पीएम मोदी की मैकाले और भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा पर गलतफहमी
अंग्रेजी भाषा की शिक्षा के आगमन ने भारतीयों के लिए आधुनिक ज्ञान की दुनिया में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया और उत्पीड़ित जातियों के लिए शिक्षा की दुनिया में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में मैकाले के बारे में कुछ टिप्पणियां कीं, जो ऐतिहासिक रूप से पूरी तरह सही नहीं मानी जा सकतीं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा का परिचय देना मैकाले का एक महत्वपूर्ण योगदान था। इस कदम ने भारतीयों को आधुनिक ज्ञान की दुनिया में प्रवेश दिलाया, विज्ञान और तकनीक के लाभों तक पहुंच बनाई और पिछड़े जातियों के लिए शिक्षा के द्वार खोले। अंग्रेज़ी शिक्षा ने भारतीयों को स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व के विचारों से भी परिचित कराया, जो तत्कालीन साम्राज्य और जातिव्यवस्था के लिए नए थे।
मैकाले और भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा
मैकाले की Minute on Education की आलोचना करने वाले अक्सर डॉ. भीमराव अंबेडकर की अंग्रेज़ी शिक्षा की सराहना को भी नकारते हैं। अंबेडकर ने अंग्रेज़ी को “सिंहनी का दूध” कहा था, जो पीने वालों को दहाड़ने की शक्ति देता है। मैकाले ने संस्कृत और अरबी शिक्षा पर ब्रिटिश वित्त पोषण रोकने की मांग की, जिससे आधुनिक शिक्षा का मार्ग खुला। इसने विज्ञान और कला में महान भारतीयों जैसे सी.वी. रामन, जगदीश चंद्र बोस, रवींद्रनाथ टैगोर और गांधी के लिए रास्ता खोला।
हालांकि, अंग्रेज़ी शिक्षा ने कुछ लोगों में हीनता की भावना पैदा की, पर कई भारतीयों ने इसे सीखकर यूरोपीय ज्ञान और लोकतांत्रिक विचारों को अपनाया, जिससे स्वतंत्रता संग्राम को ताकत मिली।
भारतीय भाषाओं और साहित्य का विकास
अंग्रेज़ों ने भारतीय भाषाओं की औपचारिक व्याकरण व्यवस्था तैयार की। इससे भाषाएँ समृद्ध हुईं और उनका साहित्य विश्वस्तरीय स्तर तक पहुँचा। अंग्रेज़ी ने उन लोगों को भारतीय भाषाओं का साहित्य अनुवाद में पढ़ने का अवसर भी दिया।
भारतीय दंड संहिता और कानून
मैकाले ने भारतीय दंड संहिता का निर्माण किया, जो सभी भारतीयों पर समान रूप से लागू होती थी और यह पुरानी जातिवादी कानून व्यवस्था से अलग थी। पारंपरिक कानूनों में ब्राह्मण और उच्च वर्गों को विशेष अधिकार प्राप्त थे, जबकि आम जनता को उनके अधिकार नहीं मिलते थे।
ब्रिटिशकाल और आधुनिक प्रशासन
ब्रिटिशों ने भारत में आधुनिक स्वास्थ्य प्रणाली, सार्वजनिक सुरक्षा, विकेंद्रीकृत प्रशासन और व्यवस्थित लेखा-जोखा की नींव रखी। उन्होंने आधुनिक उद्योग स्थापित किया, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज खोला और जॉइंट स्टॉक कंपनियों की परंपरा शुरू की। उन्होंने प्रतिनिधि सरकार, ट्रेड यूनियन और श्रम कानून भी पेश किए। ब्रिटिशों ने भारत का सर्वेक्षण किया, जनगणना की और भारत को प्राचीन सभ्यता से आधुनिक राष्ट्र-राज्य में बदल दिया। इससे उपमहाद्वीप के विभिन्न राज्यों और प्रांतों के लोग पहली बार एकीकृत होकर लोकतांत्रिक संविधान और आधुनिक प्रशासन के तहत आए।
प्रधानमंत्री मोदी और प्राचीन भारतीय स्मारक
प्रधानमंत्री ने प्राचीन स्मारकों का जिक्र किया और बताया कि ब्रिटिश प्रशासन ने सांची, खजुराहो, हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे स्मारकों की खोज कर उनकी विरासत को संरक्षित किया।
मैकाले और प्राचीन भारतीय ज्ञान
मैकाले ने प्राचीन भारत की गणित, खगोलशास्त्र और मध्यकालीन वास्तुकला तथा शहर नियोजन की उपलब्धियों की अनदेखी की। उनकी यह अनभिज्ञता आज के भारतीय अंग्रेज़ी-शिक्षित बुद्धिजीवियों में भी दिखाई देती है, जो विदेशी डिग्रियों और अंग्रेज़ी शिक्षा पर गर्व करते हैं, लेकिन प्राचीन भारतीय कवियों और विज्ञानज्ञों को नहीं जानते।
ब्रिटिशों द्वारा किए गए नुकसान
ब्रिटिशों के कुछ नकारात्मक प्रभाव आज भी भारतीय समाज में बने हुए हैं। हिंदू-मुस्लिम सांप्रदायिक विभाजन और यूरोपीय विचारों के अनुसार राष्ट्र की एकरूपता की अवधारणा, जो एक भाषा, धर्म और संस्कृति पर आधारित हो, भारत की विविधता की परंपरा के खिलाफ है।
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