'वो' नींद में बड़बड़ाते हैं..और आप हड़बड़ाकर उठ जाते हैं, मामला गंभीर है
आप गहरी नींद में सोए हैं और आपका पार्टनर अचानक से धीमी या तेज आवाज में कुछ बड़बड़ाने लगे तो घबराकर जाग जाना आम है। अगर ऐसा अक्सर होता है तो अलर्ट हो जाइए...;
Sleep Mumbling: क्या आपको या आपके किसी करीबी को नींद में बोलने की आदत है? कई लोग सोते वक्त कुछ न कुछ बड़बड़ाते रहते हैं, जिसे वे खुद महसूस नहीं करते, लेकिन उनके आसपास के लोगों के लिए यह परेशानी का कारण बन सकता है। यह एक तरह का स्लीप डिसऑर्डर (Sleep Disorder) है, जिसे स्लीप टॉकिंग (Sleep Talking) भी कहा जाता है। अगर यह आदत बार-बार होती है तो इसके पीछे छिपे कारणों को समझना और सही उपाय अपनाना ज़रूरी है...
यह आर्टिकल सीनियर सायकाइट्रिस्ट डॉक्टर राजेश कुमार से बातचीत पर आधारित है। यहां बेहद साधारण भाषा में नींद में बड़बड़ाने की समस्या से जुड़ी स्थितियों को बताया गया है...
नींद में बोलने के कारण (Cause Of Sleep Mumbling)
- यह समस्या कई कारणों से हो सकती है। अगर आप अक्सर तनाव (Stress) में रहते हैं, नींद की कमी से जूझ रहे हैं या आपको डिप्रेशन (Depression) से जुड़ी समस्या है तो यह आपके स्लीप साइकल को प्रभावित कर सकता है।
- अत्यधिक थकान (Fatigue), शराब या किसी दवा की लत, तेज़ बुखार (Fever) या कुछ खास दवाइयों के प्रभाव से भी यह समस्या हो सकती है।
- कई बार यह समस्या आनुवंशिक (Genetic) भी होती है यानी अगर आपके परिवार में किसी को यह आदत रही है तो आपके साथ भी ऐसा हो सकता है।
- मानसिक विकार (Mental Disorders) या न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण भी नींद में बोलने की प्रवृत्ति देखने को मिलती है।
नींद में बोलने के अपने लक्षण कैसे पहचानें?
- अगर आपको स्लीप टॉकिंग की आदत है तो दिनभर सुस्ती (Drowsiness) बनी रह सकती है और रात में अच्छी नींद नहीं आ पाती।
इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को रात में बार-बार करवटें बदलनी पड़ती हैं या अचानक झटके महसूस होते हैं।
- कई बार यह स्थिति स्लीप वॉकिंग (Sleep Walking) और नाइट टेरर्स (Night Terrors) यानी सोते समय बहुत अधिक घबराहट होना या डर जाना, जैसी समस्याओं से भी जुड़ी होती है।
किन लोगों को होता है ज़्यादा खतरा?
- स्लीप टॉकिंग किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन यह पुरुषों और बच्चों में अधिक देखा जाता है।
- अगर किसी को अक्सर बुखार होता है, शराब का सेवन अधिक करता है या मानसिक तनाव (Mental Stress) में रहता है तो उसमें यह आदत विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है।
- स्लीप एप्निया (Sleep Apnea), नींद में चलने (Sleepwalking) और बुरे सपने (Nightmares) की समस्या होने पर भी नींद में बोलने की संभावना बढ़ जाती है।
नींद में बोलने के अलग-अलग चरण
हल्की नींद (Light Sleep)- इस दौरान व्यक्ति की बोली गई बातें स्पष्ट सुनी और समझी जा सकती हैं।
गहरी नींद (Deep Sleep)- इस अवस्था में व्यक्ति पूरी तरह से सो चुका होता है इसलिए उसकी बातें अस्पष्ट और बड़बड़ाने जैसी लग सकती हैं।
कब हो सकती है यह समस्या गंभीर?
अगर कोई व्यक्ति महीने में एक-दो बार नींद में बोलता है तो इसे सामान्य माना जाता है। लेकिन अगर यह समस्या हर हफ्ते होने लगे और इसके कारण आसपास के लोगों की नींद डिस्टर्ब हो तो इसे मॉडरेट केस (Moderate Case) माना जाता है। वहीं, अगर कोई व्यक्ति रोज़ाना नींद में बातें करता है और इससे उसकी या परिवार की नींद प्रभावित होती है तो यह सिवियर केस (Severe Case) हो सकता है, जिसके लिए डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है।
नींद में बोलने की समस्या से कैसे बचें?
फिलहाल इस समस्या का कोई ठोस इलाज नहीं है। लेकिन कुछ आदतों को अपनाकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है...
- रात को हल्का और संतुलित भोजन करें। बहुत अधिक तली-भुनी चीज़ें खाने से बचें।
- नियमित दिनचर्या अपनाएं। रोज़ एक ही समय पर सोने और जागने की कोशिश करें।
- तनाव से बचें। योग (Yoga) और ध्यान (Meditation) को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
- शराब और कैफीन (Caffeine) से दूरी बनाएं। यह आपकी नींद को प्रभावित कर सकते हैं।
- अगर समस्या बढ़ रही हो तो सायकाइट्रिस्ट की मदद लेने में ना हिचकें।