टैरिफ ब्लैकमेल पर घिरे ट्रंप! दुनिया को चेतावनी या खुद के लिए संकट?
अगर दुनिया ट्रंप की धमकियों पर चुप न बैठे और मजबूती से खड़ी हो तो यह अमेरिकी प्रभुत्व के ढलते दौर की शुरुआत साबित हो सकती है।;
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर वैश्विक व्यापार विवादों में घिरते नजर आ रहे हैं। उन्होंने हाल ही में दुनिया के कई देशों पर उच्च आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की चेतावनी दी है। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अगर चीन, कनाडा, मैक्सिको, यूरोपीय संघ और जापान जैसे प्रमुख निर्यातक देश इस दबाव में न आएं तो ट्रंप को घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ सकता है।
ट्रंप की नई नीति के तहत अमेरिका ने लगभग सभी प्रमुख देशों से आयात पर भारी टैक्स लगाने की योजना बनाई है। इसका असर ये हो सकता है कि अमेरिकी कंपनियों के लिए आयात महंगा हो जाएगा और उपभोक्ताओं पर भी महंगाई का बोझ बढ़ेगा। हालांकि, इससे बहुत बड़ा फर्क नहीं पड़ेगा — सिवाय इसके कि कीमतें बढ़ने से गैर-ज़रूरी वस्तुओं की खपत में गिरावट आ सकती है।
टिट-फॉर-टैट
अगर किसी देश को लगता है कि अमेरिका उस पर टैरिफ बढ़ा देगा और उसकी जगह उसका प्रतिद्वंदी एक्सपोर्टर ले लेगा तो बात बनती है। लेकिन अगर उस प्रतिद्वंदी पर भी समान टैक्स लगा दिया जाए तो अमेरिका का तर्क खुद ही कमजोर पड़ जाएगा।
भारत को सबसे बड़ा खतरा
ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर रूस 50 दिन में यूक्रेन युद्ध नहीं रोकता तो जो भी देश उससे तेल खरीदेगा — उस पर 100% आयात शुल्क लगाया जाएगा। भारत रोज़ाना 1.8 मिलियन बैरल तेल रूस से खरीदता है, जबकि चीन 2 मिलियन बैरल। इटली, फ्रांस, हंगरी, तुर्की और चेकिया जैसे नाटो देश भी रूसी गैस पर निर्भर हैं। अगर इन पर अमेरिका "सेकेंडरी सैंक्शन्स" लागू करता है तो तेल और गैस की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे भारत, चीन और यूरोप जैसे देश बुरी तरह प्रभावित होंगे।
फेड दरों में कटौती
अमेरिका में महंगाई पहले से ही 2.7% पर पहुंच गई है। ट्रंप चाहते हैं कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरें घटाए, लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा। अगर रूस से तेल आयात करने वालों पर प्रतिबंध लगा तो महंगाई और बढ़ेगी और फेड दरों में कटौती और टलेगी।
निवेशकों में घबराहट
इस साल अब तक डॉलर इंडेक्स में 9% की गिरावट आ चुकी है। जब मूडीज़ ने अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटाई तो डॉलर और कमजोर हो गया — जबकि आमतौर पर ऐसे समय डॉलर मज़बूत होता है। इस बार निवेशकों ने अमेरिकी बॉन्ड बेच दिए, जिससे अमेरिकी आर्थिक प्रभुत्व को नुकसान पहुंचा है।
टैक्स से उल्टा असर
ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर भारत और चीन रूस से तेल खरीदते रहे तो उन पर भी 100% टैक्स लगाया जाएगा। लेकिन यही कदम डॉलर को और कमजोर करेगा, ब्याज दरें बढ़ाएगा और अमेरिकी जनता में महंगाई का गुस्सा और बढ़ाएगा।
ट्रंप की "MAGA" नीति हो सकती है फ्लॉप
डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका को फिर से महान बनाने का वादा किया था — MAGA (Make America Great Again)। लेकिन उनके टैरिफ और धमकी भरे रवैये से महंगाई, ब्याज दरें और वैश्विक अस्थिरता बढ़ सकती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर चीन, कनाडा, मैक्सिको, जापान और यूरोपीय संघ ट्रंप की टैरिफ ब्लैकमेलिंग को नकार दें तो ट्रंप के पास झुकने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। यह एक तरह का "चिकन गेम" है — जिसमें दो गाड़ियां आमने-सामने दौड़ती हैं और जो पहले मुड़ता है, वही हारता है।
सोशल मीडिया पर ट्रंप "टाको एंबेसडर" बन चुके हैं। "टाको" एक मेक्सिकन डिश है और इसे मीम मेकर्स ने ट्रंप के लिए "Trump Always Chickens Out" (ट्रंप हमेशा पीछे हट जाते हैं) कहने का तरीका बना लिया है।