एक ब्लास्ट दो थ्योरी सच अब भी अदालत में कैद, SC पहुंची महाराष्ट्र सरकार

2006 मुंबई ट्रेन धमाकों में 189 की मौत हुई। हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में 12 आरोपियों को बरी किया। अब महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट गई है।;

Update: 2025-07-22 07:19 GMT

2006 का वो साल था। मायानगरी मुंबई की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल में लोग यात्रा कर रहे थे। किसी को यह नहीं पता था कि आने वाला पल जिंदगी भर का दर्द दे जाएगा। वेस्टर्न सबअर्बन की ट्रेनों में धमाका होता है, 189 लोगों की मौत होती है, 900 से अधिक लोग घायल। 9 साल बाद मकोका स्पेशल कोर्ट 12 आरोपियों को दोषी मानते हुए सजा देता है। सात को उम्रकैद, पांच को फांसी। लेकिन बांबे हाइकोर्ट ने सबूतों के अभाव में 12 को निर्दोष माना। यहां बता दें कि एक की मौत कोविड के दौरान हो गई थी। अब महाराष्ट्र सरकार ने बांबे हाइकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है जिस पर 24 जुलाई को सुनवाई होनी है।

उच्च न्यायालय ने पाया कि अभियोजन पक्ष अपना मामला साबित करने में "पूरी तरह विफल" रहा और यह "विश्वास करना मुश्किल" है कि अभियुक्त ने अपराध किया था।मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फैसले को "चौंकाने वाला" बताया और पुष्टि की कि उनकी सरकार इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय ले जाएगी। उन्होंने कहा, "मैं पूरे (उच्च न्यायालय) आदेश का अध्ययन करूँगा। मैंने वकीलों से चर्चा की है और उच्च न्यायालय के फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी।

2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोटों का मामला आज भी विवादों से घिरा हुआ है। इसकी एक मुख्य वजह यह है कि महाराष्ट्र एटीएस (ATS) ने अपनी जांच में इन धमाकों के लिए SIMI (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) को ज़िम्मेदार ठहराया था और कहा था कि उसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का समर्थन प्राप्त था। लेकिन दो साल बाद मुंबई क्राइम ब्रांच ने दावा किया कि यह धमाके इंडियन मुजाहिदीन (IM) के एक मॉड्यूल द्वारा किए गए थे, जिसे उन्होंने बाद में पकड़ लिया।

अदालत में अलग दावे, सबूतों में विरोध

एटीएस ने अपनी चार्जशीट में कहा कि विस्फोटों में केवल घरेलू बर्तनों का इस्तेमाल हुआ था, लेकिन प्रेशर कुकर का ज़िक्र सिर्फ़ ट्रायल के दौरान सामने आया। उनकी यह थ्योरी तब सवालों के घेरे में आ गई जब यह पाया गया कि प्रेशर कुकर बेचने वाले दुकानदार को न तो पहचान परेड के लिए बुलाया गया, न ही उसकी दी गई जानकारी के आधार पर किसी संदिग्ध का स्केच बनाया गया।

बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया कि जिन आरोपियों से प्रेशर कुकर या उससे संबंधित सामान बरामद हुआ, उनकी बयान में इसका उल्लेख नहीं था। एक आरोपी ने RDX और टाइमर के उपयोग की बात तो मानी, लेकिन प्रेशर कुकर का कोई ज़िक्र नहीं किया।

इंडियन मुजाहिदीन का दावा और यासीन भटकल की पूछताछ

2008 में जब राकेश मारिया के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच ने दिल्ली और अहमदाबाद धमाकों के सिलसिले में सादिक शेख को गिरफ्तार किया, तो उसने कथित तौर पर स्वीकार किया कि मुंबई ट्रेन धमाकों के पीछे भी इंडियन मुजाहिदीन ही था।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और IM के ऑपरेशनल हेड यासीन भटकल की पूछताछ में भी यही तथ्य सामने आया कि मुंबई ट्रेन धमाकों को IM के सदस्यों ने अंजाम दिया था। नवंबर 2007 में IM ने एक ईमेल के ज़रिए मुंबई धमाकों समेत तीन अन्य हमलों की ज़िम्मेदारी ली थी।

