ऑलिव ऑइल इंडियन डायट के लिए कितना सही, क्या है इसे खाने की सही विधि?

रिफाइंड और डालडा घी के उपयोग से बचने के लिए और देसी घी के सस्ते विकल्प के रूप में, आजकल हमारी सोसायटी में ऑलिव ऑइल को लेकर क्रेज बहुत बढ़ रहा है। जानें पूरी बात;

Update: 2025-03-30 13:28 GMT

फिटनेस को लेकर जैसे ही किसी व्यक्ति में जागरूकता आती है और वो अपनी डायट पर ध्यान देना शुरू करता है तो सबसे पहले वो घी और तेल पर फोकस करता है। हर फिटनेस फ्रीक व्यक्ति जानना चाहता है कि कौन-सा घी या तेल उसके लिए बेस्ट है। ऐसे में आजकल ऑलिव ऑइल (जैतून का तेल) की फैन फॉलोइंग काफी बढ़ गई है। क्योंकि अपने गुणों के कारण यह तेल न केवल वजन घटाने में मदद करता है बल्कि हृदय स्वास्थ्य (हार्ट हेल्थ) के लिए भी बेहतरीन माना जाता है। लेकिन क्या यह भारतीय भोजन के लिए सही है? और इसे किस प्रकार से इस्तेमाल करना चाहिए? यदि आपको इन बातों का उत्तर नहीं पता है तो इसके उपयोग से पहले ये सब जरूर जान लें...


ऑलिव ऑइल क्या है और इसके प्रकार?

ऑलिव ऑइल जैतून के फलों से प्राप्त होता है और इसके कई प्रकार होते हैं। जिनमें एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल, वर्जिन ऑलिव ऑइल, प्योर ऑलिव ऑइल और पामेस ऑलिव ऑइल शामिल हैं। इनकी अपनी खूबियां होती हैं, जो इस प्रकार हैं...

एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल: सबसे शुद्ध और कम प्रोसेस किया हुआ तेल, जिसे ठंडी पद्धति (कोल्ड प्रेस्ड टैक्नीक) से निकाला जाता है।

वर्जिन ऑलिव ऑइल: यह भी शुद्ध होता है लेकिन हल्की प्रोसेसिंग से गुजरता है।

प्योर ऑलिव ऑइल: यह रिफाइंड और वर्जिन ऑलिव ऑइल का मिश्रण होता है।

पॉमेस ऑलिव ऑइल: जैतून से निकाले जाने के बाद बची हुई सामग्री से बनाया जाता है और इसमें केमिकल प्रोसेसिंग होती है।

क्या ऑलिव ऑइल भारतीय आहार के लिए सही है?

भारतीय भोजन मसालों और उच्च तापमान पर पकाने की तकनीक के लिए जाना जाता है। ऑलिव ऑइल की विशेषताएं इसे भारतीय खाने के लिए आंशिक रूप से उपयुक्त बनाती हैं। यानी अगर आप भारतीय भोजन करते हैं तो हेल्दी रहने के लिए आप पूरी तरह ऑलिव ऑइल पर निर्भरता नहीं बढ़ा सकते हैं। अब सवाल यह उठता है कि इंडियन फूड के लिए पार्शली उपयोगी ये तेल हम भारतीय किस तरह यूज कर सकते हैं और ऑलिव ऑइल के प्रकारों के आधार पर कौन-सा ऑइल किस फूड के लिए बेहतर रहेगा...

एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल: यह सलाद ड्रेसिंग, चटनी और हल्की सॉटे के लिए अच्छा होता है। लेकिन इसे डीप फ्राई करने के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

प्योर और पॉमेस ऑलिव ऑइल: इनका स्मोक पॉइंट अधिक होता है, जिससे यह हल्की फ्राइंग और भारतीय व्यंजनों के लिए उपयुक्त हो सकते हैं।

रिफाइंड तेलों की तुलना में बेहतर: यह रिफाइंड वनस्पति तेलों की तुलना में हृदय के लिए अधिक सुरक्षित माने जाते हैं।

ऑलिव ऑइल के फायदे

हृदय स्वास्थ्य में सुधार: इसमें मोनोअनसैचुरेटेड फैट होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है।

वजन प्रबंधन में सहायक: हेल्दी फैट होने के कारण यह अधिक देर तक भूख को रोकता है।

पाचन में सहायक: यह गैस्ट्रिक समस्याओं को कम करता है और आंतों के लिए फायदेमंद होता है।

डायबिटीज़ को नियंत्रित करने में मददगार: यह इंसुलिन संवेदनशीलता को सुधारता है।

त्वचा और बालों के लिए लाभकारी: स्किन को हाइड्रेट करता है और बालों को मजबूती देता है।

ऑलिव ऑइल का सही उपयोग

सलाद और चटनी में: एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल का उपयोग सलाद ड्रेसिंग और चटनी बनाने के लिए करें।

सूप और दालों में: एक चम्मच एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल डालने से स्वाद और पोषण बढ़ जाता है।

स्टर-फ्राई और हल्की भुजाई के लिए: प्योर ऑलिव ऑइल का उपयोग करें, लेकिन अत्यधिक तापमान पर न पकाएं।

रोटी या पराठे पर लगाने के लिए: घी या मक्खन के बजाय हल्के ब्रश से ऑलिव ऑइल लगाएं।

डीप फ्राई के लिए नहीं: क्योंकि ऑलिव ऑइल उच्च तापमान पर अपने गुण खो देता है। इसलिए तलने वाली चीजों, जैसे पूड़ी, कचौड़ी, पुए और तीखा तड़का लगाने में इस तेल के उपयोग से बचना चाहिए।

क्या ऑलिव ऑइल हर किसी के लिए सही है?

हालांकि ऑलिव ऑइल कई स्वास्थ्य लाभ देता है। लेकिन ऐसा हो सकता है कि जो लोग पारंपरिक भारतीय स्वाद पसंद करते हैं, उन्हें इसकी हल्की कड़वाहट पसंद न आए।

यह थोड़ा महंगा हो सकता है, जिससे हर रोज़ के उपयोग के लिए भारी पड़ सकता है।

यूं तो ऑलिव ऑइल वजन को कम करने में सहायक है लेकिन इसे अधिक मात्रा में लेने से वजन बढ़ सकता है। इसलिए सीमित मात्रा में ही सेवन करें।

ऑलिव ऑइल भारतीय आहार में एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है। बशर्ते इसे सही तरीके से उपयोग किया जाए। इसे उपयोग करने से पहले ये जानना जरूरी है कि ऊपर बताई गई कैटिगरीज में से किस कैटिगरी का ऑइलिव ऑइल आप उपयोग कर रहे हैं और इसे किस विधि से खाने में यूज करना चाहिए। यानी जिसमें चीजें तलनी नहीं हैं, उसमें ना तलें। जिसमें तड़का लगा सकते हैं, उसी से तड़का लगाएं और जिसे घी की तरह खाना चाहिए, उसे वैसे ही उपयोग करें।

हालांकि, भारतीय परंपरागत देसी घी, सरसों का तेल और नारियल तेल भी स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। साथ ही ये हमारे देश की जलवायु में उत्पन्न होते हैं तो हमारी सेहत के लिए अधिक गुणकारी भी होते हैं। इसलिए संतुलित दृष्टिकोण अपनाना सबसे बेहतर होगा। यानी आप ऑलिव ऑइल को इनके एक विकल्प के रूप में उपयोग करें प्रतिस्थापन (रिप्लेसमेंट) के रूप में नहीं।

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