पैरों में टिंगलिंग और सुन्न पड़ने की समस्या, सीटिंग जॉब रखें ध्यान
क्या आपके पैरों में अक्सर चींटी चलने जैसी सेंसेशन होती है या फिर अचानक कोई-सा भी पैर सुन्न पड़ जाता है। यहां जानें, कब ये नॉर्मल है और कब आपको सतर्क होना होगा..;
डिजिटल होती दुनिया में ज्यादातर लोग रोज़ाना घंटों कंप्यूटर या लैपटॉप पर काम करते हैं। इस लगातार बैठने की आदत से शरीर पर कई नकारात्मक असर पड़ते हैं और उनमें से एक आम समस्या है, पैरों में सुन्नपन (numbness) या झुनझुनी (tingling) महसूस होना। शुरुआत में ये तकलीफ हल्की लग सकती है। लेकिन अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का कारण भी बन सकती है। कई बार ये शरीर के अंदर पहले से पनप रही इन न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का संकेत भी देती है। यहां जानें पूरी बात...
क्या हैं पैरों में टिंगलिंग और सुन्न होने के मुख्य कारण?
पैरों में झनझनाहट होने या सुन्न पड़ने की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन यदि आप सिटिंग जॉब में हैं और हर दिन या दिन में कई बार आपको ये समस्या परेशान कर रही है तो आपको सतर्क होने की आवश्यकता है। इसे गंभीरता से लें और डॉक्टर से समय रहते मिलें। ताकि समस्या को बढ़ने से रोका जा सके। पहले जान लें क्यों होती हैं ये समस्याएं...
रक्त प्रवाह में रुकावट
लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठे रहने से पैरों की नसों पर दबाव पड़ता है, जिससे खून का प्रवाह बाधित होता है और झुनझुनी या सुन्नपन महसूस होता है।
नसों पर दबाव
रीढ़, कमर या हिप्स की नसों पर दबाव आने से पैरों तक सिग्नल नहीं पहुंचते, जिससे सुन्नता होती है। इसे सियाटिका (sciatica) जैसी समस्याओं से भी जोड़ा जाता है।
विटामिन बी12 की कमी
यह पोषक तत्व नसों की कार्यक्षमता के लिए जरूरी है। इसकी कमी से हाथ-पैरों में झनझनाहट हो सकती है।
मधुमेह या थायरॉइड की समस्याएं
इन बीमारियों से नसों की कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है, जिससे पैरों या हाथों में सुन्नपन हो सकता है।
गलत बैठने की आदतें
क्रॉस लेग बैठना, लंबे समय तक घुटनों को मोड़कर रखना या शरीर को गलत पोस्चर में रखना भी इस परेशानी को बढ़ाता है।
पैरों में झनझनाहट और पैर सुन्न होने की समस्या से कैसे बचें?
बैठकर काम करने वालों के लिए ज़रूरी टिप्स। इन्हें अपनाने से नहीं होगी पैरों में टिंगलिंग यानी झनझनाहट और सुन्नता यानी नमनेस की समस्या...
हर 30-40 मिनट में उठें और चलें। थोड़ा टहलने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बना रहता है और नसों पर तनाव कम होता है।
बैठने के लिए सही पोस्चर अपनाएं। जैसे, सीधी पीठ, पैर ज़मीन पर टिके हुए और घुटनों का कोण 90 डिग्री में रखने का प्रयास करें। यह बैठने की सही स्थिति है।
हर दिन स्ट्रेचिंग और लेग एक्सरसाइज करें। पैरों के पंजों को घुमाना, टखनों को ऊपर-नीचे करना और हल्के स्ट्रेचेस करने से नसें एक्टिव रहती हैं।
बैठते समय फुटरेस्ट या कुशन का इस्तेमाल करें। अगर बैठते समय पैरों को पूरा सपोर्ट नहीं मिल रहा है या पैर पूरी तरह जमीन पर नहीं टिक पा रहे हैं तो फुटरेस्ट का उपयोग करें ताकि थाई यानी जांघों की नसों पर दबाव कम हो।
हर दिन भरपूर पानी पिएं और सही भोजन का चुनाव करें। ऐसा भोजन जो केवल स्वादिष्ट ना हो बल्कि पोषक तत्वों यानी न्यूट्रिऐंट्स से भी भरपूर हो। हाइड्रेटेड रहने और विटामिन B12, मैग्नीशियम, फाइबर से भरपूर भोजन खाने से इस समस्या से बचाव होता है। यदि ये समस्या होने लगी है तो इसे ठीक करने में मदद भी मिलती है।
डॉक्टर से कब मिलें?
यदि सुन्नपन रोज़ हो रहा हो
पैरों में लगातार दर्द या जलन हो
चलने में दिक्कत महसूस हो
पैरों में कमजोरी आने लगे।
यदि इनमें से कोई भी स्थिति बन रही है तो तुरंत डॉक्टर, खासकर न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए।
पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी को हल्के में न लें। यह आपके शरीर की नसों के कामकाज का संकेत हो सकते हैं। यदि आप दिनभर बैठकर काम करते हैं तो थोड़े-से प्रयास और आदतों में बदलाव लाकर पैरों में होने वाली इन समस्याओं से बचा जा सकता है। अपनी सेहत के लिए समय निकालें और अपने शरीर को सक्रिय रखें।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिखा गया है। यदि आपको कोई भी समस्या है तो पहले डॉक्टर से संपर्क करें।