जनवरी 2018 में IM के सह-संस्थापक अब्दुल सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस ने सार्वजनिक रूप से बताया कि कुरैशी ही 'अल-अरबी' नाम से ईमेल पर धमाकों की ज़िम्मेदारी लिया करता था। यासीन भटकल और सादिक शेख दोनों ने पूछताछ में बताया कि आतिफ अमीन, जो खास तौर पर मुंबई आया था, इस धमाके की योजना का हिस्सा था और बाद में वह 2008 के बाटला हाउस एनकाउंटर में पकड़े गए आतंकियों के साथ था।

एमआई का सिग्नेचर स्टाइल

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उस समय प्रेशर कुकर बम का इस्तेमाल इंडियन मुजाहिदीन का एक "सिग्नेचर स्टाइल" बन चुका था। मुंबई में भी ये प्रयोग उसी शैली में हुआ था। एमआई के मॉड्यूल ने अहमदाबाद धमाकों से पहले अंधेरी के एक मैकडॉनल्ड्स में मुलाकात की थी।

दो एजेंसियों में प्रतिस्पर्धा?

मुंबई पुलिस के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि एटीएस और क्राइम ब्रांच के परस्पर विरोधी दावे शायद 'एक-दूसरे से आगे निकलने' की होड़ का नतीजा थे। धमाके के तुरंत बाद मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ए एन रॉय ने कहा था कि बम प्रेशर कुकर में लगाए गए थे और इसके पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ था। तब विलासराव देशमुख महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे और आर आर पाटिल उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री। उस समय क्राइम ब्रांच इस मामले से जुड़ी नहीं थी, लेकिन जब 2008 में अहमदाबाद में धमाके हुए और वहां एक संदिग्ध गाड़ी मिली, जो नवी मुंबई से चोरी हुई थी, तब मामला क्राइम ब्रांच के पास पहुंचा।

गाड़ी से सुराग और गिरफ्तारी

सीसीटीवी फुटेज से यह गाड़ी अफज़ल उस्मानी द्वारा चुराई गई पाई गई। उसने कुल चार गाड़ियाँ नवी मुंबई से चुराई थीं, जिनका उपयोग अहमदाबाद धमाकों में हुआ। इस सुराग के आधार पर सादिक शेख और अन्य IM सदस्यों की गिरफ्तारी हुई।

शेख ने दावा किया था कि उसने रियाज़ भटकल, आरिफ बदरुद्दीन शेख, आमिन, शहनवाज़ और अन्य के साथ मिलकर दिल्ली के मोमिनपुरा, वाराणसी के संकटमोचन मंदिर, श्रमीजीवी एक्सप्रेस, और मुंबई लोकल ट्रेनों में धमाके किए थे। उसने कहा कि ये सभी हमले आमिर रज़ा के निर्देश पर किए गए थे और विस्फोटक सामग्री रियाज़ भटकल या उसके लोगों द्वारा भेजी जाती थी।

घड़ी आधारित टाइमर सर्किट आरिफ बदर ने तैयार किया था। ट्रायल कोर्ट ने इन बयानों को अस्पष्ट (vague) करार दिया और उन्हें निर्णायक साक्ष्य नहीं माना। 2006 का मुंबई ट्रेन धमाका केस आज भी कई प्रश्नों, परस्पर विरोधाभासी दावों और अधूरी कड़ियों से घिरा हुआ है। एटीएस और क्राइम ब्रांच दोनों की थ्योरी अलग-अलग हैं, और अदालत ने भी कई सबूतों को कमजोर माना है।यह मामला सिर्फ एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि जांच प्रक्रिया, साक्ष्य की प्रामाणिकता और एजेंसियों के बीच समन्वय की पारदर्शिता पर भी सवाल उठाता है।

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