करीना कपूर का कंफर्ट फूड है खिचड़ी, जानें क्या है इसके पीछे की वजह
आखिर क्यों बॉलिवुड की बेबो को खिचड़ी से इतना प्यार है कि दो-तीन दिन भी इसके बिना नहीं रह पातीं... यहां जान लीजिए इसके पीछे की वजह। सब समझ जाएंगे आप...;
करीना कपूर की एक विडियो क्लिप आजकल बहुत वायरल हो रही है, जिसमें वो कह रही हैं कि 'खिचड़ी मेरा कंफर्ट फूड है। अगर दो-तीन दिन ना खाऊं तो मुझे इसकी क्रेविंग होने लगती है।' वहीं दूसरी तरफ आप ज्यादातर लोगों और खासतौर पर युवाओं से खिचड़ी के बारे में बात करेंगे तो उनका रिऐक्शन होता है ' खिचड़ी तो बीमारी में खाते हैं या खिचड़ी कोई खाने की चीज है या खिचड़ी बुढ़ापे में खाएंगे, जब दांत नहीं रहेंगे!' इन अलग स्टेटमेंट्स से आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर सेलेब्स बड़ी उम्र में भी जवां और एनर्जेटिक कैसे बने रहते हैं...
जाहिर है, डायट की प्रिफरेंस हेल्दी और यंग बनाए रखने में बहुत महत्वपूर्ण रोल प्ले करती है। खिचड़ी ना केवल बनाने में सबसे आसान बल्कि सुपाच्य यानी आसानी से डायजेस्ट होने वाली डिश है। ये एक बड़ा कारण है कि डॉक्टर्स इसे बीमारी में खाने की सलाह देते हैं। खिचड़ी सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं है, ये सेहत की असली चाबी भी हो सकती है। हल्की, स्वादिष्ट और आसानी से पचने वाली ये डिश भारतीय रसोई की जान मानी जाती है। ये एक सुपरफूड की तरह सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। यहां जानें, खिचड़ी खाना क्यों जरूरी है...
खिचड़ी पाचन के लिए क्यों है सबसे बेहतर?
खिचड़ी मुख्य रूप से चावल और मूंग दाल से बनती है। ये दोनों चीज़ें ही बेहद हल्की और आसानी से पचने वाली होती हैं। जब पेट ठीक से काम नहीं कर रहा होता या गैस, एसिडिटी जैसी दिक्कतें होती हैं, तो खिचड़ी एकदम सही विकल्प बन जाती है। ये न सिर्फ पेट को आराम देती है, बल्कि शरीर को पोषण भी पहुंचाती है।
बीमारी में क्यों दी जाती है खिचड़ी?
आपने अक्सर देखा होगा कि बुखार, जुकाम या सर्जरी के बाद डॉक्टर खाने में खिचड़ी की सलाह देते हैं। इसका कारण यही है कि खिचड़ी शरीर को ज़रूरी ऊर्जा देती है, वो भी बिना पेट पर ज़्यादा दबाव डाले। जब शरीर कमजोर होता है, तब उसे ऐसे भोजन की ज़रूरत होती है जो आसानी से पच जाए और फायदेमंद भी हो और खिचड़ी उसमें बिल्कुल फिट बैठती है।
वज़न घटाने वालों के लिए वरदान
अगर आप डाइट पर हैं और वजन घटाना चाहते हैं, तो खिचड़ी को नजरअंदाज करना बड़ी भूल हो सकती है। ये कम कैलोरी वाला, हाई फाइबर फूड है, जो पेट को लंबे समय तक भरा रखता है। इससे आप ओवरईटिंग से बच सकते हैं और धीरे-धीरे वजन पर कंट्रोल पा सकते हैं।
डिटॉक्स के लिए भी है फायदेमंद
आयुर्वेद में खिचड़ी को डिटॉक्स डाइट के तौर पर भी माना गया है। कई बार "किचारी क्लीन्स" नाम की डिटॉक्स प्रक्रिया में सिर्फ खिचड़ी खाई जाती है ताकि शरीर से टॉक्सिन्स बाहर निकल सकें। इसमें मौजूद दाल और चावल शरीर को क्लीन करने का काम करते हैं और पेट को रीसेट करने में मददगार साबित होते हैं।
हर उम्र के लिए क्यों है परफेक्ट?
खिचड़ी की एक खासियत ये भी है कि इसे हर उम्र का व्यक्ति खा सकता है। छोटे बच्चों के लिए जब सॉलिड फूड शुरू किया जाता है, तब खिचड़ी दी जाती है। वहीं बुजुर्गों के लिए भी ये एकदम सही विकल्प होती है, क्योंकि ये ना सिर्फ पचने में आसान है, बल्कि कमज़ोर पाचन तंत्र को भी राहत देती है।
मानसिक शांति भी देती है
क्या कभी आपने गौर किया है कि खिचड़ी खाने के बाद मन भी शांत हो जाता है? ये केवल संयोग नहीं है। खिचड़ी का स्वाद और उसका हल्का-फुल्का एहसास दिमाग को भी सुकून देता है। जब आप थके हुए हों तब एक गरम कटोरी खिचड़ी सिर्फ पेट ही नहीं, दिल और दिमाग को भी आराम देती है।
स्वाद और हेल्थ – दोनों का कॉम्बोखिचड़ी की सबसे बड़ी खूबी ये है कि आप इसे अपने स्वाद और ज़रूरत के मुताबिक ढाल सकते हैं। सब्जियां मिलाकर इसे और पौष्टिक बना सकते हैं, देसी घी से स्वाद बढ़ा सकते हैं या मसालों से इसका टेस्ट कस्टमाइज़ कर सकते हैं। मतलब हेल्दी और टेस्टी – दोनों का पूरा मज़ा।
तो अब जब कभी हल्का, स्वादिष्ट और हेल्दी खाने का मन हो तो खिचड़ी को ज़रूर याद रखें। ये आपके शरीर और मन दोनों के लिए ट्रीट है। अगली बार जब कोई कहे कि खिचड़ी सिर्फ बीमारों के लिए होती है तो मुस्कराकर कहिए - नहीं, ये तो सेहत का असली हीरो है!
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।