6 महीने में इंसाफ, अन्ना यूनिवर्सिटी यौन उत्पीड़न में सज़ा जल्द

सजा की अवधि के बारे में 2 जून को जानकारी दी जाएगी। इस मामले ने व्यापक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया और परिसर की सुरक्षा के बारे में गंभीर सवाल उठाए;

Update: 2025-05-28 10:11 GMT
यह मामला 23 दिसंबर, 2024 को कोट्टूरपुरम के सड़क किनारे बिरयानी विक्रेता ज्ञानशेखरन द्वारा अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में द्वितीय वर्ष के इंजीनियरिंग छात्र पर हमले से संबंधित है।

अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा के साथ यौन शोषण मामले में चेन्नई के अलीकुलम स्थित महिला अदालत ने गुरुवार (28 मई) को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कोट्टूरपुरम इलाके में सड़क किनारे बिरयानी बेचने वाले 37 वर्षीय ज्ञानसेकरन को भारतीय न्याय संहिता (BNS) की सभी 11 धाराओं के तहत दोषी करार दिया है। इन धाराओं में बलात्कार, यौन उत्पीड़न और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधान शामिल हैं।

जज राजलक्ष्मी की अध्यक्षता वाली अदालत ने महिला विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट को पूरी तरह स्वीकार किया और कहा कि सजा की घोषणा 2 जून को की जाएगी। अदालत ने इस मामले की सुनवाई को तेज़, लेकिन निष्पक्ष और गहन बताते हुए इसे न्यायिक प्रक्रिया की चुस्ती का उदाहरण कहा।

घटना जिसने तमिलनाडु को झकझोरा

यह मामला 23 दिसंबर 2024 का है, जब अन्ना यूनिवर्सिटी परिसर में दूसरी वर्ष की एक इंजीनियरिंग छात्रा के साथ यौन शोषण किया गया था। प्राथमिकी के अनुसार, ज्ञानसेकरन ने छात्रा और उसके पुरुष मित्र पर हमला किया और कथित रूप से घटना का वीडियो बनाकर ब्लैकमेल और धमकाने की कोशिश की।चोरी, अपहरण और डकैती जैसे 20 से अधिक मामलों में आरोपी ज्ञानसेकरन को चेन्नई पुलिस ने 25 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। हालांकि, प्रारंभिक गिरफ्तारी के बाद उसे जल्द ही छोड़ दिया गया था, जिससे जनाक्रोश और संदेह और बढ़ गए।

हाईकोर्ट का हस्तक्षेप और SIT की जांच

जनदबाव और विरोध के बीच, मद्रास हाईकोर्ट ने मामले में IPS अधिकारियों भूक्या स्नेहा प्रिया, आयमन जमाल और एस. ब्रिंदा के नेतृत्व में SIT गठित की। कोर्ट ने पीड़िता की पहचान एफआईआर में उजागर होने को गंभीर अधिकार हनन मानते हुए 25 लाख रुपये अंतरिम मुआवज़ा देने का आदेश भी दिया।SIT ने फरवरी 2025 में चार्जशीट दाखिल की जिसमें CCTV फुटेज, मोबाइल डेटा और चश्मदीद गवाहों के बयान जैसे अहम सबूत शामिल थे। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे महिला अदालत में स्थानांतरित किया गया।

राजनीतिक विवाद और विपक्ष का हमला

AIADMK नेता एडप्पडी के. पलानीस्वामी (EPS) ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए इसे AIADMK द्वारा उठाए गए जनदबाव का नतीजा बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि ज्ञानसेकरन को शुरू में रिहा क्यों किया गया और उसकी दोबारा गिरफ्तारी के बीच क्या हुआ। EPS ने आरोप लगाया कि राज्य के एक मंत्री और चेन्नई के डिप्टी मेयर के आरोपी से संबंध थे, लेकिन उन पर कोई जांच नहीं हुई।

उन्होंने SIT के सदस्य DSP राघवेंद्र रवि के इस्तीफे पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह उच्चस्तरीय दबाव का परिणाम हो सकता है। EPS ने बार-बार सवाल उठाया कि वह ‘सर’ कौन है?" – जो इस मामले के कथित प्रभावशाली व्यक्ति की ओर इशारा करता है। उन्होंने DMK सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस “सर” की पहचान छिपा रही है।EPS ने घोषणा की कि 2026 में AIADMK सत्ता में आने के बाद इस ‘सर’ और उन्हें बचाने वालों को अदालत में लाया जाएगा।

‘न्याय का मजबूत संदेश’

तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन ने भी अदालत के फैसले की सराहना की और कहा कि इससे यह संदेश जाता है कि राजनीतिक पहुंच या पैसों का प्रभाव न्याय को नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा, “यह फैसला महिलाओं में भरोसा और उम्मीद जगाता है कि उन्हें न्याय मिलेगा, चाहे आरोपी कोई भी हो।”नागेंद्रन ने पीड़िता की साहस की सराहना की जो राजनीतिक दबाव और पुलिस के कथित डराने-धमकाने के बावजूद न्याय के लिए डटी रहीं।

इस पूरे मामले में छह महीने के भीतर आरोपी को दोषी करार देना भारतीय न्याय व्यवस्था की सक्रियता और संवेदनशीलता का प्रमाण माना जा रहा है। 2 जून को आने वाली सज़ा की घोषणा से यह तय होगा कि यह फैसला कानून के लिहाज से कितना कठोर और संतुलित है। लेकिन अब तक यह केस महिलाओं के खिलाफ अपराधों में त्वरित न्याय की एक मिसाल बनकर सामने आया है।

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