मिलावटी घी को लेकर देश भर में हा हा कार, मध्य प्रदेश में 5 टन से ज्यादा घी बरामद

अभी तक की जांच में देशी घी में पाम आयल और वनस्पति घी मिलाया जा रहा था, सुगंध के लिए सिंथेटिक एसेंस का किया जा रहा था इस्तेमाल

Update: 2024-09-28 07:46 GMT

Spurious Ghee: तिरुपति बाला जी मंदिर के प्रसाद लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में मिलावट पाए जाने की पुष्टि के बाद से देश भर में मिलावटी घी को लेकर चिंता कड़ी हो गयी है. जहाँ तहां इस बात को लेकर बहस छिड़ी हुई है कि प्रसाद के लिए बाज़ार की मिठाई की जगह प्राचीन समय में इस्तेमाल होने वाले प्रसादम का उपयोग किया जाए. वहीँ इस बीच त्यौहारी सीजन के शुरू होने से पहले मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में बड़ी मात्र में मिलावटी देसी घी पकड़ा गया है. मिलावटी घी की मात्रा साढ़े पांच टन है. अभी तक की जानकारी के अनुसार देशी घी के नाम पर तैयार किये जा रहे इस मिलावटी घी में पाम आयल व वनस्पति तेलों का इस्तेमाल किया जा रहा था. हालाँकि प्रशासन की तरफ से अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गयी है कि पशु चर्बी का इस्तेमाल भी किया गया था या नहीं.

जानकारी के अनुसार फ़ूड डिपार्टमेंट ने सूचना के आधार पर एक फैक्ट्री में छापे मारी कर मिलावटी घी बरामद किया है. कार्रवाई के दौरान मिलावटी घी तैयार करने वाली इस फर्म को सील कर दिया गया है और सैंपल जांच के लिए भेज दिए गए हैं. साथ ही पुलिस से भी मामले की शिकायत करते हुए एफआईआर दर्ज करायी गयी है.

अलग अलग ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा था घी
अब तक की जांच में पता चला है कि मिलावटी घी को अलग अलग ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा था. ये ब्रांड छोटे या लोकल स्तर के कहे जा सकते हैं. हालांकि कुछ दिन पहले ही इंदौर से ही लगभग हजार किलो मिलावटी घी बरामद किया गया था, जिसे साँची ब्रांड से बेचा जा रहा था. बता दें कि साँची ब्रांड मध्य प्रदेश सरकार का ही एक उपक्रम है.

गंभीर बिमारियों का कारक है मिलावटी घी
मिलावटी घी की बात करें तो ये गंभीर बिमारियों का कारक है. इसके सेवन से दिल की बीमारी, मोटापा, डायबिटिज़, पेट रोग आदि होना आम बात है. यहाँ तक कि हो एसेंस इसमी मिलाया जाता है, वो एक केमिकल होता है, जो कई बार कैंसर का कारक भी होता है. इसके अलावा मिलावटी घी मोटापे को भी बढ़ाता है.

पाम आयल और वनस्पति की मिलावट की पहचान के लिए क्या करें
मिलावटी घी में पाम आयल और वनस्पति की पहचान करने के लिए उसे सबसे पहले गर्म करना चाहिए. जब घी पिघल जाए तो उसका रंग देखना चाहिए. असल में देशी घी का रंग और पाम आयल व वनस्पति घी का रंग अलग अलग होता है. गर्म करने पर ये रंग अलग अलग दिख सकते हैं.
वहीँ अगर लैब टेस्ट की बात करें तो दूध और वनस्पति फैट में अंतर होता है. देशी घी गाय या भैंस के दूध से बनता है, ऐसे मि उसके अन्दर मिल्क फैट होता है, जबकि वनस्पति घी और पाम आयल में अलग प्रकार का फैट होता. जब तेल को दूध में मिलाया जाता है, तो इसका स्वाद, रंग सब बदल जाता है.



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