क्यों 30 के बाद कमजोर होती हैं महिलाओं की हड्डियां, कैसे करें बचाव?
डायट में दाल और दूध शामिल करने के बाद भी 30 की उम्र के बाद क्यों महिलाओं की हड्डियां होती हैं कमजोर। किन बातों का ध्यान रखें ताकि बुढ़ापे तक हड्डियां रहें मजबूत
हममें से ज्यादातर लोगों का ध्यान अपनी हड्डियों की सेहत की ओर तब तक नहीं जाता, जब तक स्थिति बिगड़ नहीं जाती। यानी हड्डियां कमजोर होकर छोटी-सी चोट से टूटने लगती हैं या बहुत दर्द बोन्स में होने लगता है, तभी हमारा ध्यान इनकी सेहत पर जाता है।
हमारी हड्ड्यिां लगातार पुरानी कोशिकाओं को हटाती हैं, नई कोशिकाएं बनाती हैं। जब शरीर की हड्डी “बनाने” की गति “घटाने/घटने” की गति से आगे नहीं रहती, तब धीरे-धीरे हड्डियां पतली, नाज़ुक और फ्रैक्चर-प्रवण हो जाती हैं। यही प्रक्रिया महिलाओं में आमतौर पर 30–35 की उम्र के बाद देखने को मिलने लगती है। और अगर सतर्कता न बरती जाए तो अगला पड़ाव हो सकता है ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) का।
हड्डियों की कमजोरी के वैज्ञानिक कारण
हमारी हड्डियां जीवनभर रिक्यूर (remodel) होती रहती हैं। पुराने हड्डी टिशूज़ हटते हैं, नए बनते हैं। लेकिन लगभग 30–35 साल की उम्र के बाद यह संतुलन बदलने लगता है। पुरानी हड्डियों को हटाना (resorption) तेज़ हो जाता है, नई हड्डियां बनने (formation) की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसलिए हड्डी का घनत्व धीरे-धीरे घटने लगता है।
Mayo Clinic के अनुसार, महिलाओं में यह गिरावट और तेज होती है। क्योंकि उनकी हड्डियां सामान्यतः पुरुषों की तुलना में पतली होती हैं और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हॉर्मोनल बदलाव (विशेषकर Estrogen का स्तर गिरना) हड्डियों की रक्षा करने वाला एक महत्वपूर्ण तंत्र कमजोर कर देता है। इसलिए महिलाओं में ओस्टियोपोरोसिस यानी हड्डियों के पतले और कमजोर होकर टूटने का जोखिम ज्यादा होता है।
हड्डियों की कमजोरी के मुख्य कारण
आज के समय में केवल भोजन में पोषण की कमी ही हड्डियों की कमी का कारण नहीं है। बल्कि अन्य कई कारण भी मुख्य भूमिका निभा रहे हैं...
आधुनिक जीवनशैली
शारीरिक गतिविधियों की कमी
कैल्शियम व विटामिन D की कमी
धूप और प्राकृतिक रोशनी में समय ना बिताना
उम्र के अनुसार भोजन में बदलाव ना करना
पैकेज्ड फूड पर निर्भरता बढ़ना। इत्यादि
कमजोर हड्डियों से रिस्क
जब हड्डियां कमजोर होती हैं यानी बोन मिनरल डेन्सिटी (BMD) कम हो जाती है तो वे भंगुर (fragile) बन जाती हैं। हल्का-सा झटका लगने, मामूली-सा गिरने से, झुकने-उठने या खांसने-झुकने जैसी मामूली क्रियाओं से भी हड्डियां टूट सकती हैं। इन नाजुक हड्डियों में मुख्य रूप से कूल्हा, कलाई और रीढ़ की हड्डियां शामिल होती हैं। अर्थात इन हड्डियों पर जल्दी खतरा होता है।
मेयो क्लिनिक की एक रिसर्च के अनुसार, ऑस्टियोपोरोसिस चुपचाप बढ़ने वाली समस्या है। इसके विषय में अक्सर तब तक पता नहीं चलता, जब हड्डी टूट न जाए। इसलिए इसे “साइलेंट डिज़ीज़ (मौन रोग)” कहा जाता है।
बचाव के लिए क्या करें?
