में 30 डिग्री को पार कर जाता है, तो मौसम विभाग हीटवेव का ऐलान कर देता है. हालांकि, अलग-अलग जगहों पर सामान्य तापमान के पैमाने अलग होते हैं. ऐसे में जब किसी जगह पर पारा सामान्य से 4.5 से लेकर 6.4 डिग्री अधिक रहता है तो भी हीटवेव की घोषणा कर दी जाती है.
दुनिया में तापमान को दो तरह के थर्मामीटर से मापा जाता है. इसमें पहला 'ड्राई बल्ब' थर्मामीटर और दूसरा 'वेट बल्ब' थर्मामीटर है. ड्राई बल्ब थर्मामीटर से हवा का तापमान मापा जाता है. वहीं, वेट बल्ब थर्मामीटर से हवा की नमी या उमस को मापा जाता है. भारत में वेट बल्ब थर्मामीटर के नतीजे को अधिक प्राथमिकता दी जाती है.
इंसानों के लिए 35 डिग्री तक के तापमान को सामान्य समझा जाता है. इससे ज्यादा टेंपरेचर इंसानी शरीर के लिए दिक्कतें खड़ी कर सकता है. किसी भी जगह 35 डिग्री से ज्दाया तापमान होने पर हवा में नमी की मात्रा बढ़ जाती है. इस वजह से पसीना भाप बनकर उड़ नहीं पाता है और शरीर की गर्मी कम नहीं होती है. अगर इंसान ऐसी स्थिति में लगातार छह घंटों तक रहता है तो हीटस्ट्रोक से उसकी मौत भी हो सकती है. हालांकि, वेट बल्ब थर्मामीटर में छह घंटे से ज्यादा 35 डिग्री से ऊपर तापमान होने की स्थिति अभी तक दर्ज नहीं की गई है.