‘डबल इंजन’ की सरकार में ‘लय’ का संदेश देने की कोशिश

गृहमंत्री अमित शाह रविवार को लखनऊ में पुलिस भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटेंगे।अमित शाह लंबे समय बाद यूपी के मुख्यमंत्री के साथ किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में मंच साझा कर रहे हैं। इसके सियासी मायने भी हैं।;

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-06-14 12:22 GMT
गृहमंत्री अमित शाह से मुलाक़ात करते यूपी सीएम योगी

उत्तर प्रदेश की सियासत में कयासों के कुहासों का लंबा दौर क्या रविवार को छंटेगा? जब लंबे समय बाद भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ लखनऊ में डिफेंस एक्सपो मैदान के सार्वजनिक मंच पर एक साथ नजर आएंगे। यूं तो 60,244 आरक्षियों को नियुक्ति पत्र बांटने के लिए यह औपचारिक आयोजन है। लेकिन दोनों नेताओं के बीच जिस तरह नीतिगत गतिरोध होने की बात पिछले कुछ समय से लगातार सामने आती रही है, उसको लेकर भी राजनीतिक विश्लेषकों की नज़र इस कार्यक्रम पर है। पिछले दिनों जब यूपी के सीएम दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे, तभी से ऐसा माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने नीतिगत गतिरोध को ख़त्म करने की ख़ुद पहल की है।

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह रविवार को एक मंच पर नजर आएंगे। 9 जून को यूपी सीएम ने दिल्ली जा कर अमित शाह से मुलाक़ात की थी और उनको पुलिस भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र बांटने के कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर शामिल होने का आमंत्रण दिया था। यह मुलाक़ात क़रीब 35 मिनट चली थी। इस मुलाक़ात को दोनों नेताओं के बीच सब कुछ सामान्य करने की पहल के रूप में देखा गया। इससे पहले 27 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ में गृहमंत्री अमित शाह पहुंचे थे। तब यूपी के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री ने संगम में एक साथ पवित्र डुबकी लगायी थी। उसके बाद से अब तक अमित शाह और योगी आदित्यनाथ की कोई मुलाक़ात नहीं हुई थी। जबकि इस बीच योगी कई बार दिल्ली गए।

दरअसल, 25 मार्च 2022 को योगी आदित्यनाथ के दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद से अब तक कई बार ये चर्चा होती रही है कि सबकुछ सामान्य नहीं है। लंबे समय से अमित शाह ने योगी आदित्यनाथ के साथ कोई सार्वजनिक मंच साझा नहीं किया। हालांकि, संगठन की बैठकों में दोनों नेता मौजूद रहे और शिष्टाचार मुलाकातें भी हुईं। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीटें घटने के बाद से दोनों के बीच तल्खियों की चर्चाएं सियासी गलियारे में फैलती रहीं। लोकसभा चुनाव में भी दोनों नेताओं की अलग अलग रणनीति चर्चा का विषय रही थी।


 



यूपी में सत्ता में योगी आदित्यनाथ के दोबारा वापसी करने के बाद जुलाई 2022 में उत्तर प्रदेश में भाजपा की ज़मीन को विस्तार देने वाले संगठन महामंत्री सुनील बंसल को अचानक उत्तर प्रदेश से वापस बुला लिया गया। ये निर्णय भले ही भाजपा का सांगठनिक और प्रशासनिक निर्णय रहा हो और उनको राष्ट्रीय स्तर पर ज़िम्मेदारी मिली हो। लेकिन यूपी के सियासी गलियारों में ये बात खूब चर्चा में रही कि यूपी के मुख्यमंत्री के साथ सामंजस्य न होने की वजह से उनको यूपी से वापस बुलाया गया।

