क्या एयर इंडिया बचा पाएगी अपनी साख? अहमदाबाद हादसे ने खड़े किए गंभीर सवाल
यह दुर्घटना एयर इंडिया और टाटा समूह के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करती है। अधिकारियों को इस घटना की गहन जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।;
12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के दुर्घटनाग्रस्त होने से 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिसमें 241 यात्री और 12 क्रू सदस्य शामिल थे। यह घटना भारतीय विमानन इतिहास की सबसे भीषण दुर्घटनाओं में से एक मानी जा रही है।
अधिकारियों के अनुसार, विमान उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद एक इमारत से टकरा गया। अमेरिकी नौसेना के पूर्व पायलट कैप्टन स्टीव शाइबनर ने बताया कि विमान में 'राम एयर टर्बाइन' (RAT) का सक्रिय होना दर्शाता है कि दोनों इंजन विफल हो गए थे। यह RAT तब सक्रिय होता है, जब विमान के इंजन काम करना बंद कर देते हैं। एक अन्य रिपोर्ट में बताया गया कि विमान के दोनों इंजन विफल हो गए थे, जिससे पायलट के लिए नियंत्रण बनाए रखना मुश्किल हो गया था।
अंदर तक फैली खामी
12 जून को फ्लाइट AI171 की दुर्घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि कई व्हिसलब्लोअर और असंतुष्ट यात्रियों द्वारा समय-समय पर उठाई गईं चिंताएं सही थीं कि एयर इंडिया की समस्याएं सिर्फ ब्रांडिंग और नए विमान खरीदने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उससे कहीं गहराई में हैं। चिंताजनक यह है कि एयर इंडिया के रखरखाव प्रोटोकॉल या तो अपर्याप्त थे या असंगत रूप से लागू किए गए थे। एयर इंडिया का ऐप भले ही नए डिज़ाइन में आ गया हो और केबिन क्रू को मशहूर डिज़ाइनर मनीष मल्होत्रा के नए यूनिफॉर्म में प्रशिक्षित किया गया हो। लेकिन मूलभूत सेवा अनुभव अभी भी बेहद असंगत और असंतोषजनक बना हुआ है।
पूर्व पायलटों ने आरोप लगाया है कि लागत में कटौती और बाजार में तेज़ी से वापसी की कोशिशों के चलते सुरक्षा में आवश्यक निवेश को नजरअंदाज किया गया। एक सेवानिवृत्त एयर इंडिया कमांडर, जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हमने पहले भी इन मुद्दों को उठाया था। यह एक ऐसा हादसा था, जो कभी भी हो सकता था।
अधिग्रहण के बाद हकीकत
साल 2022 में जब टाटा सन्स ने एयर इंडिया का अधिग्रहण किया था तो उन्होंने भारतीय विमानन क्षेत्र में पुनरुत्थान का वादा किया था। समूह के अधिकारियों ने दशकों पुरानी नौकरशाही और अक्षम व्यवस्थाओं को खत्म कर एयर इंडिया को फिर से भारतीय आकाश की एक चमकती हुई हीरा बनाने की बात कही थी। लेकिन तीन साल बाद इस परिवर्तन का जो पर्दा था, वह अब हट चुका है। सरकार ने एयर इंडिया के पुराने कर्ज को माफ़ कर दिया था, साथ ही मौजूदा कर्मचारियों को बनाए रखने से जुड़े कई नियमों में छूट दी थी और एयरलाइन को कई मौजूदा संपत्तियों के साथ टाटा सन्स को सौंप दिया था।
केंद्र सरकार ने एयर इंडिया के पुराने कर्ज और अन्य देनदारियों में से ₹61,000 करोड़ से अधिक राशि को माफ़ किया। 31 अगस्त 2021 तक एयर इंडिया के कुल ₹61,562 करोड़ के कर्ज में से टाटा समूह ने ₹15,300 करोड़ कर्ज संभाला, जबकि लगभग ₹46,000 करोड़ को एक विशेष संस्था ‘AIAHL’ को ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे सरकार का निपटान हो सके।
इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने एयर इंडिया का अधिकांश कर्ज माफ कर दिया, जिससे टाटा को एयर इंडिया अधिग्रहण के लिए काफी कम वित्तीय बोझ उठाना पड़ा। हालांकि यह सच है कि बड़ी मात्रा में कर्ज माफ़ न किए जाने पर कोई एयरलाइन एयर इंडिया को खरीदने के लिए तैयार नहीं होती, लेकिन इससे यह भी पता चलता है कि नए मालिकों के पास एक साफ़-सुथरी वित्तीय स्थिति थी।
एयर इंडिया के अधिग्रहण के साथ टाटा समूह के पास 140 से अधिक विमान आ गए, जिनमें वाइड-बॉडी और नैरो-बॉडी विमान शामिल हैं। इसके अलावा, करीब 900 महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय स्लॉट्स भी शामिल थे, जिनमें लंदन के हीथ्रो एयरपोर्ट के स्लॉट्स भी शामिल हैं। घरेलू स्तर पर लगभग 4,400 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट्स भी इस सौदे में थे।
अन्य महत्वपूर्ण संपत्तियों में विमान हैंगर, एयर इंडिया एक्सप्रेस में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी और एयर इंडिया SATS एयरपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड में 50 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल थी, जो प्रमुख भारतीय हवाई अड्डों पर कार्गो और ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रदान करती है। इसके अलावा टाटा सन्स के पास सिंगापुर एयरलाइंस के साथ मिलकर एक प्रीमियम सर्विस कैरियर, ‘विस्तारा’ भी था, जिसे बाद में एयर इंडिया में विलय कर दिया गया।
प्रभावित समुदाय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
लंदन में भारतीय समुदाय ने इस दुर्घटना में मारे गए लोगों के लिए शोक सभा आयोजित की। इसमें कई लोग शामिल थे, जिन्होंने व्यक्तिगत रूप से पीड़ितों को जाना था। सिंगापुर एयरलाइंस, जो एयर इंडिया में हिस्सेदारी रखती है, ने भी इस घटना पर चिंता व्यक्त की है।