तेज गर्मी में ऐसा रखें वर्कआउट रुटीन, कम होगा हार्ट स्ट्रोक का खतरा

गर्मी के मौसम में एक्सर्साइज रुटीन में कुछ खास सावधानियां बरतनी चाहिए। ताकि हार्ट स्ट्रोक, सीवियर डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रोक के रिस्क को कम किया जा सके...;

Update: 2025-04-30 07:51 GMT
गर्मी के मौसम में वर्कआउट के दौरान हार्ट स्ट्रोक और हीट स्ट्रोक से बचाव के उपाय

Workout Overheating: गर्मी में बढ़ता तापमान हमारे एक्सर्साइज रुटीन पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। चलना, दौड़ना या एरोबिक अभ्यास करने के बाद थकान, कमजोरी और सिरदर्द की शिकायतें बढ़ जाती हैं, जो अक्सर शरीर के अति ताप (overheating) के कारण होती हैं।

अति ताप न केवल ब्लड प्रेशर असंतुलित करता है बल्कि सांस संबंधित विकार जैसे, एक्सरसाइज–इंड्यूस्ड अस्थमा और हीट स्ट्रेस के जोखिम को भी बढ़ा देता है। जरनल ऑफ स्पॉर्ट्स साइंस ऐंड मेडिसिन (Journal of Sports Science & Medicine) में वर्ष 2020 में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, व्यायाम के तुरंत बाद शारीरिक ताप को नियंत्रित रखने के लिए स्ट्रक्चर्ड कूलडाउन प्रोटोकॉल अपनाना अनिवार्य है...

एक्सर्साइज के दौरान शरीर से कितना पसीना निकलता है?

व्यायाम के दौरान शरीर से औसतन 0.8–1.5 लीटर पसीना निकलता है, जिससे प्लेटलेट हेमो-वैस्कुलर वॉल्यूम घटता है और कोर तापमान में 1–2°C तक वृद्धि हो सकती है । एडवांस्ड फिजियोलॉजी अनुसंधान ने दिखाया है कि वर्कआउट के पहले, बीच में तथा बाद में इलेक्ट्रोलाइट युक्त 500–750 मि.ली. पानी या स्पोर्ट्स ड्रिंक का सेवन कोर तापमान को स्थिर रखता है। मूत्र का हल्का पीला रंग हाइड्रेशन का भरोसेमंद बायोमार्कर माना जाता है (MedlinePlus) ।

व्यावहारिक सुझाव...

वर्कआउट से 30 मिनट पूर्व 300–400 मि.ली. पानी पियें।

हर 15–20 मिनट के व्यायाम पर 150–200 मि.ली. पानी या इलेक्ट्रोलाइट पेय लें।

व्यायाम के 30 मिनट बाद पुनः 300–400 मि.ली. पानी अवशोषित करें।

स्ट्रेचिंग और इनडोर वॉकडाउन

व्यायाम के तुरंत बाद रैपिड हार्ट रेट (150–180 bpm) धीरे-धीरे 60–70% resting heart rate पर ले जाने से परिफेरल ब्लड फ्लो नियंत्रित होता है। एक नियंत्रित 10–15 मिनट की कूलडाउन वॉक व डायनेमिक स्ट्रेचिंग से वास्कुलर रिफ्रैक्शन और मसल टेम्परेचर मेन्टेनेंस में मदद मिलती है ।

व्यावहारिक सुझाव...

व्यायाम के बाद कम से कम 10 मिनट धीमी वॉक करें।

क्वाड्रिसेप्स, हैमस्ट्रिंग्स और कैल्व्स को 15–20 सेकंड के लिए होल्ड स्ट्रेच करें, जिससे मसल टोन सामान्य होता है।

शॉवर और थर्मल कॉन्ट्रास्ट थेरेपी

कंट्रास्ट वॉटर थेरेपी (गर्म पानी से ठंडे पानी में स्विच) से परिफेरल वेसल डिलेशन–कॉन्स्ट्रिक्शन चक्र उत्तेजित होकर कोर तापमान धीमा करता है और थकान क्लियरेंस दर बढ़ जाती है ।

व्यावहारिक सुझाव...

