सरफराज बाहर, शमी खफा और चयन विवाद, डगमगा रहा है भारतीय क्रिकेट में भरोसा?

भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की कमी नहीं, लेकिन भरोसा और पारदर्शिता की कमी गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। जब ऐसे खिलाड़ी, जो लगातार प्रदर्शन करते हैं, बिना स्पष्ट कारण के दरकिनार कर दिए जाते हैं तो यह न केवल खिलाड़ियों बल्कि प्रशंसकों के मन में भी संदेह और असंतोष पैदा करता है।

Update: 2025-10-25 06:03 GMT
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भारतीय क्रिकेट एक बार फिर उसी पुरानी दुविधा में फंसा दिख रहा है, जिसमें प्रतिभा, राजनीति और धारणा एक-दूसरे से टकरा रही हैं। सरफराज़ ख़ान को आगामी साउथ अफ्रीका ‘ए’ सीरीज के लिए इंडिया ए टीम से बाहर किए जाने ने चयन प्रणाली की पारदर्शिता पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे समय में जब टीम को 2027 वनडे विश्व कप की तैयारी पर ध्यान देना चाहिए था, लेकिन पूरा ध्यान अब चयन प्रक्रिया और उस पर भरोसे की बहस पर शिफ्ट हो गया है।

लगातार प्रदर्शन, फिर भी बाहर

सरफराज़ ख़ान लंबे समय से भारतीय घरेलू क्रिकेट में लगातार प्रदर्शन और धैर्य का प्रतीक रहे हैं। हालिया सत्रों में उनका फर्स्ट-क्लास औसत 100 से ऊपर रहा है। टेस्ट क्रिकेट में उन्हें जब भी मौका मिला, उन्होंने शानदार अर्धशतक और शतक से खुद को साबित किया। फिर भी इंडिया ए टीम से बाहर किया जाना न केवल फैंस, बल्कि पूर्व खिलाड़ियों के लिए भी चौंकाने वाला रहा। कई लोगों ने सवाल उठाया कि आखिर 26 वर्षीय खिलाड़ी को और क्या करना बाकी है, ताकि चयनकर्ताओं का भरोसा जीता जा सके।

चयन से बाहर करने पर मचा बवाल

अब तक खेले गए 56 प्रथम श्रेणी मैचों में सरफराज़ का औसत 65.19 है, जिसमें 14 शतक और 13 अर्धशतक शामिल हैं। साल 2019 से 2024 के बीच उनका औसत 100 के पार पहुंच गया था, जो भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास में दुर्लभ है। हालांकि, चयनकर्ताओं ने आधिकारिक रूप से उनकी क्वाड्रिसेप्स इंजरी और वर्कलोड मैनेजमेंट का हवाला दिया, लेकिन प्रशंसक और विशेषज्ञ इस वजह को अपर्याप्त मानते हैं।

पूर्व ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि अगर मैं चयनकर्ता होता तो सरफराज़ से क्या कहता? उसने वजन कम किया, रन बनाए, न्यूज़ीलैंड के खिलाफ शतक भी लगाया — फिर भी चयन नहीं हुआ। शायद किसी को लगता है कि ‘सरफराज़ को देख लिया, अब और ज़रूरत नहीं।’

राजनीतिक तूफ़ान ने बदला मुद्दे का रुख

यह विवाद यहीं नहीं रुका।कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने आरोप लगाया कि सरफराज़ के “सरनेम” की वजह से उन्हें टीम से बाहर किया गया। इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष क्रिकेट को “सांप्रदायिक रंग” देने की कोशिश कर रहा है। जो चर्चा प्रदर्शन और पारदर्शिता की होनी चाहिए थी, वह अब राजनीतिक बयानबाज़ी में बदल गई और यही भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे खतरनाक पहलू है।

शमी ने भी उठाए सवाल

विवाद यहीं तक सीमित नहीं रहा। तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी ने भी चयन प्रक्रिया को लेकर असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि “फिटनेस टेस्ट पास करने के बावजूद” उन्हें पता नहीं कि उन्हें क्यों नहीं चुना गया। मुख्य चयनकर्ता अजीत आगरकर ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि वे शमी से सीधे बात करेंगे। लेकिन उनका जवाब टालमटोल भरा लगा। इसके बाद शमी ने रणजी ट्रॉफी में उत्तराखंड के खिलाफ 7 विकेट झटककर जवाब दिया, जिससे यह साबित हुआ कि उनका प्रदर्शन अब भी शीर्ष स्तर का है।

हर्षित राणा की एंट्री ने बढ़ाई बहस

विवाद को और हवा दी हर्षित राणा की टीम में एंट्री ने — युवा गेंदबाज़ जिनके पास सीमित घरेलू अनुभव है। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने आरोप लगाया कि उनका चयन आईपीएल टीम कोलकाता नाइट राइडर्स और कोच गौतम गंभीर के साथ संबंधों की वजह से हुआ। पूर्व चयनकर्ता कृष्णमाचारी श्रीकांत ने भी कहा कि चयन प्रदर्शन के आधार पर होना चाहिए, न कि पहचान या नज़दीकी के। हालांकि, गंभीर ने इन आरोपों को “शर्मनाक” बताया और कहा कि राणा ने अपनी मेहनत से जगह बनाई है।

वरिष्ठ खिलाड़ियों की स्थिति पर भी संशय

इन विवादों के बीच भारत के वरिष्ठ खिलाड़ियों की स्थिति भी अस्पष्ट है। रोहित शर्मा और विराट कोहली के टेस्ट से अचानक संन्यास ने फैंस को हैरान कर दिया। चयन समिति ने भी अब तक स्पष्ट नहीं किया कि क्या दोनों 2027 विश्व कप का हिस्सा होंगे।

भरोसे की डोर पर खतरा

भारतीय क्रिकेट में प्रतिभा की कमी नहीं, लेकिन भरोसा और पारदर्शिता की कमी गंभीर चिंता का विषय बनती जा रही है। जब ऐसे खिलाड़ी, जो लगातार प्रदर्शन करते हैं, बिना स्पष्ट कारण के दरकिनार कर दिए जाते हैं तो यह न केवल खिलाड़ियों बल्कि प्रशंसकों के मन में भी संदेह और असंतोष पैदा करता है।

चयन प्रक्रिया पर सवाल

अजीत आगरकर के नेतृत्व में चयन प्रणाली से उम्मीद थी कि यह भविष्य-केंद्रित और पारदर्शी होगी। लेकिन फिलहाल यह पक्षपात और संवादहीनता के आरोपों से जूझ रही है। चयनकर्ता केवल टीम नहीं चुनते — वे करियर और करोड़ों फैंस के विश्वास को भी आकार देते हैं। अब वक्त आ गया है कि ये निर्णय प्रेरणा और भरोसे का प्रतीक बनें, विवादों का नहीं।

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