पोस्ट डिलिवरी अक्सर महिलाएं झेलती हैं ये समस्या, पहचान में होती है भूल
बच्चे के जन्म के बाद जिन महिलाओं को हाइपरटेंशन यानी हाई बीपी की समस्या होती है, उनमें से 50 प्रतिशत महिलाएं इसके लक्षणों को थकान और कमजोरी मान नहीं पहचान पातीं;
Postpartum Health Issues: बच्चे के जन्म के बाद का समय (Postpartum Period) महिलाओं के जीवन में एक बेहद संवेदनशील चरण होता है। इस दौरान उनका सारा ध्यान नवजात शिशु की देखभाल पर केंद्रित हो जाता है और अक्सर वे अपने शरीर में हो रहे महत्वपूर्ण बदलावों को नजरअंदाज कर देती हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण और चिंताजनक समस्या है पोस्टपार्टम हाई ब्लड प्रेशर (Postpartum Hypertension), जिसे महिलाएं अक्सर समय रहते पहचान नहीं पातीं...
क्या कहती है रिसर्च?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) के 2021 के डाटा के अनुसार, हर 10 में से लगभग 1 महिला गर्भावस्था या डिलीवरी के बाद हाई ब्लड प्रेशर का सामना करती है। एक अन्य अध्ययन, जो Journal of Women's Health (2020) में प्रकाशित हुआ, बताता है कि 50% से अधिक महिलाएं प्रसव के बाद उभरने वाले हाईपरटेंशन के शुरुआती लक्षणों को सामान्य थकान, कमजोरी या प्रसवजन्य तनाव का हिस्सा मानकर अनदेखा कर देती हैं। परिणामस्वरूप, उनकी स्थिति धीरे-धीरे जटिल होती जाती है।
पोस्टपार्टम हाईपरटेंशन क्या है?
पोस्टपार्टम हाईपरटेंशन उस स्थिति को कहते हैं, जब डिलीवरी के बाद महिला का रक्तचाप 140/90 mmHg या उससे अधिक हो जाता है। यह स्थिति प्रसव के बाद 48 घंटों से लेकर 6 सप्ताह तक कभी भी विकसित हो सकती है। Journal of Clinical Hypertension (2009) के अनुसार, यदि इस समस्या का समय पर निदान और उपचार न हो तो यह स्ट्रोक, हार्ट फेलियर, और किडनी डैमेज जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकती है।
महिलाएं बीपी की समस्या को क्यों नहीं पहचान पातीं?
बदल जाती है प्राथमिकता- डिलीवरी के बाद महिलाओं का सारा ध्यान बच्चे के पोषण, नींद और स्वास्थ्य पर केंद्रित हो जाता है। अपने स्वास्थ्य को वे अक्सर दूसरी प्राथमिकता पर रखती हैं, जिससे ब्लड प्रेशर जैसी "साइलेंट" समस्या नजरअंदाज हो जाती है।
लक्षणों की गलत व्याख्या- पोस्टपार्टम हाई बीपी के लक्षण जैसे सिरदर्द, चक्कर आना, थकान, धुंधली दृष्टि आदि को महिलाएं सामान्य प्रसव के बाद की कमजोरी या नींद की कमी का असर मान लेती हैं। इससे सही समय पर चिकित्सा सहायता नहीं ली जाती।
नियमित जांच की कमी- Journal of Maternal-Fetal & Neonatal Medicine (2018) में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, प्रसव के बाद महिलाओं में नियमित BP मॉनिटरिंग की दर बहुत कम है। कई बार डिस्चार्ज के बाद हॉस्पिटल फॉलो-अप भी नहीं हो पाता, जिससे स्थिति बिगड़ सकती है।
सामाजिक दबाव और जिम्मेदारियाँ- घर के कार्य, मेहमानों की देखभाल और सामाजिक जिम्मेदारियों के चलते महिलाएं अक्सर अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पातीं। साथ ही, कुछ संस्कृतियों में महिलाओं का दर्द सहन करना भी "सामान्य" माना जाता है।
पोस्टपार्टम हाई बीपी की समय पर पहचान कैसे करें?
नियमित ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग- डिलीवरी के बाद कम से कम 6 सप्ताह तक सप्ताह में एक बार ब्लड प्रेशर की जांच करनी चाहिए। यदि पहले से हाई बीपी का इतिहास हो, तो और अधिक सतर्क रहना चाहिए।
लक्षणों पर सतर्कता- अगर सिरदर्द, धुंधली दृष्टि, सीने में दर्द, या अत्यधिक थकान महसूस हो तो इसे हल्के में न लें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
परिवार और हेल्थ केयर स्टाफ की भूमिका- परिवार के सदस्यों और स्वास्थ्यकर्मियों को चाहिए कि वे नवजात के साथ-साथ माँ के स्वास्थ्य पर भी बराबर ध्यान दें।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाना- स्वस्थ आहार, पर्याप्त पानी पीना, हल्की शारीरिक गतिविधि और तनाव प्रबंधन postpartum hypertension से बचाव में मदद कर सकते हैं।
बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं में उच्च रक्तचाप की समस्या गंभीर चुनौती बन सकती है। दुर्भाग्यवश, सामाजिक संरचना, जागरूकता की कमी और आत्म-उपेक्षा के चलते महिलाएं अक्सर इस समस्या को समय पर पहचान नहीं पातीं। इसलिए जागरूकता फैलाना, समय पर जांच करवाना और महिला स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक है। एक जागरूक माँ ही एक स्वस्थ परिवार की नींव रख सकती है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।