मस्ती से धड़केगा दिल, जब कम होगा कोलेस्ट्रॉल और नियंत्रित होगा ब्लड फ्लो

ऐसा बिल्कुल नहीं है कि कोलेस्ट्रॉल हमेशा बुरा ही होता है। बल्कि यह तब तक हमें हेल्दी रहने में मदद करता है, जब तक इसका लेवल नॉर्मल बना रहता है। जानें पूरी बात...;

Update: 2025-03-15 12:52 GMT

कोलेस्ट्रॉल एक वसायुक्त पदार्थ है, जो रक्त में पाया जाता है और कोशिकाओं के निर्माण व हार्मोन उत्पादन के लिए आवश्यक होता है। लेकिन जब कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत अधिक हो जाता है तो यह हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के खतरे को बढ़ा सकता है। कोलेस्ट्रॉल का संतुलन बनाए रखना अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। सही खान-पान, स्वस्थ जीवनशैली और नियमित व्यायाम से कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे हृदय स्वस्थ बना रहता है।

कोलेस्ट्रॉल मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है...

लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (LDL) – इसे "खराब" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है क्योंकि यह धमनियों में जमा होकर ब्लॉकेज पैदा कर सकता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।

हाई-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (HDL) – इसे "अच्छा" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है क्योंकि यह रक्त से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को हटाकर हृदय रोग के खतरे को कम करता है।

इसके अलावा ट्राइग्लिसराइड्स नामक एक अन्य प्रकार की वसा भी रक्त में पाई जाती है, जिसका स्तर अधिक होने पर हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के कारण

कोलेस्ट्रॉल का स्तर कई कारणों से बढ़ सकता है, जिनमें शामिल हैं...

अस्वस्थ आहार: अधिक मात्रा में तले हुए खाद्य पदार्थ, जंक फूड और लाल मांस खाने से LDL कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है।

शारीरिक गतिविधि की कमी: व्यायाम न करने से वजन बढ़ता है और HDL कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम हो सकता है।

मोटापा: अधिक वजन LDL और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को बढ़ाता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।

धूम्रपान और शराब का सेवन: धूम्रपान HDL को कम करता है, जबकि अधिक शराब पीने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर असंतुलित हो सकता है।

अनुवांशिक कारण: यदि परिवार में किसी को उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या रही हो, तो यह आनुवंशिक रूप से अगली पीढ़ी में भी हो सकता है।


कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करने के लिए आहार परिवर्तन

संतुलित आहार कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अब संतुलित आहार किसे कहते हैं, ये जानना बहुत आवश्यक है। यहां जानें, आपको क्या खाना है...

फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाएं: ओट्स, दालें, फल और हरी सब्जियां घुलनशील फाइबर से भरपूर होती हैं, जो LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करती हैं।

स्वस्थ वसा को प्राथमिकता दें: संतृप्त वसा (Saturated fat) और ट्रांस फैट के बजाय, अखरोट, बादाम, जैतून का तेल, और एवोकाडो जैसे खाद्य पदार्थों में मौजूद असंतृप्त वसा को अपने आहार में शामिल करें। ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर मछली जैसे साल्मन और अलसी के बीज भी फायदेमंद होते हैं।

प्रसंस्कृत (Processed) और मीठे खाद्य पदार्थों से बचें: ज्यादा शुगर और प्रोसेस्ड फूड से शरीर में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ सकता है। इसलिए हेल्दी और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

प्रोटीन के लिए वनस्पति स्रोत चुनें: दालें, टोफू, नट्स और बीज अच्छे विकल्प हैं, क्योंकि लाल मांस और प्रोसेस्ड मीट में संतृप्त वसा की अधिकता होती है।

एंटीऑक्सीडेंट युक्त खाद्य पदार्थ खाएं: हरी सब्जियां, बेरीज, ग्रीन टी और डार्क चॉकलेट में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में सूजन को कम करके हृदय को सुरक्षित रखते हैं।

स्वस्थ जीवनशैली से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित करें

नियमित व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट तक तेज चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना या तैराकी करना HDL को बढ़ाता है और वजन नियंत्रित रखता है।

धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और HDL को कम करता है। इसे छोड़ने से हृदय स्वास्थ्य में सुधार होता है।

शराब का सेवन सीमित करें: अधिक शराब पीने से ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर बढ़ सकता है, इसलिए संयम से ही सेवन करें।

तनाव प्रबंधन करें: तनाव अधिक खाने और अस्वस्थ जीवनशैली की ओर धकेल सकता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल बढ़ सकता है। योग, ध्यान और गहरी सांस लेने की तकनीकें तनाव कम करने में मदद कर सकती हैं।

स्वस्थ वजन बनाए रखें: वजन कम करने से LDL और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर घटता है और हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है।


कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण के लिए दवाएं

यदि जीवनशैली में बदलाव करने के बाद भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित नहीं होता तो डॉक्टर कुछ दवाएं दे सकते हैं, जैसे..

स्टैटिन्स - LDL को कम करने और हृदय रोग के खतरे को घटाने के लिए दी जाती हैं।

बाइल एसिड सेकेस्ट्रेंट्स - शरीर से अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को हटाने में मदद करती हैं।

PCSK9 इनहिबिटर - उन लोगों के लिए फायदेमंद होती हैं, जिनमें आनुवंशिक रूप से उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या होती है।


नियमित स्वास्थ्य जांच आवश्यक है

कोलेस्ट्रॉल के स्तर की निगरानी के लिए नियमित रूप से लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाना जरूरी है। 20 साल की उम्र के बाद हर 4-6 साल में और यदि कोई जोखिम कारक मौजूद हो, तो अधिक बार इसकी जांच करानी चाहिए।

कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण हृदय को स्वस्थ रखने और हृदय रोगों के खतरे को कम करने के लिए बेहद जरूरी है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाने से न केवल हृदय बल्कि संपूर्ण शरीर का स्वास्थ्य बेहतर होता है। इसलिए आज से ही अपने आहार और दिनचर्या में सकारात्मक बदलाव करें।


डिसक्लेमर: यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य करें।

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