हड्डियों की सेहत में यह गिरावट पूरी तरह रोकी या कम की जा सकती है। यदि हम सही समय पर कदम उठाएं तो महिलाएं इस समस्या से बच सकती हैं। हालांकि नीचे कुछ विज्ञान-समर्थित उपाय बताए गए हैं, जो महिला और पुरुषों दोनों के लिए उपयोगी हैं...
कैल्शियम + विटामिन D की पूर्ति
हड्डियों के लिए सबसे ज़रूरी पोषक तत्वों में कैल्शियम अग्रणी है। लेकिन सिर्फ कैल्शियम पर्याप्त नहीं है। क्योंकि शरीर में कैल्शियम पच सके, रुक सके इसके लिए विटामिन-D आवश्यक है। यही विटामिन शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने की प्रक्रिया को संभव बनाता है। पर्याप्त कैल्शियम + विटामिन D लेने से हड्डी के खनिजीय घनत्व को बनाए रखने में मदद मिलती है।
महिलाएं इस बात का रखें ध्यान
अपोलो हॉस्पिटल ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि महिलाओं में विशेष रूप से मेनोपॉज़ के बाद जब हॉर्मोनल बदलाव काफी तेजी से होते हैं तो ऐसे में हड्डियों का घनत्व तेजी से गिर सकता है। इसलिए कैल्शियम व विटामिन-D सप्लीमेंट पर ध्यान दें। साथ ही समुचित आहार और धूप लेना और भी आवश्यक हो जाता है।
वज़न-बियरिंग या स्ट्रेंथ-बेस्ड व्यायाम
हड्डियों को प्रकृति ने जिस तरह से बनाया है, मजबूत रहना रहना इनका स्वभाव है। लेकिन इसके लिए इन्हें भी आवश्यकता होती है कि इन पर आवश्यकता से अधिक वजन ना रहे। इसके लिए आपको अपने वेट को नियंत्रित रखने का प्रयास करना चाहिए। आपकी हाइट और वेट का रेश्यो ठीक होना चाहिए।
अपने वजन को नियंत्रित रखने के लिए आप कई गतिविधिया कर सकते हैं, जैसे तेजी से चलना, जॉगिंग, स्क्वैट्स, योग, हल्की स्टैंडिंग व वेट ट्रेनिंग। ये सभी हड्डियों को मजबूत रखने में सहायक हैं। साथ ही हमारी मांसपेशियों को भी मजबूत बनाते हैं और फ्रैक्चर की सम्भावना कम करते हैं।
संतुलित आहार लें
मजबूत हड्डियों के लिए दैनिक जीवन में ऐसे भोजन का सेवन करें, जो शरीर की हर दिन की पोषण संबंधी आवश्यकता को पूरा कर सके। इसके लिए डायट में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन-डी, विटामिन-के, मैग्नीशियम, आयरन और मिनरल्स से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
स्क्रीनिंग और जांच
इन तीन स्थितियों में हड्डियों की सेहत पर बहुत ध्यान देना चाहिए...
यदि आपकी उम्र 30 साल के पार हो चुकी हैं
परिवार में हड्डी टूटने का इतिहास है
मेनोपॉज़ के करीब हैं
तो समय-समय पर हड्डी घनत्व (Bone Mineral Density / DXA) टेस्ट कराने पर विचार करें। शुरुआती समस्या पकडना और बचाव करना आसान होता है।
इन चीजों से दूरी बनाएं
हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक है कि आप धूम्रपान से बचें। अत्यधिक शराब न लें, बहुत अधिक कैफीन न लें। क्योंकि ये सभी हड्डियों के लिए विष की तरह काम कर सकते हैं।
30 की उम्र के बाद हड्डियां धीरे-धीरे “बचत” से “ब्याज” के खाते में बदल जाती हैं। यदि हमने बचत (good bone mass) पहले नहीं की तो बुढ़ापे में ब्याज (bone loss) हमें भारी पड़ेगा। लेकिन यदि अभी सही कदम उठाए जाएं और संतुलित आहार, धूप, कैल्शियम, विटामिन-D, व्यायाम, समय पर जांच कराएं तो हम अपनी हड्डियों को लंबी उम्र तक मज़बूत बनाए रख सकती/सकते हैं।
डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सलाह को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श करें।