देश में घट रहे हैं आत्महत्या के मामले? ऐसे दिखा सरप्राइजिंग रिजल्ट

क्या सचमुच भारत आत्महत्या रोकने में सफलता की ओर बढ़ रहा है? 'द लैंसेट' जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में सामने आया ऐसा सच जो हैरान कर रहा है...;

Update: 2025-02-20 11:04 GMT

How To Prevent Suicide:  भारत में आत्महत्या की घटनाओं में 1990 से 2021 के बीच 30% की गिरावट दर्ज की गई है। 'लैंसेट पब्लिक हेल्थ' में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में यह बात सामने आई है कि सामुदायिक प्रयास, जागरूकता और सही हस्तक्षेप, आत्महत्या रोकने में कितने प्रभावी हो सकते हैं। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (Global Burden of Diseases) 2021 के आंकड़ों पर आधारित इस रिपोर्ट के अनुसार, 1990 में आत्महत्या मृत्यु दर (suicide death rate) प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 18.9 थी, जो 2021 में घटकर 13 रह गई। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की प्रोफेसर राखी डंडोना, जो इस अध्ययन की सह-लेखिका भी हैं, इन्होंने बताया कि “आत्महत्या मृत्यु दर यह समझने का सही मापदंड है कि समय के साथ आत्महत्या की घटनाओं में बदलाव आया है। हमारे देश में 30% की यह गिरावट एक सकारात्मक संकेत है।”

आत्महत्या रोकने में क्या मददगार साबित हो रहा है?

शोध के अनुसार, आत्महत्या रोकने के लिए सामुदायिक प्रयास सबसे प्रभावी हैं। मजबूत पारिवारिक और सामाजिक समर्थन, जागरूकता अभियान और सही हस्तक्षेप ने इन घटनाओं को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान केंद्रित करने से हमेशा समाधान नहीं मिलता। शोधकर्ताओं का मानना है कि सामाजिक और आर्थिक तनाव को हल करना भी उतना ही जरूरी है। अध्ययन में दिखाया गया कि परिवारिक स्थिरता और सामाजिक एकीकरण को बढ़ावा देना आत्महत्या रोकथाम के अहम पहलू हैं।

इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली (primary health system) का हिस्सा बनाना जरूरी है। इससे न केवल इन सेवाओं की पहुंच बढ़ेगी बल्कि आत्महत्या से जुड़े कलंक को भी कम किया जा सकेगा। जागरूकता अभियान, जो आत्महत्या को लेकर बनी गलत धारणाओं को दूर करें और मदद मांगने के लिए प्रेरित करें, समाज में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

किस आयु वर्ग और लिंग पर सबसे ज्यादा असर?

2021 में भारत में 1.88 लाख आत्महत्या के मामले दर्ज किए गए। इनमें 1.13 लाख पुरुष और 74,869 महिलाएं थीं। 15-39 आयु वर्ग में सबसे ज्यादा मामले सामने आए। प्रोफेसर डंडोना बताती हैं कि साल 2021 में महिलाओं के लिए आत्महत्या मृत्यु का मुख्य कारण था जबकि पुरुषों में यह सड़क दुर्घटनाओं के बाद दूसरा सबसे बड़ा कारण था। महिलाओं में आत्महत्या के पीछे मुख्य कारण घरेलू हिंसा, पति या ससुराल से जुड़े मुद्दे थे। वहीं, पुरुषों में ये मामले अक्सर आर्थिक दबाव और पारिवारिक समस्याओं से संबंधित थे।

दक्षिण एशिया और उच्च आय वाले एशिया-प्रशांत क्षेत्रों में महिलाओं की आत्महत्या दर अब भी अधिक है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि बारहवीं कक्षा तक शिक्षित महिलाओं में आत्महत्या की दर अशिक्षित महिलाओं की तुलना में ज्यादा थी। इससे यह प्रश्न भी खड़ा होता है कि वर्तमान शिक्षा हमारी महिलाओं को कितना सशक्त बना रही है।

वैश्विक स्तर पर आत्महत्या के आंकड़े

आत्महत्या एक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। हर 43 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। वर्ष 2021 में दुनिया भर में 7.4 लाख लोगों ने आत्महत्या की, जिनमें से 5.19 लाख पुरुष और 2.27 लाख महिलाएं थीं। हालांकि, 1990 के बाद से वैश्विक आत्महत्या मृत्यु दर में 40% की गिरावट दर्ज की गई है। महिलाओं में यह गिरावट 50% से अधिक और पुरुषों में लगभग 34% रही।

क्या है भविष्य का रास्ता?

यह अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि आत्महत्या रोकथाम के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक आम लोगों की पहुंच बढ़ाने के साथ ही सामाजिक-आर्थिक तनाव को कम करना और सामुदायिक सहयोग को मजबूत करना आत्महत्या की घटनाओं को कम कर सकता है।

हमारे देश में अभी इस दिशा में और अधिक ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं में निवेश, जागरूकता अभियान और सामुदायिक नेटवर्क को मजबूत बनाकर आत्महत्या की घटनाओं को और कम किया जा सकता है। पिछले तीन दशकों में हुई प्रगति एक उम्मीद जगाती है लेकिन यह सफर अभी खत्म नहीं हुआ है।

Tags:    

Similar News