कंचनजंगा हादसे में चौंकाने वाली जानकारी, लोको पॉयलट ने की थी ओवरस्पीडिंग

पश्चिम बंगाल में हुई रेल दुर्घटना के मामले में रेलवे बोर्ड ने दावा किया है कि हादसे की वजह का पता चल गया है. रेलवे बोर्ड का कहना है कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि मालगाड़ी निर्धारित गति से काफी तेज थी.

Update: 2024-06-18 07:28 GMT

Train Accident Update: पश्चिम बंगाल में हुई रेल दुर्घटना के मामले में रेलवे बोर्ड ने दावा किया है कि हादसे की वजह का पता चल गया है. रेलवे बोर्ड का कहना है कि प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि मालगाड़ी निर्धारित गति से काफी तेज थी, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ है. रेलवे बोर्ड की प्रथम दृष्टया जाँच रिपोर्ट के अनुसार सोमवार(17 जून) को खड़ी कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकराने वाली मालगाड़ी ने गति प्रतिबंधों का उल्लंघन किया था. गति का पालन करना इसलिए भी जरुरी था, ताकि खराब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली की वजह से कोई समस्या नहीं आये.

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में रानीपात्रा रेलवे स्टेशन (आरएनआई)-चत्तर हाट जंक्शन(कैट) के बीच सोमवार सुबह हुई दुर्घटना में 7 यात्रियों और दो रेलवे कर्मचारियों की मौत हो गई और 41 लोग घायल हो गए. इस दुर्घटना में मालगाड़ी का ड्राइवर भी मारा गया.

मालगाड़ी की गति सीमा से अधिक थी: रेलवे बोर्ड

रेलवे बोर्ड ने कहा कि स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली ख़राब थी, जिसकी वजह से मालगाड़ी के चालक को आरएनआई और कैट के बीच सभी लाल सिग्नलों को पार करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन ट्रेन की गति इस तरह की स्थिति के लिए निर्धारित गति से ज्यादा थी.

स्टेशन मास्टर ने लिखित में दिया था लाल सिग्नल पार करने का अधिकार

बोर्ड ने कहा कि कई जगहों पर ये कहा गया है कि दुर्घटना में मारे गए चालक को रानीपतरा के स्टेशन मास्टर द्वारा टीए 912 नामक एक लिखित अधिकार दिया गया था, जिसमें उसे सभी लाल सिग्नल पार करने की अनुमति दी गई थी. लेकिन चालक जिस गति से माल गाड़ी चला रहा था, वो गति ऐसी परिस्थिति में काफी तेज थी और इस वजह से ये मालगाड़ी आरएनआई और कैट के बीच कंचनजंगा एक्सप्रेस से टकरा गई. हालाँकि, रेलवे बोर्ड ने ये नहीं बताया है कि इस रेलखंड पर मालगाड़ी कितनी गति से चल रही थी.

क्या है मानदंड ?

बोर्ड ने कहा कि कंचनजंगा एक्सप्रेस के चालक ने स्वचालित सिग्नल प्रणाली में खराबी के दौरान अपनाए जाने वाले मानदंडों का पालन किया, सभी लाल सिग्नलों पर एक मिनट तक रुका और 10 किमी प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ा, लेकिन मालगाड़ी के चालक ने मानदंडों की “अनदेखी” की और खड़ी यात्री ट्रेन को पीछे से टक्कर मार दी.

नियमों की व्याख्या करते हुए बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा, "टीए 912 (मालगाड़ी) चालक को जारी किया गया था और नियमों के अनुसार, 'ऑन' पहलू (लाल सिग्नल) पर स्वचालित सिग्नल का सामना करने और निर्धारित समय तक इंतजार करने के बाद, चालक को अगले स्टॉप सिग्नल तक बहुत सावधानी से 15 किमी प्रति घंटे से अधिक गति से आगे बढ़ना चाहिए था(जहां दृश्यता अच्छी हो) और 10 किमी प्रति घंटे से अधिक नहीं( जहां दृश्यता अच्छी न हो)."

अधिकारी ने बताया, "उसे लाल सिग्नल पर दिन में एक मिनट और रात में दो मिनट के लिए ट्रेन रोकनी होती है और फिर निर्धारित गति मानदंडों का पालन करते हुए आगे बढ़ना होता है."

लोको पायलटों के संगठन ने दावे पर सवाल उठाए

वहीँ, भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) ने रेलवे बोर्ड के इस बयान पर सवाल उठाये हैं. संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा, "रेलवे बोर्ड का ये कहना गलत है कि चालक को लाल सिग्नल पर एक मिनट के लिए ट्रेन रोकनी होगी और टीए 912 मिलने के बाद सीमित गति से आगे बढ़ना होगा."

पांधी ने कहा, "जब ड्राइवर को टीए 912 मिल जाता है, तो वह किसी भी गति से गाड़ी चला सकता है, क्योंकि प्राधिकरण पत्र में बताया जाता है कि सेक्शन में लाइन खाली है. दस्तावेज़ में कहा गया है कि मालगाड़ी के लोको पायलट को लाल सिग्नल पार करने का अधिकार दिया गया था, क्योंकि वे खराब थे. प्राधिकरण पत्र में किसी भी गति प्रतिबंध का उल्लेख नहीं है."

प्राधिकरण पत्र में क्या कहा गया

प्राधिकरण पत्र, टीए 912 में कहा गया है, "स्वचालित सिग्नलिंग विफल हो गई है और आपको आरएनआई और कैट के बीच सभी स्वचालित सिग्नलों को पार करने के लिए अधिकृत किया जाता है." इसमें ये भी उल्लेख किया गया है कि आरएनआई और कैट के बीच नौ सिग्नल हैं और मालगाड़ी चालक को सभी को पार करने के लिए अधिकृत किया गया है, भले ही वे लाल या सावधानी (पीले या दोहरे पीले) दिखा रहे हों.

रेलवे के एक सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि आरएनआई और कैट के बीच स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली सोमवार सुबह 5.50 बजे से खराब थी.

सूत्र ने पीटीआई को बताया, "ट्रेन संख्या 13174 (सियालदह-कंचनजंगा एक्सप्रेस) सुबह 8.27 बजे रंगापानी स्टेशन से रवाना हुई और आरएनआई और कैट के बीच रुकी। ट्रेन के रुकने का कारण अज्ञात है."

एक्सप्रेस ट्रेन में TA 912 भी था

एक अन्य रेलवे अधिकारी के अनुसार, जब स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली ख़राब हो जाती है, तो स्टेशन मास्टर लिखित प्राधिकार टीए 912 जारी करता है, जो चालक को दोष के कारण सेक्शन में सभी लाल सिग्नल पार करने के लिए अधिकृत करता है.

सूत्र ने बताया, "रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन संख्या 1374 (सियालदह-कंचनजंगा एक्सप्रेस) को टीए 912 जारी किया था."

उन्होंने कहा कि "लगभग उसी समय, एक मालगाड़ी, जीएफसीजे, सुबह 8.42 बजे रंगापानी से रवाना हुई और 8.55 बजे कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मार दी, जिसके परिणामस्वरूप गार्ड का कोच, दो पार्सल कोच और एक सामान्य सीटिंग कोच (यात्री ट्रेन का) पटरी से उतर गया."

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