स्ट्रेचिंग के बाद 2–3 मिनट गुनगुना शॉवर लें, फिर 30 सेकंड ठंडे पानी का उपयोग करने के बाद फिर से गुनगुने पानी से स्नान करें।

अत्यधिक गर्म या बहुत ठंडे जल से बचें। क्योंकि यह कार्डियोवैस्कुलर रिस्पांस में अनियमितता ला सकता है।

सही कपड़े और थर्मल मैनेजमेंट

मॉइस्चर-विकिंग टेक्सटाइल (जैसे पॉलीप्रोपलीन, नायलॉन–ब्लेंड) से बने कपड़े त्वचा से पसीने को दूर कर शरीर को रेडिएटिव हीट लॉस में सहायता करते हैं (Textile Research Journal, 2018) । हल्के रंग (व्हाइट, पेस्टल) सूरज की रेडिएशन रिफ्लेक्ट करते हैं, जिससे पसीना भाप बनकर सहज वेंटिलेशन पैदा करता है।

व्यावहारिक सुझाव...

आउटडोर गतिविधि में वियर–टू–ड्राई व अल्ट्रा कूल टेक्सटाइल पहनें।

हल्के रंग और फुल–लेन्थ्स आर्म द्वारा होऊग्लू सिंड्रोम (चमकती धूप में स्नान कर जाना) से बचें।

रिकवरी फूड्स और थर्मोजेनेसिस

थर्मोजेनिक फूड्स (जैसे अदरक, हरी चाय, प्रोटीन-फैट ब्लैंड) शरीर के मेटाबॉलिज्म को नियंत्रित करते हुए कोर तापमान को स्थिर रखने में मदद करते हैं । प्रोटीन शेक-जैसे चॉकलेट मिल्क बेस्ड-मसल रिस्ट्रक्चरिंग के साथ ही मांसपेशीय रक्त प्रवाह को उत्तेजित करके थर्मल होमियोस्टैसिस स्थापित करता है।

व्यावहारिक सुझाव...

वर्कआउट के 30 मिनट बाद 20–25 ग्राम प्रोटीन (ग्रीक योगर्ट, चॉकलेट मिल्क) लें।

एवोकैडो, नट्स और सीड्स जैसे, हेल्दी फैट स्रोत थर्मल इनर्जी प्रदान करते हैं।

बायोसिग्नल-आधारित “बॉडी लिसनिंग”

सब्जेक्टिव थकान (Borg RPE स्केल) और ऑब्जेक्टिव बायोसाइनल (हार्ट रेट वेरिएबिलिटी) को मॉनिटर कर व्यायाम इंटेंसिटी तथा रिकवरी समय को पर्सनलाइज्ड किया जा सकता है ।

व्यावहारिक सुझाव...

Borg स्केल पर 11–13 रेंज में कूलडाउन सेट करें।

स्मार्टवॉच या HR मॉनिटरिंग से थर्मल स्ट्रेस अलर्ट सेट करें।

उच्च तापमान में व्यायाम के बाद ओवरहीटिंग रोकने के लिए अवेयर रहना जरूरी है। इसमें हाइड्रेशन, स्ट्रेचिंग, थर्मल कॉन्ट्रास्ट थेरपी, तकनीकी कपड़े, थर्मोजेनिक पोषण और बायोसिग्नल–आधारित मॉनिटरिंग-आवश्यक है। ताकि एक्सर्साइज और वर्कआउट के चलते केवल सेहत को लाभ मिले। हार्ट स्ट्रोक जैसी किसी अनचाही समस्या का सामना आपको ना करना पड़े!


डिसक्लेमर- यह आर्टिकल जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी सुझाव को अपनाने से पहले एक्सपर्ट से सलाह करें।


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