युवा महिलाओं में अधिक होती है ये समस्या, इसके ना लक्षण फिक्स हैं ना इलाज
कई हेल्थ समस्याएं होती हैं, जो जेंडर के अनुसार कम या अधिक प्रभाव डालती हैं। ऐसी ही एक समस्या है मायालजिक इंसेफेलोमाइलाइटिस। इसे ME के नाम से भी जाना जाता है..;
मायाल्जिक एन्सेफैलोमायलाइटिस (ME): एक जटिल और गंभीर रोग है, जो लंबे समय तक थकान और अन्य लक्षणों का कारण बनता है। ये थकान सामान्य आराम या नींद से ठीक नहीं होती और व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों को प्रभावित करता है। ये रोग किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन अधिकतर यह वयस्कों और विशेष रूप से महिलाओं में अधिक देखा जाता है। यदि आप महिला हैं और अक्सर थकान का अनुभव करती हैं, जबकि आपको लगता है कि आप पूरा आराम करती हैं लेकिन फिर भी तुरंत थक जाती हैं तो आपको यहां बताई गई डिटेल्स जानना बहुत जरूरी है ताकि आप आयरन की कमी, थायरॉइड इत्यादि के लक्षणों के साथ कंफ्यूज ना हों...
मायाल्जिक एन्सेफैलोमायलाइटिस के लक्षण
ME/CFS के लक्षण व्यक्ति विशेष पर निर्भर करते हैं, लेकिन कुछ सामान्य लक्षण देखे जा सकते हैं। जैसे... लगातार थकान बनी रहती है, जो छह महीने या उससे अधिक समय तक जारी रहती है और आराम करने से ठीक नहीं होती।
मानसिक और शारीरिक गतिविधि के बाद थकान बढ़ जाती है और ऐसा लगता है कि शरीर के अंदर जरा-सी भी ऊर्जा नहीं बची है।
शरीर में कमजोरी और दर्द बना रहता है, जिसमें मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और गले में खराश शामिल हो सकते हैं।
हल्का शारीरिक या मानसिक श्रम करने के बाद असहनीय थकावट महसूस होती है।
नींद से संबंधित समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिनमें अनिद्रा या गहरी नींद न आना प्रमुख है। सोने के बाद भी व्यक्ति खुद को तरोताजा महसूस नहीं करता।
एकाग्रता और स्मृति में कमी आती है, जिससे ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई और "ब्रेन फॉग" जैसी समस्याएं हो सकती हैं। छोटी-छोटी चीज़ें भूल जाना या निर्णय लेने में परेशानी भी आम लक्षण हैं।
स्वायत्त तंत्रिका तंत्र में असंतुलन होता है, जिससे रक्तचाप में उतार-चढ़ाव, चक्कर आना और दिल की धड़कन का असामान्य रूप से तेज़ या धीमा होना हो सकता है।
तापमान संवेदनशीलता बढ़ जाती है। यानी गर्मी में बहुत अधिक गर्मी लगना और हल्की-सी सर्दी में बहुत अधिक ठंड लगना इत्यादि।
पाचन संबंधी समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं। जैसे, खाना खाने के बाद पेट में हर समय भारीपन रहना, पेट फूलना, भूख का लगना या ना लगना साफतौर पर समझ ना आना।
मायाल्जिक एन्सेफैलोमायलाइटिस के संभावित कारण
ME/CFS के सही कारण अभी तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन कुछ संभावित कारण सामने आए हैं। कई मामलों में देखा गया है कि यह किसी वायरल संक्रमण के बाद विकसित होता है, जैसे कि एप्सटीन-बार वायरस (EBV), कोविड-19 या अन्य वायरल संक्रमण। कुछ शोध बताते हैं कि यह रोग इम्यून सिस्टम की असामान्य प्रतिक्रिया से भी जुड़ा हो सकता है। हार्मोनल असंतुलन, खासकर हाइपोथैलेमस-पिट्यूटरी-एड्रिनल (HPA) एक्सिस की गड़बड़ी भी एक संभावित कारण हो सकता है। लंबे समय तक भावनात्मक या शारीरिक तनाव भी इस बीमारी को ट्रिगर कर सकता है।
ME/CFS का निदान कैसे किया जाता है
ME/CFS का कोई एक निश्चित परीक्षण नहीं है। डॉक्टर लक्षणों के आधार पर और अन्य बीमारियों को बाहर करने के बाद ही इसका निदान करते हैं। आमतौर पर रक्त परीक्षण किया जाता है, जिससे थायरॉइड, एनीमिया, संक्रमण या अन्य विकारों की जांच की जाती है। एमआरआई या सीटी स्कैन के जरिए न्यूरोलॉजिकल समस्याओं की संभावना को बाहर किया जाता है। स्लीप स्टडी द्वारा यह जांचा जाता है कि अनिद्रा या नींद की अन्य समस्याएं तो नहीं हैं।
मायाल्जिक एन्सेफैलोमायलाइटिस का उपचार
ME/CFS का कोई निश्चित इलाज नहीं है। लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए विभिन्न उपचार अपनाए जाते हैं। जीवनशैली में बदलाव बेहद आवश्यक है...
पर्याप्त आराम करें और अपनी ऊर्जा को सही तरीके से मैनेज करें।
ओवरएक्सर्शन से बचें और जरूरत के अनुसार ब्रेक लें।
संतुलित आहार लें, जिसमें पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, फाइबर और विटामिन हो।
कैफीन और प्रोसेस्ड फूड्स से बचें, जो थकान को बढ़ा सकते हैं।
हल्का स्ट्रेचिंग और योग फायदेमंद हो सकता है, लेकिन ज्यादा वर्कआउट से बचना चाहिए।
गति-निर्धारण तकनीक (Pacing) अपनाएं, जिससे ऊर्जा को संतुलित तरीके से इस्तेमाल किया जा सके।
ME के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट
डॉक्टर की सलाह से दर्द निवारक दवाएं या एंटीडिप्रेसेंट्स ली जा सकती हैं। इम्यून और न्यूरोलॉजिकल थेरेपी भी कुछ मामलों में मदद कर सकती है। हालांकि इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है। लेकिन सही प्रबंधन और जीवनशैली में बदलाव से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। यदि आप लंबे समय तक लगातार थकान महसूस कर रहे हैं तो डॉक्टर से परामर्श लेना ज़रूरी है। सही देखभाल और जागरूकता से इस बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है और बेहतर जीवन जीने की संभावना बढ़ाई जा सकती है।