टीनऐज बॉयज और 60 पार पुरुषों की बीमारी, यूरिन में बनते हैं बहुत झाग

प्रोटीन्यूरिया उस स्थिति को कहा जाता है, जब यूरिन के माध्यम से अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन निकलने लगता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के यूरिन में काफी कम मात्रा में...;

Update: 2025-07-27 13:17 GMT
टीनएजर लड़कों और 60 प्लस घरवालों की इस हेल्थ प्रॉब्लम को ना करें इग्नॉर

Foamy Urine: प्रोटीन्यूरिया उस स्थिति को कहा जाता है, जब यूरिन के माध्यम से अत्यधिक मात्रा में प्रोटीन निकलने लगता है। जबकि एक स्वस्थ व्यक्ति के यूरिन में काफी कम मात्रा में प्रोटीन निकलता है। इसलिए पेशाब में प्रोटीन की मात्रा अधिक होना किसी छिपी हुई हेल्थ प्रॉब्लम की तरफ इशारा होता है। और आमतौर पर ये समस्या किडनी यानी गुर्दे की कार्यक्षमता से जुड़ी होती है।

प्रोटीन्यूरिया को एलब्युमिन्यूरिया भी कहा जाता है। ये अपने आपमें तो कोई बीमारी नहीं है लेकिन यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का एक लक्षण है। इसमें खास बात यह है कि ये सभी स्वास्थ्य समस्याएं किडनी की फंक्शनिंग में गड़बड़ी का संकेत होती हैं। जैसे, ये संकेत देता है कि किडनी के फिल्टर (ग्लोमेरुलाइ) सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं।


क्यों होती है प्रोटीन्यूरिया की समस्या?

यूरिन से प्रोटीन को अलग करना किडनी फिल्टर्स के मु्ख्य कामों में से एक होता है। खासतौर पर इन फिल्टर्स को एलब्युमिन प्रोटीन को फिल्टर करना होता है। एलब्युमिन प्रोटीन शरीर में पानी सहित अन्य द्रव की मात्रा को सही बनाए रखने, हॉर्मोन, दवाइयों और फैटी एसिड्स इत्यादि को शरीर के एक अंग से दूसरे अंग में पहुंचाने का काम करता है।

लेकिन जब किडनी फिल्टर्स एलब्युमिन को यूरिन के माध्यम से निकलने देते हैं यानी सही तरीके से अपना काम नहीं करते हैं तो शरीर में प्रोटीन का स्तर गिरने के साथ ही टिश्यूज संबंधी समस्याएं भी शरीर में पनपने लगती हैं।

टीनऐजर लड़कों में Proteinuria (प्रोटीन्यूरिया) होना काफी सामान्य है। आमतौर पर ये थोड़े समय के लिए (transient) या फिर फिजियोलॉजिकल कारणों से होता है। लेकिन कुछ मामलों में यह किडनी डिसऑर्डर का भी संकेत हो सकता है। खासतौर पर अगर समस्या लंबे समय तक बनी रहे।

कितने लड़कों में होती है प्रोटीन्यूरिया की समस्या?

टीनएज लड़कों में प्रोटीन्यूरिया की प्रचलन दर (Prevalence Rate)की बात की जाए तो मेडिकल रिसर्च के मुताबिक, स्कूल-गोइंग किशोरों में 10 से 18 वर्ष की उम्र के बीच 2% से लेकर 10% तक बच्चों में किसी न किसी समय Proteinuria पाई गई है। लेकिन इनमें से अधिकतर केस अस्थायी या फिर ऑर्थोस्टैटिक प्रोटीन्यूरिया (orthostatic proteinuria) होते हैं।


अस्थायी प्रोटीन्यूरिया क्या होता है?

ऑर्थोस्टैटिक प्रोटीन्यूरिया एक सामान्य और अस्थायी स्थिति है। जब कोई व्यक्ति दिनभर खड़ा रहता है या शारीरिक गतिविधि करता है तो उसकी किडनी से हल्की मात्रा में प्रोटीन लीक होने लगता है, जो पेशाब में आता है। लेकिन रात में जब वह लेटा होता है और शरीर आराम की स्थिति में होता है तो किडनी यह प्रोटीन लीक नहीं करती। यही अंतर इसे Orthostatic (postural) proteinuria बनाता है।


किन लड़कों को होता है प्रोटीन्यूरिया का अधिक खतरा?

लंबे समय तक बनी रहने वाली प्रोटिन्यूरिया (Persistent Proteinuria) सिर्फ 0.1% से 0.5% किशोरों में पाई जाती है। इनमें भी इसका चांस उन लड़कों में अधिक होता है, जिनकी फैमिली हिस्ट्री में किसी को ये बीमारी रही हो या फिर ऐसी कोई समस्या रही हो जैसे, किडनी से संबंधिक डिजीज। मोटापा या हाई ब्लड प्रेशर भी लड़कों में प्रोटीन्यूरिया की वजह बनते हैं। जो लड़के फिजिकल स्ट्रेस या स्पोर्ट्स एक्टिविटी में ज्यादा भाग ले रहे होते हैं, उनमें भी ये दिक्कत अधिक देखने को मिलती है।

लड़कों में ही क्यों होती है ये बीमारी?

ऑर्थोस्टैटिक प्रोटीन्यूरिया की समस्या लड़कों में लड़कियों की तुलना में 2 से 3 गुना अधिक पाई जाती है। ऐसा क्यों है, इस बारे में अभी पुख्ता तौर पर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन अलग-अलग रिसर्च में जो कारण सामने आए हैं, उनमें लड़के और लड़की के शारीरिक विकास में अंतर, हॉर्मोनल कारण, शारीरिक गतिविधियों से जुड़े कारण शामिल हैं।


प्रोटीन्यूरिया के लक्षण

यूरिन में अधिक झाग बनना

पेशाब का रंग गाढ़ा होना और बहुत दुर्गंध आना

सोकर जगते समय हाथ-पैर या चेहरे पर सूजन बनी रहना

मितली अधिक आना और भूख कम लगना

लंग्स में पानी भर जाना

हर समय बहुत अधिक थकान अनुभव करना।

प्रोटीन्यूरिया का उपचार क्या है?

अस्थायी प्रोटीन्यूरिया में किसी इलाज की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन अगर किडनी से जुड़ी समस्या के कारण प्रोटीन्यूरिया की दिक्कत है तो डॉक्टर से प्रॉपर इलाज कराना होता है।

डेली डायट में नमक और प्रोटीन की मात्रा को सीमित करना होता है। बाकी डॉक्टर की सलाह को फॉलो करें। एल्कोहॉल और स्मोकिंग से पूरी तरह दूर रहें। अपना वजन सही रखें।


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।


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