अलग-अलग रणनीति 

दूसरी बार यूपी में सत्ता में वापसी के बाद 11 मई को पुलिस महानिदेशक पद से मुकुल गोयल को हटाया गया। मुकुल गोयल को केंद्रीय नेतृत्व का विश्वासपात्र बताया जाता था। उनके बाद डीएस चौहान कार्यवाहक डीजीपी बनाए गए। उनको यूपी सीएम का अति विश्वासपात्र माना जाता रहा। तब से अब तक यूपी में पांच कार्यवाहक डीजीपी बनाए जा चुके हैं। ये भी एक तथ्य है कि यूपी में पूर्णकालिक डीजीपी बनाने के लिए लोक सेवा आयोग और केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने जो सवाल खड़े किए हैं, उसके चलते भी यूपी में पूर्णकालिक डीजीपी नहीं हो पा रहा है। ये बात भी चर्चा का विषय रही कि ये मुद्दा दोनों नेताओं के बीच दीवार की तरह खड़ा है।

लोकसभा चुनाव में टिकट बंटवारे और प्रत्याशियों की हार के बाद भी यह बातें होती रहीं कि भाजपा के चाणक्य अमित शाह और देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा। समाजवादी पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सुभासपा के ओम प्रकाश राजभर और सपा से भाजपा में आए दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाने को लेकर भी भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच गतिरोध की स्थितियां बनी थीं। अंततः ओम प्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान दोनों को मंत्री बना दिया गया। इसके बाद ज़ाहिरा तौर पर भले ही ये मामला पीछे चला गया हो, लेकिन अंदरखाने इस बात की चर्चा होती रही। 2024 में जब ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर घोसी से लोकसभा चुनाव हारे, तब भी आरोपों की फेहरिश्त सामने आई।

नौकरशाही की कार्यशैली पर सवाल 

पिछले कुछ समय से उत्तर प्रदेश की नौकरशाही की कार्यशैली पर लगते आरोपों के बाद पार्टी की केंद्रीय यूनिट और यूपी के बीच सब कुछ सामान्य न होने की चर्चाएं ज़ोर पकड़ती रही हैं। ऐसे समय में अगले साल के शुरू में यूपी में पंचायत चुनाव भी होने हैं। इन्हीं परिस्थितियों के बीच रविवार दोपहर को जब यूपी में मौसम का तापमान बढ़ा होगा, तब दोनों नेताओं के बीच सार्वजनिक मंच से होने वाला संवाद बीजेपी के आंतरिक तापमान का पैमाना तय करेगा। दरअसल, पुलिस विभाग में अब तक की सबसे बड़ी भर्ती का नियुक्ति पत्र बांटने का मौक़ा इसके लिए सबसे सटीक मौक़ा भी है।

राजनीतक विश्लेषक रतन मणि लाल कहते हैं ‘अमित शाह हों या योगी आदित्यनाथ इस समय दोनों का ये मेल मिलाप इस बात का सिग्नल देने की दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि दोनों ने ही सामंजस्य बनाने की पहल की है। ऐसे समय में जब केंद्रीय और राज्य स्तर पर संगठन में फेर बदल होना है योगी आदित्यनाथ देश के सबसे बड़े प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में मज़बूत हुए हैं। यही वजह है कि योगी संगठन के फैसलों में अपनी भूमिका को देख रहे हैं। वहीं, अमित शाह के लिए भी अब योगी को उस तरह से नज़रंदाज़ करना संभव नहीं है।’

डबल इंजन सरकार का संदेश

रविवार को देश की सबसे बड़ी पुलिस भर्ती परीक्षा में चयनित 60,244 आरक्षियों को नियुक्ति पत्र दिया जाएगा। ख़ास बात यह है कि इसमें 12,048 महिला अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। केंद्रीय गृह मंत्री इस मौके पर यूपी के विकास और इन नियुक्तियों के बहाने मंच से यूपी सीएम की तारीफ़ कर सकते हैं तो वहीं दोनों नेता केंद्र और राज्य के बेहतर समन्वय का संदेश देंगे। ज़ाहिर है दोनों नेता इसी मंच से विपक्ष को ‘डबल इंजन की सरकार ‘ में लय होने का संकेत भी दे सकते हैं।

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