दिल्ली में जहरीली हवा से राहत की तैयारी, क्लाउड सीडिंग से होगी कृत्रिम बारिश

Artificial Rain in Delhi: क्लाउड सीडिंग यानी “बादलों को बारिश का बीज देना”. यह एक मौसम संशोधन तकनीक है, जिसमें नम बादलों में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड या ड्राई आइस जैसे रसायन छोड़े जाते हैं.

Update: 2025-10-23 16:37 GMT
Click the Play button to listen to article

Delhi Cloud Seeding: दिल्ली में हर साल सर्दियों के मौसम के साथ बढ़ने वाला प्रदूषण एक बार फिर सिरदर्द बन गया है. इस संकट से निपटने के लिए दिल्ली सरकार अब क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) तकनीक के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की तैयारी में है. 23 अक्टूबर 2025 को कानपुर से मेरठ पहुंचा विशेष विमान अगले तीन दिनों में इस प्रयोग को अंजाम देगा. यह प्रोजेक्ट आईआईटी कानपुर, भारतीय मौसम विभाग (IMD) और दिल्ली सरकार के संयुक्त सहयोग से चलाया जा रहा है. इसकी कुल लागत ₹3.21 करोड़ बताई गई है.

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग यानी “बादलों को बारिश का बीज देना”. यह एक मौसम संशोधन तकनीक है, जिसमें नम बादलों में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम आयोडाइड या ड्राई आइस जैसे रसायन छोड़े जाते हैं. ये कण बादलों में मौजूद पानी की बूंदों से चिपककर उन्हें बड़ा बनाते हैं, जिससे कृत्रिम रूप से बारिश होती है. इस प्रक्रिया का उद्देश्य इस बार केवल बारिश कराना नहीं, बल्कि दिल्ली की जहरीली हवा को साफ करना है.

विमान में कैसे होगी बारिश की तैयारी?

क्लाउड सीडिंग प्रोजेक्ट के लिए पांच संशोधित सेसना विमान तैयार किए गए हैं. हर विमान 90 मिनट की उड़ान भरेगा और लगभग 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में काम करेगा. सबसे पहले विमान के पंखों के नीचे 8-10 रासायनिक पैकेट लगाए जाएंगे. इन पैकेट्स में सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस भरा होगा. विमान दिल्ली-एनसीआर के सबसे प्रदूषित इलाकों जैसे उत्तर-पश्चिम दिल्ली के ऊपर उड़ान भरेगा. उड़ान की ऊंचाई 3 से 5 किलोमीटर के बीच रहेगी. पायलट बटन दबाकर इन पैकेट्स को ब्लास्ट करेगा. रसायन बादलों में फैल जाएंगे, जिससे 20–30 मिनट के भीतर हल्की बारिश शुरू हो जाएगी.

प्रदूषण पर क्या होगा असर?

इस कृत्रिम बरसात से दिल्ली की जहरीली हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे प्रदूषक कण धोए जा सकेंगे. जहां दिल्ली का औसत AQI (Air Quality Index) आमतौर पर 300–400 के बीच रहता है, वहीं उम्मीद है कि क्लाउड सीडिंग के बाद यह 100–200 तक आ सकता है. यह तकनीक केवल प्रदूषित इलाकों में लागू की जाएगी, ताकि पूरे शहर को भिगोए बिना हवा को स्वच्छ किया जा सके.

Tags:    

Similar News