जानलेवा बना ट्रेंड, वैपिंग का फ्लेवर पहुंचा रहा युवा फेफड़ों में ज़हर
स्टाइलिश दिखने और स्ट्रेस दूर करने के नाम पर वैपिंग की लत से युवा पीढ़ी के फेफड़े खराब हो रहे हैं। 'पॉपकॉर्न लंग' जैसी बीमारियों का बढ़ रहा खतरा...;
Vaping And Lung Damage: यूथ में वैंपिंग का क्रेज काफी तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह एक तो टशन दिखाना है और दूसरा है, इसे स्ट्रेस बस्टर के रूप में यूज करना। वैपिंग (Vaping) एक स्टाइल और तनाव से निपटने का माध्यम भले ही बन रही है लेकिन इसके खतरनाक असर सामने आने लगे हैं। फ्लेवर वाले डिस्पोजेबल वेप्स, सोशल मीडिया ट्रेंड और आसान उपलब्धता के चलते बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रहा ये फैशन अब स्वास्थ्य पर भारी पड़ने लगा है। नई रिसर्च में सामने आए मामलों के अनुसार, वैपिंग से फेफड़ों की गंभीर बीमारियां हो रही हैं, जिनमें सबसे खतरनाक है 'पॉपकॉर्न लंग', जो फेफड़ों की बीमारियों का कारण बन सकती है।
क्या है वैपिंग?
वैपिंग एक इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट (E-Cigarette) के माध्यम से निकोटिन या अन्य केमिकल युक्त लिक्विड को वाष्प के रूप में लेने की प्रक्रिया है। इसमें अक्सर फ्लेवर मिलाए जाते हैं ताकि इसे अधिक आकर्षक बनाया जा सके। कई बार इन लिक्विड्स में ऐसे रसायन होते हैं जो फेफड़ों के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं।
कैसे हो रहा युवाओं पर असर?
कोविड-19 के समय से लेकर अब तक युवाओं में तनाव, अकेलापन और सोशल मीडिया की ग्लैमर लाइफ के चलते वैपिंग का चलन तेजी से बढ़ा है। किशोर उम्र के बच्चे भी इसका शिकार हो रहे हैं, जो इसे साधारण आदत समझ कर शुरू करते हैं और धीरे-धीरे इसका दुष्प्रभाव झेलते हैं।
वैपिंग से होने वाली समस्याएं
वैपिंग के कारण होने वाली प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं, जिनका पूरी तरह ठीक हो पाना भी ज्यादातर मामलों में लगभग असंभव होता है...
पॉपकॉर्न लंग (Bronchiolitis Obliterans)
यह एक गंभीर फेफड़ों की बीमारी है, जिसमें फेफड़ों की सबसे छोटी वायुमार्गों में सूजन और स्कारिंग हो जाती है। इससे सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याएं होती हैं। यह स्थिति अक्सर स्थायी होती है और फेफड़ों का कार्य हमेशा के लिए प्रभावित हो सकता है।
फेफड़ों में जलन और सूजन
वैपिंग के दौरान इनहेल किए गए केमिकल्स जैसे डायसेटिल, फॉर्मलडिहाइड और एसिटाल्डिहाइड से फेफड़ों की परत में सूजन हो सकती है।
निकोटिन की लत और मानसिक स्वास्थ्य पर असर
वैपिंग में निकोटिन की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे बच्चों और किशोरों में लत लगने का खतरा रहता है। इसके कारण चिंता, चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर में वृद्धि
वैपिंग से हृदय गति बढ़ सकती है और रक्तचाप में अनियमितता आ सकती है।
रिसर्च क्या कहती है?
वैपिंग से उत्पन्न धुएं में मौजूद रसायन फेफड़ों की सतह को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेष रूप से किशोरों और युवाओं के फेफड़े जो अभी पूरी तरह विकसित नहीं हुए होते, वे इन जहरीले तत्वों से जल्दी प्रभावित होते हैं। कई मामलों में बीमारी का पता तब चलता है जब स्थिति पहले से गंभीर हो चुकी होती है।
इलाज और समाधान क्या हैं?
पॉपकॉर्न लंग और अन्य वैपिंग-संबंधी रोगों का पूर्ण इलाज संभव नहीं है। हालांकि, लक्षणों को नियंत्रण में रखने के लिए स्टेरॉइड्स, ब्रोंकोडायलेटर और ऑक्सीजन थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। कुछ गंभीर मामलों में फेफड़े का ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प बनता है। बचाव ही सबसे बड़ा उपाय है। जागरूकता और समय रहते वैपिंग छोड़ना ही इस खतरे से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
वैपिंग को 'सेफ' विकल्प मानने की भूल युवाओं को स्थायी बीमारियों की ओर धकेल रही है। फैशन, तनाव या साथियों के दबाव में शुरू की गई यह आदत भविष्य में जानलेवा बन सकती है। पैरेंट्स, स्कूलों और नीति निर्माताओं को चाहिए कि वे इसके दुष्प्रभाव के प्रति जागरूकता फैलाएं और युवाओं को इससे दूर रखें। क्योंकि ये स्टाइलिश दिखने वाली वेप डिवाइस फेफड़ों के लिए स्थायी ज़हर साबित हो सकती है।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करें।