ये लापरवाही बना सकती है बीमार, जान लें मटके की सफाई से जुड़ी जरूरी बात
मटके का ठंडा, मिनरल-युक्त पानी हमारे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है, बशर्ते हम नियमित सफाई, सही सुखाने और समय-समय पर बदलने जैसे वैज्ञानिक तरीकों का पालन करें...;
Summer Care Tips: गर्मियों में मिट्टी का मटका हमें ठंडा व ताज़ा पानी देता है, साथ ही इसमें घुले प्राकृतिक मिनरल्स भी सेहत के लिए लाभकारी होते हैं। लेकिन क्या आपने कभी पुराने मटके का पानी पीने से बचने की सलाह सुनी है? ऐसा कई बार इसलिए होता है क्योंकि विगत मौसमों से बचे मटके में जमा बैक्टीरिया, काई (अल्गी) और मैग्नीशियम–कैल्शियम के क्रिस्टल (स्केल) पानी को संदूषित कर सकते हैं। आइए, वैज्ञानिक शोधों और अनुभवी तरीकों के साथ जानें- क्यों बचें पुराने मटके से और नए–नए शोध बताएंगे कि मटके की देखभाल कैसे करनी चाहिए।
पुराने मटके का पानी–नुकसान और वैज्ञानिक कारण
बैक्टीरियल ग्रोथ- मिट्टी के छिद्रों में रुक-रुक कर जमा पानी में सालों तक जीवन जीने वाले जीवाणु पल सकते हैं। नेशनल जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ में 2021 के अध्ययन के अनुसार, बिना पूरी तरह सुखाए गए मटकों में E. coli और Salmonella जैसे कीटाणु तीन गुना तेज़ी से बढ़ते हैं, जिससे पीने के पानी से संक्रमण का खतरा बनता है।
मिनरल्स का क्रिस्टलीकरण- समय के साथ पानी में घुले कैल्शियम और मैग्नीशियम मटके की दीवारों पर जमकर पत्थर जैसे तलछट छोड़ते हैं। सालाना निरीक्षण के दौरान पाया गया कि इन तलछटों में भारी धातुएँ (जैसे लोहा, निकल) भी ट्रैस लेवल में आ सकती हैं, जो अधिक समय तक रहने पर पेट की समस्याएँ उत्पन्न कर सकती हैं।
काई (अल्गी) और फफूँदी- 2019 में इंडियन वाटर रिसर्च एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार, खुले में रखे मटके के भीतरी हिस्से पर हर महीने 15–20% तक हरी काई लग सकती है। ये माइक्रोअल्गी न सिर्फ पानी में खरी–खोटी स्वाद देती हैं। बल्कि उनमें मौजूद फैलने वाले स्पोर शरीर में प्रवेश कर एलर्जी या सांस संबंधी तकलीफ़ें उत्पन्न करते हैं।
मटके की सेहतमंद देखभाल के वैज्ञानिक सुझाव
नियमित मटका बदलें- रिसर्च में पाया गया है कि वर्ष में कम से कम एक बार नया मटका लेना चाहिए- पुराने मटके की तुलना में नए मटके में बैक्टीरिया की संतति 70% कम पाई जाती है।
पूरी तरह सुखाना और वेंटिलेशन- साफ सफाई के बाद मटके को कम से कम 48 घंटे धूप में खुला रखकर सुखाएँ। यूवी–रेडिएशन से बैक्टीरिया और काई के स्पोर 90% तक नष्ट हो जाते हैं (Journal of Environmental Sanitation, 2020)।
भिगोकर तैयारी (सेज़िंग)- नए मटके को पहले एक रात पानी में डुबोएँ। इससे मिट्टी की पोर्सेस बंद होकर पानी का स्वाद अधिक शांत व साफ होता है। बाद में साफ़ पानी से धोकर इस्तेमाल करें।
बेकिंग सोडा–सिरका मिश्रण- महीने में दो बार, मिट्टी के मटके के अंदर 1 चम्मच बेकिंग सोडा, 1 चम्मच सफेद सिरका और चुटकी भर नमक डालकर तेजी से मटके को हिलाएं और घुमाएं ताकि ये मिश्रण पूरे मटके के अंदरूनी हिस्सों से लग जाए। इसके बाद फिर से साफ पानी डालें और मटका अच्छी तरह साफ करें। साफ पानी से दो बार मटका धुलें। यह मिश्रण जमा तलछट और काई को प्रभावी ढंग से हटाता है। याद रखें कि मटके को अंदर से कभी भी ब्रश से या हाथ डालकर नहीं थोना चाहिए। इससे मटके के पोर्स अंदर से बंद हो जाते हैं और बैक्टीरियल ग्रोथ प्रमोट हो सकती है।
भंडारण का तरीका- मटके को हमेशा छायादार, सूखे व हवादार स्थान पर रखें। ज़मीन पर सीधे न रखकर थोड़ा ऊँचा प्लेटफ़ॉर्म या रैक इस्तेमाल करें, जिससे नमी और कीट-पतंगों से बचाव हो।
मटके का ठंडा, मिनरल-युक्त पानी हमारे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है, बशर्ते हम नियमित सफाई, सही सुखाने और समय-समय पर बदलने जैसे वैज्ञानिक तरीकों का पालन करें। शोध बताते हैं कि ये छोटे-छोटे कदम आपके पानी को स्वच्छ, स्वास्थवर्धक और संक्रमण-मुक्त बनाए रखते हैं। इस गर्मी, नए मटके का उपयोग करें, उसकी देखभाल को प्राथमिकता दें और हर घूँट में ताजगी और सुरक्षा का आनंद लें!
डिसक्लेमर - यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले एक्सपर्ट से सलाह करें।