किडनी फेल होने के शुरुआती लक्षण, देरी की तो सेहत पर भारी पड़ेगी
टखनों, पैरों, हाथों या चेहरे पर सूजन? इसे एडिमा कहते हैं और ये तब होता है, जब किडनी फ्लूइड को बाहर नहीं निकाल पाती। इसे स्किप करना मतलब...;
Kidney Disease Symptoms: हमारा शरीर बेहद संवेदनशील है, जब कुछ गलत हो रहा होता है तो वो हमें पहले ही बता देता है। लेकिन अफसोस, हम अक्सर उसे सुनना ही नहीं चाहते। ठीक यही कहानी है हमारी किडनी की भी। ये छोटा-सा अंग एक दिन में करीब 50 गैलन खून को फिल्टर करता है। सोचिए, ये कितना काम करता है हमारे लिए! लेकिन जब ये थकने लगती है, बीमार होने लगती है, तो शरीर संकेत देता है। अब सवाल ये है क्या आप उन्हें सुन रहे हैं?
किडनी खराब होने के 5 बड़े संकेत
थकान जो आराम से भी नहीं जाती
अगर नींद पूरी करने के बाद भी आपको कमजोरी और थकावट महसूस होती है, तो यह केवल ओवरवर्क नहीं बल्कि किडनी की परेशानी का पहला साइरन हो सकता है। इसका कारण है ब्लड में टॉक्सिन्स का जमाव, क्योंकि किडनी उन्हें फिल्टर नहीं कर पा रही।
सूजन – शरीर का साइलेंट क्राय फॉर हेल्प
टखनों, पैरों, हाथों या चेहरे पर सूजन? इसे एडिमा कहते हैं और ये तब होता है जब किडनी फ्लूइड को बाहर नहीं निकाल पाती। इसे स्किप करना मतलब शरीर की अपील को इग्नोर करना।
पेशाब में बदलाव – सबसे प्रामाणिक संकेत
बार-बार पेशाब आना, झागदार यूरिन, पेशाब में खून आना या जलन ये सब renal function की बिगड़ती तस्वीर को दिखाते हैं। आपका यूरिन, आपकी सेहत का रिपोर्ट कार्ड है, उसे पढ़ना सीखिए।
सांस फूलना – जब सांस भी जवाब देने लगे
अगर आप बगैर सीढ़ी चढ़े या दौड़े ही हांफने लगते हैं तो इसे दिल की नहीं, किडनी की कॉल समझें। कारण है, शरीर में फ्लूइड भराव, जो फेफड़ों पर असर डालता है।
सूखी और खुजलीदार त्वचा – मिनरल बैलेंस का गड़बड़ाना
किडनी हमारे शरीर में विटामिन D, मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखती है। जब ये बिगड़ता है तो सबसे पहले असर स्किन पर दिखता है- ड्राइनेस, खुजली और इरिटेशन।
तो समाधान क्या है? — साइंस + सतर्कता
अगर इनमें से कोई भी लक्षण लगातार दिख रहा है तो लैब टेस्ट करवाएं, खासकर Kidney Function Test (KFT)। साथ ही अपनाएं ये साइंटिफिक हैबिट्स...
हाइड्रेशन बनाए रखें – पर्याप्त पानी पिएं
नमक और प्रोसेस्ड फूड कम करें
ब्लड शुगर और BP कंट्रोल में रखें
एक्सरसाइज को डेली रूटीन बनाएं
साल में एक बार जांच जरूर करवाएं, खासकर अगर आप हाई-रिस्क ज़ोन में हैं (डायबिटीज, हाई बीपी या फैमिली हिस्ट्री) हमारी किडनी न तो शिकायत करती है, न दिखावा-बस चुपचाप काम करती है। जब वो आवाज़ उठाए तो उसे सुनिए। बीमारी का पता समय रहते चल जाए तो इलाज भी आसान होता है और याद रखिए शरीर पर दिया गया ध्यान, हमेशा लौट कर आता है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।