'राजमाता' ST2: एक बाघिन की कहानी, जिसने सरिस्का में रचा इतिहास
सरिस्का की वर्तमान बाघ आबादी का कम से कम 70 प्रतिशत, जो अवैध शिकार और सरकारी उदासीनता के कारण कम हो गया था, अपने अस्तित्व का श्रेय ST2 को देता है।;
राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिज़र्व में पहली बार किसी बाघिन की याद में एक स्मारक बनाया जा रहा है। यह कोई साधारण बाघिन नहीं थी। इसका नाम था ST2 था। इसे अब "राजमाता" यानी क्वीन मदर कहा जा रहा है। ST2 ने 2004 के बाद सरिस्का में बाघों की आबादी को फिर से बसाने में अहम भूमिका निभाई। आज सरिस्का में 43 बाघ हैं, जिनमें से करीब 70% बाघों की वंश परंपरा किसी न किसी रूप में ST2 से जुड़ी हुई है।
कैसे हुई शुरुआत?
2004 में सरिस्का देश का पहला ऐसा टाइगर रिज़र्व बना, जहां एक भी बाघ नहीं बचा। इसका कारण था शिकार और प्रशासनिक लापरवाही। इसके बाद केंद्र सरकार ने रणथंभौर से बाघों को सरिस्का लाने का फैसला किया। 2008 में दो बाघ लाए गए: ST1 (नर बाघ) और ST2 (मादा बाघिन)। शुरुआत में यह प्रयोग सफल नहीं दिखा। बाघिनें शावक नहीं दे रही थीं। कई विशेषज्ञों ने चिंता जताई कि कहीं यह प्रयोग विफल न हो जाए।
उम्मीद की किरण
2011 में ST1 की गांव वालों द्वारा हत्या कर दी गई, जिससे सभी को बड़ा झटका लगा। लेकिन ST2 ने हार नहीं मानी। 2012 में ST2 ने दो मादा शावकों को जन्म दिया – ST7 और ST8। फिर 2015 में, उसने दो और शावक (ST13 – नर और ST14 – मादा) को जन्म दिया। इसी दूसरी पीढ़ी ने सरिस्का को दोबारा जीवन दिया।
जंगल की रानी की विरासत
ST14 ने तीन बार शावक दिए। पहली बार ST18 और ST19 (दो मादा), फिर ST26 और ST27, इसके बाद तीन और शावक। ST19 और ST27 ने भी शावकों को जन्म दिया, जिससे बाघों की संख्या बढ़ती गई। ST13 (ST2 का बेटा) ने पिछले 8 सालों में 13 शावकों का पिता बनकर अहम भूमिका निभाई।
अमर विरासत
ST2 का निधन 2024 में हो गया। लेकिन उसकी विरासत आज भी सरिस्का के जंगलों में गूंज रही है। सरकार ने ST2 की याद में एक विशेष स्मारक बनाने का निर्णय लिया है, जिसका मॉडल तैयार है और जल्द ही निर्माण शुरू होगा।
राजमाता को सलाम
सरिस्का के वन संरक्षक संग्राम सिंह कटियार कहते हैं कि यह ST2 को दी जाने वाली सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है। उसी की वजह से सरिस्का आज फिर से बाघों से आबाद है। ST2 सिर्फ एक बाघिन नहीं थी – वह एक संघर्ष, पुनर्जन्म और संरक्षण की प्रतीक बन गई है। उसका नाम अब हमेशा के लिए सरिस्का की धरती पर अमर रहेगा – एक सच्ची 'राजमाता'।