ये रही वजह, क्यों मोटे लोगों को गर्मी अधिक लगती है?
बॉडी में जमा अत्यधिक फैट थर्मल इंसुलेटर की तरह काम करता है, जो शरीर के अंदर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देता और अधिक गर्मी का अहसास कराता है। साथ ही ऐसे कई...;
Overweight People And Heat: यूं तो गर्मी के मौसम और बरसात की उमस में हर व्यक्ति को गर्मी लगती है। लेकिन मोटे लोगों को गर्मी का अहसास कुछ अधिक ही होता है। ऐसा आपने भी सुना होगा। लेकिन ये कोई भ्रामक जानकारी नहीं है बल्कि सायंटिफिक फैक्ट है।
Harvard T.H. Chan School of Public Health के अनुसार, बॉडी में जमा अत्यधिक फैट थर्मल इंसुलेटर की तरह काम करता है, जो शरीर के अंदर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देता।
फैट की मोटी परत और गर्मी का अहसास
मोटे लोगों के शरीर में जमा फैट की परत काफी मोटी होती है और ये शरीर के अंदर की गर्मी को बाहर नहीं निकलने देती। ऐसे में जब गर्मी के मौसम में बाहर का तापमान भी अधिक गर्म होता है तब इन्हें दुबले लोगों की तुलना में गर्मी का अधिक अहसास होता है। फैट की मोटी परत के कारण बॉडी से पसीना भी कम निकलता है और तुलनात्मक रूप से धीमी गति से निकलता है। और ये भी इन्हें अधिक गर्मी लगने की एक वजह होता है।
पसीना और बॉडी कूलिंग का कनेक्शन
एक शोध “Obesity and Thermoregulation” (International Journal of Obesity, 2010) में कहा गया है कि मोटे लोगों में स्वेट ग्लैंड्स की एक्टिविटी में बाधा आती है, जिससे उनके शरीर की कूलिंग इफिशिएंसी घट जाती है।
जबकि शरीर को ठंडा रखने के लिए पसीना निकलना आवश्यक होता है। ऐसे में जब इनका पसीना कम निकलता है और धीमी गति से निकलता है तो इनका शरीर गर्म बना रहता है और इन्हें ज्यादा गर्मी लगती है।
फिजिकल ऐक्टिविटी और तापमान
अधिक फैट वाले लोग जब कोई हल्की-फुल्की फिजिकल ऐक्टिविटी (जैसे, सीढ़ी चढ़ना या वॉक करना) भी करते हैं तो उनके शरीर का तापमान काफी तेजी से बढ़ता है, क्योंकि हल्की-फुल्की ऐक्टिविटी में भी इनके शरीर को दुबले लोगों की तुलना में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
National Institutes of Health (NIH) की एक रिपोर्ट बताती है कि मोटापे के कारण एनर्जी एक्सपेंडिचर और ऑक्सीजन कंजम्प्शन दोनों अधिक हो जाते हैं जिससे शरीर का तापमान जल्दी बढ़ जाता है।
मोटापा और स्लो मेटाबॉलिज़म
आमतौर पर मोटे लोगों का मेटाबॉलिज़म भी स्लो होता है, इस कारण शरीर के तापमान को संतुलित रखने वाली बॉडी की प्राकृतिक क्रियाएं भी उतनी तेजी से नहीं हो पातीं, जितनी होनी चाहिए। इस कारण भी इन्हें गर्मी ज्यादा लगती है।
Mayo Clinic की एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि थायरॉइड फंक्शन और इंसुलिन रेसिस्टेंस जैसे हॉर्मोनल बदलाव भी शरीर के तापमान नियंत्रण में बाधा पहुंचाते हैं।
फैट और हीट का कनेक्शन
फैट बॉडी के अंदर गर्माहट को ज्यादा देर तक रोककर रखता है। ऐसे में शरीर एक बार गर्म हो जाए तो मोटे लोगों को ठंडक फील करने में दुबले लोगों से ज्यादा समय लगता है।
फैट के कारण बॉडी में कई तरह के हॉर्मोनल बदलाव होते हैं, जैसे थायरॉइड और इंसुलिन संबंधी गड़बड़ी, ये समस्याएं भी बॉडी के तापमान संतुलन की प्रक्रिया में बाधा डालती हैं। इससे ज्यादा गर्मी लगती है।
गर्मी और डिहाइड्रेशन का संबंध
केवल मोटे लोगों को ही गर्मी अधिक नहीं लगती। बल्कि जिन लोगों की बॉडी में डिहाइड्रेशन बना रहता है, उन्हें भी गर्मी अधिक लगती है।
World Health Organization के मुताबिक, डिहाइड्रेशन शरीर की थर्मोरेग्युलेटरी क्षमता को सीधे प्रभावित करता है, जिससे हीट टॉलरेंस घटती है।
क्योंकि शरीर में पानी की मात्रा कम होने पर पसीना सही से नहीं आता और शरीर अपने आपको प्राकृतिक रूप से ठंडा नहीं कर पाता, जिससे गर्मी अधिक लगती है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहल डॉक्टर से परामर्श करें।