अजय मिश्र टेनी लगा पाएंगे हैट्रिक ? खीरी में जाति का जाल कितना मजबूत

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री 2014 और 2019 से इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं. वो तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-02 06:26 GMT

Khiri Loksabha Election News: खीरी लोकसभा की चर्चा होते ही आपको अजय मिश्र टेनी याद आते होंगे. अजय मिश्र टेनी, मोदी सरकार में गृह राज्य मंत्री हैं और बीजेपी ने एक बार फिर मौका दिया है. किसान आंदोलन के वक्त टेनी अपने बेटे की हरकत की वजह से भी चर्चा में रहे. खीरी में किसानों के ऊपर थार जीप चढ़ाने का मुद्दा क्या उनके खिलाफ जाएगा या वो मनहूस घटना लोगों के दिमाग के किसी कोने में गहराई में बैठ चुकी है यह देखने वाली बात होगी. बता दें कि इस सीट पर अजय मिश्र टेनी 2014 और 2019 में चुनाव जीत चुके हैं और तीसरी बार की तैयारी में हैं. बता दें कि इस सीप पर 1998 से लेकर 2004 तक सपा का दबदबा रहा है. 13 मई को चौथे चरण में मतदान होना है.

क्या है खीरी का समीकरण

सबसे पहले नजर डालते हैं कि यहां मतदाताओं की संख्या कितनी है. खीरी लोकसभा में मतदाताओं की संख्या 18 लाख के करीब है. इसमें 9 लाख से कुछ अधिक पुरुष और 8 लाख से कुछ अधिक महिला मतदाता हैं. अगर बात 2014 और 2019 की करें तो अजय मिश्र टेनी की जीत का अंतर बढ़ा था. 2019 के चुनाव में वो अपने प्रतिद्वंद्वी डॉक्टर पूर्वी वर्मा को तीन लाख से अधिक मतों से हराने में कामयाब हुए थे. अगर जातियों की बात करें तो इस सीट पर कु्र्मी और दूसरे ओबीसी जातियों की संख्या 7 लाख के करीब है. दलित आबादी ढाई लाख, मुस्लिम 2 लाख 70 हजार के करीब ब्राह्मण 3 लाख 10 हजार के करीब, सिखों की संख्या एक लाख के आस पास है.

अगर आप 2014 के चुनावी नतीजों को देखें तो अजय मिश्र टेनी को करीब चार लाख वोट मिले थे. वहीं 2019 में उन्हें 6 लाख से अधिक मत मिले थे. इसका अर्थ यह हुआ कि 2019 के चुनाव में कहीं न कहीं जाति का बंधन टूटा. लेकिन क्या 2024 में वही तस्वीर रहेगी. अगर उम्मीदवारों की बात करें तो सपा ने उत्कर्ष वर्मा को और बीएसपी ने अंशय कालरा को चुनावी मैदान में उतारा है. उत्कर्ष वर्मा की जहां कुर्मी बिरादरी में पैठ है वहीं बीएसपी उम्मीदवार को दलित और सिखों से उम्मीद है. हालांकि यहां पर आपको 2019 की तस्वीर पर भी ध्यान देना चाहिए. जैसे 2019 में सपा और बसपा मिलकर लड़े और हार का अंतर 2 लाख से अधिक था.

सबके सामने अलग अलग चुनौती

बीजेपी और उसके उम्मीदवार के बारे में कहा जा रहा है कि ब्राह्मण चेहरे के साथ साथ माइक्रो मैनेजमेंट में अच्छी पकड़ है, मोदी और योगी का नाम है. हालांकि पार्टी के अंदर के मनमुटाव से भी दो चार होना पड़ रहा है, वहीं सपा को जमीनी स्तर पर संगठन की कमी खल रही है, जबकि बीएसपी उम्मीदवार के सामने पहचान की परेशानी है. गोला गोकर्ण नाथ और दुधवा से पहचान बनाने वाले खीरी में विधानसभा की पांच सीटें लखीमपुर सदर, गोला, पलिया, श्रीनगर और निघासन है. इन सभी सीटों पर वर्तमान में बीजेपी का कब्जा है. 

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